विपक्षी की एकजुटता पर शरद पवार ने उठाए सवाल, कहा- चुनाव से पहले महागठबंधन संभव नहीं
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विपक्षी की एकजुटता पर शरद पवार ने उठाए सवाल, कहा- चुनाव से पहले महागठबंधन संभव नहीं

शरद पवार ने अपने पहले के रूख में बदलाव करने का संकेत देते हुए कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी विरोधी महागठबंधन व्यावहारिक नहीं है.

फाइल फोटो

मुंबई : लोकसभा चुनावों में बीजेपी को घेरने के लिए जहां तमाम विपक्षी नेता महागठबंधन की कवायद में जुटे हैं, वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने चुनाव से पूर्व किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना से इनकार किया है. उन्होंने तो दावा किया है कि चुनावों से पहले महागठबंधन ना तो व्यवहारिक है और ना ही संभव. शरद पवार ने अपने पहले के रूख में बदलाव करने का संकेत देते हुए कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी विरोधी महागठबंधन व्यावहारिक नहीं है. पवार ने एक निजी न्यूज पर कहा कि चुनावों से पहले महागठबंधन व्यावहारिक नहीं है.

शरद पवार ने कहा, ‘हालांकि मीडिया में काफी अटकलें हैं, कुछ विकल्पों के बारे में, महागठबंधन जैसे मोर्चे के बारे में काफी लिखा जा रहा है. लेकिन मैं किसी महागठबंधन या किसी अन्य चीज की संभावना नहीं देखता. हमारे कुछ दोस्त हैं. वे लोग वह चाहते हैं. लेकिन वह संभव नहीं है.’ 

चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों के एक अहम भूमिका निभाने की ओर संकेत करते हुए पवार ने कहा, ‘मेरा खुद का सोचना है और आकलन है कि आखिरकार यह राज्यवार स्थिति होगी. तमिलनाडु जैसे राज्य हो सकते हैं, जहां प्रमुख पार्टी द्रमुक होगी और अन्य गैर बीजेपी पार्टियों को उसे स्वीकार करना होगा.’ 

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उन्होंने कहा कि यदि आप कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जाएंगे तो आप पाएंगे कि कांग्रेस वहां पहले नंबर की पार्टी है. वहीं, आंध्र प्रदेश में किसी को भी तेलुगू देशम पार्टी को प्रमुख पार्टी के रूप में स्वीकारना होगा. तेलंगाना में चंद्रशेखर राव काफी मायने रखेंगे. ओडिशा में नवीन पटनायक बड़ी ताकत होंगे. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी प्रमुख भूमिका निभाएंगी. 

शरद पवार ने कहा कि ये लोग प्रदेश के नेता, प्रदेश की पार्टी के तौर पर अपने-अपने राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करेंगे, ना कि गठबंधन के रूप में. लेकिन चुनाव के बाद ऐसी हर संभावना होगी कि ये सभी नेता एकजुट हों क्योंकि चुनाव का पूरा जोर बीजेपी के खिलाफ होगा. 

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि ये ताकतें 2019 के चुनाव के बाद एकजुट होंगी, लेकिन चुनाव से पहले वह महागठबंधन की कोई संभावना नहीं देखते. 

गौरतलब है कि इस महीने की शुरूआत में पवार ने कहा था कि सभी विपक्षी पार्टियों को अगले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एकजुट होना चाहिए. उन्होंने इसे 1977 जैसी स्थिति बताई, जब पार्टियों के गठबंधन ने इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर किया था. 

उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र में विश्वास रखने वाली और साझा न्यूनतम कार्यक्रम रखने वाली बीजेपी विरोधी पार्टियों को लोगों की इच्छाओं को अपने मन में रखना चाहिए और एकजुट होना चाहिए. समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों को एकजुट रखने की प्रक्रिया का हिस्सा बन कर मुझे खुशी होगी.

(इनपुट भाषा से)

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