सपने को पूरा करने का जज़्बा हो तो रुकावटें चाहे जितनी आएं इंसान को मंजिल तक पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता.
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नई दिल्ली: हौसले बुलंद हो तो कोई भी सपना पूरा करना कठिन नहीं होता. सपने को पूरा करने का जज़्बा कायम हो तो रुकावटें चाहे जितनी आएं इंसान को मंजिल तक पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता. ऐसा ही कारनामा उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से आने वाले शादाब सिद्दीकी ने कर दिखाया है. शादाब सिद्दीकी बॉलीवुड में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत बना रहे हैं. शादाब की बनाई शॉर्ट फिल्मों ने उन्हें मुंबई की मायानगरी का रास्ता दिखाया है.
अभावग्रस्त बचपन में हर पग पर मुश्किलों का सामना करते हुए भी शादाब ने कभी हथियार नहीं डाले. पारिवारिक सहयोग नहीं मिलने, स्कूली शिक्षा नहीं होने के बावजूद शादाब के हौसले कभी पस्त नहीं हुए. शादाब सिद्दीकी ने आगे बढ़ने के लिए बढ़ई का काम शुरू कर दिया. लेकिन, कुछ कर गुजरने की ललक शादाब को आगे बढ़ने के लिए उकसाती रही. मुंबई पहुंचना शादाब सिद्दीकी का सिर्फ एकमात्र मकसद था. शादाब ने अपनी रचनात्मकता को शॉर्ट फिल्मों के रूप में सामने लाना शुरू किया. महज पच्चीस साल की उम्र में शादाब सिद्दीकी ने मुंबई में अपना नाम बना लिया है.
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जब जी म्यूजिक ने रिलीज किया शादाब का एलबम
साल 2016 में 'लव इन स्लम' की शॉर्ट फिल्म से निर्देशन में कदम रखने वाले शादाब सिद्दीकी की चर्चा तब हुई जब साल 2017 में दूसरी शॉर्ट फिल्म 'ह्वेयर इज नज़ीब' आई. यह फिल्म जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बायोटेक्नोलॉजी के छात्र नज़ीब के छात्रावास से अचानक गायब हो जाने की घटना पर थी. शॉर्ट फिल्म से पहचान मिली लेकिन रूमानी मिजाज के शादाब का मन म्यूजिक वीडियो बनाने का मन था. बस, गहना वशिष्ठ और सलमान बट्ट को लेकर कश्मीर गए और वहां की खूबसूरत वादियों में 'राह का तेरी मुसाफिर हूं' म्यूजिक वीडियो बनाया. रेडवुड प्रोडक्शन के बैनर तले बने इस म्यूजिक वीडियो को ज़ी म्यूजिक ने रिलीज किया. कहने की ज़रूरत नहीं, इस अलबम ने शादाब को पहचान के शोहरत की बुलंदियों पर भी पहुंचा दिया.