Scam 2003 Vol 2 Review: ब्रेक के बाद फिर आई तेलगी की कहानी, एक्टरों और राइटरों ने संभाली सीरीज
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Scam 2003 Vol 2 Review: ब्रेक के बाद फिर आई तेलगी की कहानी, एक्टरों और राइटरों ने संभाली सीरीज

Scam 2003: The Telgi Story Vol 2: बीस साल पुराने फर्जी स्टाम्प पेपर घोटाले पर बनी वेब सीरीज स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी का दूसरा पार्ट रिलीज हो गया है. आपकी दिलचस्पी आर्थिक अपराधों में है, तो इस कहनी को देख सकते हैं. पहले हिस्से में जहां तेलगी का उभार दिखाया गया था, वहीं दूसरा पतन की गवाही देता है...

 

Scam 2003 Vol 2 Review: ब्रेक के बाद फिर आई तेलगी की कहानी, एक्टरों और राइटरों ने संभाली सीरीज

Telgi Scam: गुजरे सितंबर में जब वेब सीरीज स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी (Scam 2003: The Telgi Story) में पांच एपिसोड के बाद ब्रेक आ गया था, तो देखने वालों को झटका लगा. ठीक जैसे कि आप अच्छे सफर में हों और गाड़ी बीच में बंद पड़ जाए. दो महीने बाद सीरीज का दूसरा पार्ट रिलीज हुआ है और जिसकी आशंका थी, वही खतरा सच हो गया है. जो मूड पहले हिस्से ने बनाया था, तेलगी की कहानी उसे दूसरे हिस्से में बरकरार नहीं रख पाती. तेलगी की जिंदगी का दूसरे वॉल्यूम का सफर पहले से कटा हुआ महसूस होता है. रेलगाड़ी में फल बेचने से शुरू हुई जो यात्रा तेलगी को मुंबई (Mumbai) लाई, उसके पैसा बनाने और बार डांसर (Bar Dancer) पर लुटाने तक आकर रुक गई, वह दूसरे हिस्से में नया मोड़ लेती है.

कानून का फंदा
स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी का दूसरा हिस्सा अलग कहानी जैसा लगता है. जिसमें अपराधी, पुलिस और राजनीति है. तेलगी की कहानी के पांच नए एपिसोड आपके सामने एक व्यक्ति नहीं, बल्कि ऐसे सिस्टम को सामने लाते हैं जिसमें तमाम कमजोरियां है. यहां राजनीति का वह चेहरा सामने आता है, जो खुद को बचाने के लिए किसी को भी फंसा सकता है. यहां एक चंदन तस्कर द्वारा साउथ के फिल्म स्टार के अपहरण के बाद तेलगी का इस्तेमाल करने की कोशिशें दिखती हैं. कहानी बताती है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बाद अगर देश में किसी के पास सबसे ज्यादा कैश उस वक्त था, तो वह है तेलगी! इसके बाद की कहानी में तेलगी की गिरफ्तारी और उसे कानून के फंदे में फंसाए रखने के लिए पुलिसिया और राजनीतिक चालबाजियां सामने आती हैं.

निरहुआ की एंट्री
हमेशा की तरह आप यहां भी देखते हैं कि सिस्टम में कुछ ईमानदार अफसर होते हैं, जो अपराधी को सजा दिलाने, पूरे अपराध का पर्दाफाश करने की कोशिशें करते हैं. यहां वह वह काम सूर्यप्रताप के रूप में मुकेश तिवारी (Mukesh Tiwari), प्रमोद जयसिंह बने दिनेश लाल यादव यानी निरहुआ और पुणे की पुलिस अधिकारी मालती हलानी के रूप में इरावती हर्षे करती नजर आती हैं. भोजपुरी के स्टार निरहुआ ने इस सीरीज के साथ हिंदी एंटरटेनमेंट और ओटीटी की दुनिया में कदम रखा है. फर्जी स्टांप पेपर छापने और सप्लाई का तेलगी का अपराधिक जाल जाल देश के 20 राज्यों की सीमाओं को छूता था. मगर यहां कहानी मुख्य रूप से कर्नाटक और महाराष्ट्र में घूमती है. कभी वह तेज रफ्तार से चलती है और कभी धीमी हो जाती है. कई बार यह साफ नहीं हो पाता है कि बात कहां हो रही है, कर्नाटक या महाराष्ट्र में.

एचआईवी पॉजटिव तेलगी
दूसरे वॉल्यूम में भी कहानी में तेलगी पर फोकस है और गिरफ्तारी का बाद भी उसका प्रभाव नजर आता है. फंसने के बाद भी वह जिंदगी में रिस्क लेना जारी रखता है, लेकिन कहीं न कहीं पुलिस तथा नेताओं के लिए बलि का बकरा बन जाता है. महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच उसे लेकर राजनीतिक रस्साकशी होती है क्योंकि वे कभी अपने बचाव में, तो कभी अपनी सुरक्षा के लिए उसे कब्जे में रखने के वास्ते लड़ते हैं. लेकिन इन्हीं सबके बीच तेलगी से जुड़ी कुछ बातें यहां उभर कर आती है. उसका एचआईवी पॉजटिव होना और इसके बाद पत्नी-परिवार से उसका भावनात्मक लगाव. रोचक बात यह है कि सिस्टम से लड़ता तेलगी अचानक एक दिन पत्नी के कहने पर अदालत में इस पूरे स्कैम की जिम्मेदारी अपने सिर ले लेता है.

रियार का अंदाज
वास्तव में तेलगी की इस कहानी को दो हिस्सों में बांटकर रिलीज करना, अच्छे सिनेमा और दर्शक दोनों से अन्याय है. जिसका खामियाजा यह सीरीज भुगतती है. दो महीने के अंतराल में पहले हिस्से का प्रभाव खत्म हो चुका है. अगर इस सीरीज को अच्छी राइटिंग, एक्टरों के बढ़िया परफॉरमेंस और तुषार हीरानंदानी के निर्देशन ने न संभाला हो, तो दूसरा हिस्सा बहुत साधारण बनकर रह सकता था. पहले पार्ट की तरह दूसरा भी गगन देव रियार के लिए देखने योग्य है. रियार ने तेलगी कि जिंदगी का हर रंग और अंदाज बखूभी निया है. तेलगी की पत्नी के रूप में सना अमीन शेख को दूसरे हिस्से में अधिक मौका मिला है और वह खरी उतरी हैं. मुकेश तिवारी और दिनेश लाल यादव भी नेक अधिकारियों के रूप में उल्लेखनीय हैं, जिन्हें तेलगी का पैसा नहीं खरीदा पाता.

स्कैम 1992 के बाद
एक अच्छी सीरीज होने के बावजूद स्कैम 2003 के दो हिस्सों में बंटने से तेलगी की कहानी का मजा कम हो गया है. यही नहीं, सोनी लिव की यह सीरीज स्कैम 1992 के मुकाबले कमजोर है. यह हर्षद मेहता के शेयर घोटाले की तरह असर नहीं छोड़ पाती. इसमें वह थ्रिल गायब है. जिसकी उम्मीद स्कैम 1992 देखने वाले कर रहे थे. हालांकि इसके बावजूद अगर आपने स्कैम 2003 का पहला हिस्सा नहीं देखा है, तो आप अब पूरे दस एपिसोड आने के बाद इन्हें एक साथ देख सकते हैं. अगर एंटरटेन नहीं होंगे, तब भी निराशा हाथ नहीं लगेगी.

निर्देशकः तुषार हीरानंदानी
सितारे: गगन देव रियार, सना अमीन शेख, मुकेश तिवारी, दिनेश लाल यादव, इरावती हर्षे, नंदू माधव
रेटिंग***

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