Zee जानकारी: रीगल सिनेमा को याद करके दिल्ली वाले गुनगुनाएंगे, 'जाने कहां गए वो दिन'
Advertisement

Zee जानकारी: रीगल सिनेमा को याद करके दिल्ली वाले गुनगुनाएंगे, 'जाने कहां गए वो दिन'

Zee जानकारी: रीगल सिनेमा को याद करके दिल्ली वाले गुनगुनाएंगे, 'जाने कहां गए वो दिन'

मशहूर Irish नाटककार, Oscar Wilde ने कहा था कि बुज़ुर्ग होने की त्रासदी ये नहीं है कि कोई व्यक्ति बूढ़ा हो चुका है, बल्कि त्रासदी ये है, कि उस बुज़ुर्ग की जगह लेने के लिए उसके सामने एक युवा आ चुका है. DNA में अब हम 85 वर्ष पुरानी एक ऐसी ही ईमारत का विश्लेषण करेंगे, जो नई ईमारतों की भीड़ में खोने के बाद आखिरकार Retire हो रही है.

मैं दिल्ली के मशहूर सिनेमा हॉल, Regal की बात कर रहा हूं. जो आज राजकपूर की फिल्म 'संगम' के शो के साथ हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में खो जाएगा. आज से ये Single Screen Cinema Hall बंद हो जाएगा. हो सकता है, कि आज Multiplex में फिल्म देखने वाली Generation को Regal Cinema के बंद होने से ज़्यादा फर्क ना पड़े. लेकिन हर वो व्यक्ति, जिसके लिए फिल्म देखने का मतलब ही Regal जाना होता था, उसके लिए आज का दिन किसी अपने से बिछड़ जाने जैसा अनुभव है. आज Regal Cinema से आखिरी Show देखकर बाहर निकलने वाला हर व्यक्ति, यही पंक्तियां गुनगुनाते हुए बाहर निकलेगा, कि 'जाने कहां गए वो दिन...
 
इसलिए आज Regal Cinema को विदाई देनी ज़रुरी है. लेकिन उससे पहले मैं आपको Regal Cinema के Flash Back में ले जाना चाहता हूं. Regal का हिन्दी अनुवाद होता है शाही. और अपने नाम की ही तरह इस Cinema Hall का एक शाही इतिहास है. Regal Cinema की शुरुआत वर्ष 1932 में दिल्ली के कनॉट प्लेस में हुई थी. आपको ये जानकर हैरानी होगी, कि Regal Cinema का इतिहास लगभग उतना ही पुराना है, जितना पुराना भारत की बोलती हुई फिल्मों का इतिहास है. 

वर्ष 1931 में भारत की पहली बोलती हुई फिल्म 'आलम आरा' Release हुई थी और अगले ही वर्ष यानी 1932 में Regal Cinema का जन्म हुआ था. दिलचस्प बात ये भी है, कि कनॉट प्लेस को उसकी शुरुआती पहचान भी Regal Cinema से ही मिली थी. कहा जाता है, कि वर्ष 1960 तक कनॉट प्लेस जाने के लिए किसी भी व्यक्ति को, तांगे वाले को 25 पैसे देने पड़ते थे और इसके लिए लोग पते के तौर पर कनॉट प्लेस नहीं बल्कि Regal Cinema का नाम लेते थे. 

Regal Cinema की स्थापना Lutyens' Delhi के Real Estate Owner, Sir Sobha Singh ने की थी. और इसे बनाने की ज़िम्मेदारी British Architect, Walter Sykes George को सौंपी गई थी. Regal को वैसे तो मुख्य रुप से Stage Performance के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में इसमें कई Concerts, नाटक और Ballet Performance भी Host किए गये. Regal Cinema दिल्ली का पहला ऐसा Cinema Hall था, जिसने हिन्दी फिल्में दिखानी शुरू की थीं.

बात चाहे अभिनेताओं की हो या फिर नेताओं की, उस दौर में सबकी पहली पसंद Regal Cinema ही हुआ करता था. Regal के साथ Showman राजकपूर का रिश्ता काफी गहरा था. वो अपनी फिल्मों का प्रीमियर Regal Cinema में ही करते थे. और उनके सम्मान में आज के आखिरी दोनों Shows में उन्हीं की फिल्में दिखाई गईं. पहली फिल्म थी मेरा नाम जोकर और दूसरी फिल्म है संगम. जिसका आखिरी Show अभी इस वक्त Regal Cinema में चल रहा है.

आज के दौर में फिल्म देखना बहुत आसान है. घर बैठे अपने Smartphone का एक बटन दबाइए और आप पूरी फिल्म ऑनलाइन देख सकते हैं. लेकिन उस दौर में लोगों के लिए फिल्म देखने से ज़्यादा दिलचस्पी उसकी टिकट खरीदने में हुआ करती थी. और अगर किसी को पहले दिन के पहले शो की टिकट मिल जाती थी, तो वो किसी उपलब्धि से कम नहीं होती थी. 

वर्ष 1970 तक दिल्ली में लगभग 65 Single Screen Theaters होते थे. लेकिन बदलते वक्त ने इन Single Screen Theaters की रोज़ी-रोटी छीन ली. दिल्ली में पहले Multiplex के खुलते ही ऐसे सभी Theaters का कामकाज कमज़ोर पड़ गया. इन 65 में से लगभग 25 थिएटर बंद हो चुके हैं और Regal इस लिस्ट में सबसे ताज़ा नाम है. लेकिन Regal का नाम इतिहास के पन्नों से कभी नहीं मिटेगा. 

Trending news