Heatwave Alert: अभी तो मई-जून हैं बाकी, अप्रैल में ही क्यों चलने लगे लू के थपेड़े? जान लीजिए इसके पीछे की वजह
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Heatwave Alert: अभी तो मई-जून हैं बाकी, अप्रैल में ही क्यों चलने लगे लू के थपेड़े? जान लीजिए इसके पीछे की वजह

Heat Wave Alert in India: मौसम विभाग (IMD) ने अप्रैल में ही देश के 10 राज्यों में लू चलने की चेतावनी जारी की है. 10 दिन पहले से मौसम विज्ञानी देश के अलग-अलग हिस्सों में लू (Heat wave) जैसी स्थिति पैदा होने का अनुमान लगा रहे थे. अप्रैल में ही लू चलने की वजह जानना भी जरूरी है.

 

Heatwave Alert: अभी तो मई-जून हैं बाकी, अप्रैल में ही क्यों चलने लगे लू के थपेड़े? जान लीजिए इसके पीछे की वजह

Heatwave and Heat Stroke: दुनिया के मौसम (weather) पर असर डालने वाला अलनीनो  (El Nino) एक बार फिर से बड़ी चिंता का सबब बन गया है. देश की कई राज्य सरकारों ने बढती गर्मीं को देखते हुए लू (Heatwave Alert) से बचाव की एडवाइजरी जारी की है. गोवा (Goa) और मध्य प्रदेश में गुरुवार 4 अप्रैल से 8 अप्रैल के बीच जबरदस्त लू (Heatwaves) चलने का पूर्वानुमान लगाया गया है. मौसम विभाग (IMD) ने पहले अनुमान लगाया था कि भारत में इस साल अधिक गर्मी और अधिक लू वाले दिनों का अनुभव होगा. मई-जून की गर्मी से इतर अप्रैल के महीने में लू लोगों को परेशान कर रही है. क्या है इसकी वजह आइए जानते हैं.

अप्रैल से लेकर जून तक लोगों को भीषण गर्मी और हीटवेव का सामना करना पड़ेगा. मौसम विभाग ने भी कहा है कि अप्रैल से जून की अवधि के दौरान ज्यादा गर्मी पड़ेगी. इसका सबसे बुरा असर देश के मध्य और पश्चिमी प्रायद्वीपीय हिस्सों पर दिखेगा. IMD के डायरेक्टर मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक अप्रैल-जून के महीने में देश के ज्यादातर हिस्सों में अधिकतम तापमान (Maximum temperature) सामान्य से ज्यादा रहेगा.

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कब चलती है लू?

लू तब चलती है जब किसी केंद्र का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जो सामान्य से कम से कम 5 डिग्री अधिक रहता है.

अप्रैल में लू चलने की वजह क्या है?

मौसम विभाग (IMD) ने पहले अनुमान लगाया था कि भारत में इस साल अधिक गर्मी और अधिक लू वाले दिनों का अनुभव होगा, क्योंकि अलनीनो की स्थिति के कम से कम मई तक बरकरार रहने की संभावना है. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि 2024 के मई-जून में गर्मी के सारे पुराने रिकॉर्ड टूट सकते हैं. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक भू मध्य रेखीय प्रशांत महासागर में अलनीनो की परिस्थिति बनी हुई है. वहीं प्रशांत महासागर की सतह औसत से अधिक गर्म है. प्रशांत महासागर का तापमान बढ़ा होने की वजह से भीषण गर्मी होने वाली है.

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अलनीनो की वजह से बारिश नहीं हुई है. बारिश नहीं होने से गर्मी बढी है. हवाओं की रफ्तार तेज होने से गर्म हवा के थपेड़े अब महसूस होने लगे हैं. इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग और अलनीनो फिनॉमिना ही जिम्मेदार है. आगे लू चलेगी तो उसकी वजह भी यही होगी. क्योंकि इन्हीं दोनों वजहों से दुनियाभर में जमीन के साथ-साथ महासागरों पर भी तापमान भी लगातार बढ़ रहा है.

क्या होता है अलनीनो 

अलनीनो एक जलवायु संबंधी घटना है जो पूर्वी प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने का प्रतिनिधित्व करती है. भारत में अलनीनो इफेक्ट आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून (Monsoon) के सामान्य से अधिक शुष्क मौसम और पूरे देश में बढ़ी हुई गर्मी और सूखे के लिए जिम्मेदार होता है.

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