कुपोषण और शराब की वजह से दक्षिण भारत में पांव पसार रहा है टीबी
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कुपोषण और शराब की वजह से दक्षिण भारत में पांव पसार रहा है टीबी

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं में 61 प्रतिशत से अधिक टीबी के मामले कुपोषण के कारण होते हैं.

दुनिया में हर साल टीबी के अनुमानित 1.06 करोड़ मामले दर्ज होते हैं और इसके 27% मामले अकेले भारत में होते हैं. (फाइल फोटो)

बोस्टन: वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत के दक्षिणी राज्यों में तपेदिक (टीबी) के लिए कुपोषण और शराब का सेवन मुख्य रूप से जिम्मेदार है. अमेरिका के ‘बोस्टन यूनीवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन’ और तमिलनाडु के जवाहरलाल परास्नातक चिकित्सकीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ने दक्षिण भारत में टीबी तथा कुपोषण एवं शराब के अत्यधिक सेवन के बीच संबंध पाया. उन्होंने बड़े स्तर पर टीबी के मामलों पर अनुसंधान किया.

‘प्लोस वन’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन का उद्देश्य रक्त के उन अवयवों की पहचान करना है जो इस बात का पूर्वानुमान लगाएं कि कोई व्यक्ति टीबी के इलाज से ठीक होगा या नहीं और उनके घरेलू संपर्क से टीबी फैलेगी या नहीं. अध्ययन में पुडुच्चेरी और तमिलनाडु में हाल में टीबी के शिकार होने वालों की जांच की गई और अध्ययन डेटा की तुलना क्षेत्र में जनसंख्या स्तरीय डेटा से किया गया.

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं में 61 प्रतिशत से अधिक टीबी के मामले कुपोषण के कारण होते हैं. अध्ययन में पाया गया कि अगर शराब का प्रकोप कम कर दिया जाए तो पुरुषों से जुड़े 75 प्रतिशत टीबी मामले खत्म किये जा सकते हैं. शोध में कहा गया कि दुनिया में हर साल टीबी के अनुमानित 1 .06 करोड़ मामले दर्ज होते हैं और इसके 27 प्रतिशत मामले अकेले भारत में होते हैं.

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