सिसोदिया ने कहा कि इस मामले में आप अदालत का भी दरवाजा खटखटाएगी. उन्होंने कहा कि हमें अदालत में न्याय मिलने की उम्मीद है.
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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर अपना पक्ष रखने की मांग की है जिन पर दिल्ली विधानसभा से अयोग्य घोषित किए जाने की तलवार लटक रही है. यह जानकारी शनिवार (20 जनवरी) को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दी. 20 विधायकों की बैठक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सिसोदिया और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ आज मुख्यमंत्री आवास पर हुई जिसके बाद राष्ट्रपति से मिलने का निर्णय किया गया. सिसोदिया ने कहा, ‘‘हम राष्ट्रपति से मिलने का समय मांग रहे हैं और विधायक उन्हें बताएंगे कि यह पक्षपातपूर्ण अनुशंसा है और नैसर्गिक न्याय के विपरीत है.’’
सिसोदिया ने कहा कि इस मामले में आप अदालत का भी दरवाजा खटखटाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमें अदालत में न्याय मिलने की उम्मीद है और मामला वहां नहीं टिकेगा. अगर हमें अदालत में भी न्याय नहीं मिलता है तो हम जनता की अदालत में जाएंगे जो सबसे बड़ी अदालत है.’’ रोहतास नगर से आप की विधायक सरिता सिंह ने भी सिसोदिया के विचारों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि संसदीय सचिवों को आर्थिक लाभ नहीं मिलता है. इसके बजाए संसदीय सचिवों को अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ते हैं. चांदनी चौक से आप की विधायक अल्का लांबा ने कहा कि आप के सभी 20 विधायकों ने राष्ट्रपति से व्यक्तिगत स्तर पर मिलने का वक्त मांगा है. लांबा ने कहा, ‘‘साथ ही सभी 20 विधायकों के लिए एक याचिका भी तैयार की जा रही है.’’
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उल्लेखनीय है कि बीते 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को आप के 20 विधायकों के कथित तौर पर लाभ का पद रखने को लेकर अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा कि संसदीय सचिव होने के नाते इन विधायकों ने लाभ का पद रखा और वे दिल्ली विधानसभा के विधायक के पद से अयोग्य ठहराए जाने के योग्य हैं. आप के 21 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका प्रशांत पटेल नाम के एक व्यक्ति ने दायर की थी. इन विधायकों को दिल्ली की आप सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था. जरनैल सिंह के खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिये राजौरी गार्डन के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था.
जिन 20 विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना है उसमें आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल बाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (मेहरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा) शामिल हैं. गहलोत अब दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं. इनके अलावा राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोमदत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिवचरण गोयल (मोती नगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेंद्र गर्ग (राजेंद्रनगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) भी शामिल हैं.
इन विधायकों ने अपने आवेदन में दावा किया है कि चुनाव आयोग के समक्ष मामले के गुण-दोष पर कोई सुनवाई नहीं हुई है और शिकायतकर्ता प्रशांत पटेल ने भी कोई साक्ष्य नहीं दिया है और न ही चुनाव आयोग के समक्ष याचिकाकर्ताओं को कोई अवसर दिया गया.
(इनपुट एजेंसी से भी)