हिमालयी इलाकों की खोज करने वाले पहले भारतीय थे नैन सिंह रावत, जानें 5 खास बातें
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हिमालयी इलाकों की खोज करने वाले पहले भारतीय थे नैन सिंह रावत, जानें 5 खास बातें

कुमाऊं की जोहार घाटी के रहने वाले रावत का जन्म 1830 में हुआ था. यह इलाका अब उत्तराखंड में है. रावत का निधन 1 फरवरी 1882 को मुरादाबाद में हुआ था. वे हैजा से पीड़ित थे.

21 अक्टूबर को गूगल ने डूडल में नैन सिंह रावत को चित्रित किया.

नई दिल्ली: गूगल ने 19वीं सदी के भारतीय खोजी नैन सिंह रावत के उपलब्धियों और उनके 187वें जन्मदिन का जश्न शनिवार (21 अक्टूबर) को डूडल के साथ मनाया. गूगल ने कहा, "उन्होंने एक सटीक माप गति को बनाए रखा. उन्होंने 2000 चरणों में एक मील को पूरा किया और एक माला का उपयोग करके उन चरणों को मापा. उन्होंने अपनी प्रार्थना चक्र और कौड़ी के खोल में एक कंपास छिपाया और यहां तक लोगों के एक भिक्षु के रूप में भ्रम में भी डाले रखा."

  1. डूडल को हरि और दीप्ति पैनिकर ने डिजाइन किया है. 
  2. सुनहरे रंग के डूडल में रावत खड़े होकर ऊंचे पर्वतों की दूसरी ओर सूर्य को देख रहे हैं. 
  3. रावत के पास एक ट्राइपोड स्टैंड भी नजर आ रहा है.

शनिवार (21 अक्टूबर) को गूगल ने डूडल में रावत को चित्रित किया. डूडल को हरि और दीप्ति पैनिकर ने डिजाइन किया है. सुनहरे रंग के डूडल में रावत खड़े होकर ऊंचे पर्वतों की दूसरी ओर सूर्य को देख रहे हैं. उनके पास एक ट्राइपोड स्टैंड भी नजर आ रहा है.

भारतीय खोजी नैन सिंह रावत की पांच खास उपलब्धियां

  • ब्रिटिश 19वीं शताब्दी में तिब्बत का नक्शा बनाना चाहते थे, लेकिन उस समय यूरोपीय लोगों का हर जगह स्वागत नहीं हुआ करता था. ब्रिटेन के लिए हिमालय के क्षेत्रों का अन्वेषण करने वाले वह शुरुआती भारतीयों में से थे.
  • रावत से सबसे पहले 1855-57 में अपनी यात्रा जर्मन लोगों के साथ शुरू की थी. उन्होंने मानसरोवर और रकस ताल झील की यात्रा की. इसके बाद वे गारटोक और लद्दाख गए.
  • नैन सिंह रावत तिब्बत का सर्वेक्षण करने वाले पहले व्यक्ति थे. तिब्बती भिक्षु के रूप में प्रसिद्ध रावत कुमाऊं क्षेत्र के अपने घर से काठमांडू, ल्हासा और तवांग तक गए.
  • रावत भौगोलिक अंवेषण में प्रशिक्षित, उच्च शिक्षित और बहादुर स्थानीय पुरुषों में से एक थे.
  • रावत ने ल्हासा के सटीक स्थान और ऊंचाई को निर्धारित किया, त्सांगपो का नक्शा बनाया और थोक जालुंग की सोने की खदानों के बारे में बताया.

कुमाऊं की जोहार घाटी के रहने वाले रावत का जन्म 1830 में हुआ था. यह इलाका अब उत्तराखंड में है. रावत का निधन 1 फरवरी 1882 को मुरादाबाद में हुआ था. वे हैजा से पीड़ित थे.

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