जलियांवाला बाग से भी बदतर थी 1993 की पुलिसिया गोलीबारी : जांच आयोग
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जलियांवाला बाग से भी बदतर थी 1993 की पुलिसिया गोलीबारी : जांच आयोग

वाम मोर्चा के लिए एक बड़ी परेशानी थोड़ी करते हुए 1993 में यूथ कांग्रेस के एक आंदोलन पर पुलिसिया गोलीबारी की जांच करने वाले आयोग ने कहा कि यह जलियांवाला बाग नरसंहार से भी खराब था। उस गोलीकांड में 13 लोगों की मौत हुई थी।

कोलकाता: वाम मोर्चा के लिए एक बड़ी परेशानी थोड़ी करते हुए 1993 में यूथ कांग्रेस के एक आंदोलन पर पुलिसिया गोलीबारी की जांच करने वाले आयोग ने कहा कि यह जलियांवाला बाग नरसंहार से भी खराब था। उस गोलीकांड में 13 लोगों की मौत हुई थी।

मरने वालों में से प्रत्येक के परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश देते हुए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुशांत चटर्जी जांच आयोग ने कहा कि नियंत्रण कक्ष अधिकारी ‘परोक्ष तौर पर जिम्मेदार’ थे और ‘अपने राजनैतिक आकाओं को खुश करने के लिए उन्होंने बढ़-चढकर कार्रवाई की।’ न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुशांत चटर्जी आयोग ने कहा, ‘गोलीबारी का सहारा लेने की कोई आवश्यकता नहीं थी, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई।’ इस आयोग का गठन ममता बनर्जी सरकार ने 2011 में सत्ता में आने के बाद किया था। चटर्जी ने कहा, ‘यह घटना जलियांवाला बाग में जो हुआ उससे कहीं ज्यादा बुरी थी।’ घटना में पुलिस ने 75 राउन्ड गोलियां चलाई थीं, जिसको लेकर उस वक्त पूरे देश में हंगामा हुआ था।

पीड़ित या उनके परिवार वित्तीय रूप से पंगु और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के थे। आयोग ने उस घटना में मरने वालों में से प्रत्येक के परिवार को 25 लाख रुपये और घायलों में से प्रत्येक को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। आयोग ने कहा, ‘‘नियंत्रण कक्ष के अधिकारी परोक्ष रूप से जिम्मेदार थे और इसलिए उत्तरदायी हैं।’

आयोग ने पाया, ‘किसी भी व्यक्ति के नाम का उल्लेख किये बिना आयोग ने पाया कि गृह विभाग के अधिकारी और नियंत्रण कक्ष (कोलकाता पुलिस) के पुलिस अधिकारी संविधान द्वारा प्रदत्त लोगों की जान बचाने के अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहे।’’ उन्होंने कहा, ‘सामूहिक जिम्मेदारी राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर है। उन्होंने अपने राजनैतिक आकाओं को खुश करने के लिए बढ़-चढ़कर कार्रवाई की। गोलीबारी से बचा जा सकता था।’ चटर्जी ने कहा, ‘‘नियंत्रण कक्ष के आदेश पर गोलीबारी हुई थी और उसने अतिरिक्त बलों को भेजा था।’ चटर्जी ने 700 से अधिक पन्नों वाली रिपोर्ट के अंशों को पढ़ते हुए यह बात कही।

ममता बनर्जी उस वक्त युवा कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। उन्होंने 21 जुलाई 1993 को ‘राइटर्स बिल्डिंग’ (राज्य प्रशासनिक मुख्यालय) तक मार्च का आह्वान किया था जिसमें मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए मतदाता पहचान पत्र का इस्तेमाल अनिवार्य करने की मांग की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि माकपा नीत वाम मोर्चा बड़े पैमाने पर चुनावों में धांधली में शामिल थी।

जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में हुआ था। तकरीबन 1650 राउन्ड गोलियां चलाई गई थीं, जिसमें 1000 से अधिक निर्दोष भारतीय मारे गए थे और 1100 से अधिक लोग घायल हुए थे।

 

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