विश्लेषण: मोदी कैबिनेट के सामने क्या हैं चुनौतियां, क्या है नकवी का एजेंडा
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विश्लेषण: मोदी कैबिनेट के सामने क्या हैं चुनौतियां, क्या है नकवी का एजेंडा

मंत्रिमंडल विस्तार में उन लोगों तरजीह दी गई जो प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के पैरामीटर्स पर खरे और लॉयलिस्ट दिखे.

कैबिनेट फेरबदल के बाद नए सदस्यों के साथ राष्ट्रपति भवन में पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु. (PTI Photo/3 Sep, 2017)

अ डॉयलॉग विद जेसी शो में जी रीजनल चैनल्स के सीईओ जगदीश चंद्र ने हाल में हुए केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की बारीकियों और उसके बाद की चुनौतियों को सामने रखने की कोशिश की है. जगदीश चंद्र ने बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार में उन लोगों तरजीह दी गई जो प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के पैरामीटर्स पर खरे और लॉयलिस्ट दिखे. उन्होंने बताया कि चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री अच्छे दिन का जो नारा दिया था आज उसकी जगह न्यू इंडिया ने ले लिया है. जगदीश चंद्र ने बताया कि इस सरकार में मोदी और अमित शाह के अलावा कोई तीसरा पावर सेंटर है तो वो हैं अरुण जेटली. मंत्रिमंडल फेरबदल में उनका भी स्ट्रेटेजिक रोल रहा है. हालांकि जहां तक उनके खुद के मंत्रालय की बात है तो वहां वो घिरे नजर आ रहे हैं. GDP के गिरने से भद्द पिट रही है.

उन्होंने बताया कि कुछ मंत्रियों को पॉलिटिकल असाइंमेंट दिए गए हैं. कई मंत्रियों को राज्यों का प्रभारी बनाया गया है. जगदीश चंद्र ने कहा कि इस सरकार में कई महिला मंत्री हैं, लेकिन नेतृत्व को स्मृति ईरानी में भविष्य दिख रहा है. खासतौर पर यूपी में गांधी परिवार से दो-दो हाथ करने की क्षमता उनमें दिख रही है. उन्होंने बताया कि मोदी और अमित शाह लीक से हट कर फैसले लेने में यकीन रखते हैं, इसलिए उनके ज्यादातर फैसले सरप्राइज वाले होते हैं. रक्षा मंत्री का पद एक महिला को सौंपना चौकाने वाला फैसला था. हालांकि बतौर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने दो बड़ी चुनौतिया होंगी. पहला क्रॉस बोर्डर टेररिज्म और दूसरी चुनौती चीन का अव्यवहारिक बर्ताव. हालांकि उम्मीद है कि वो रक्षा मंत्री के रुप में सफल होंगी. उन्होंने बताया कि राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्री का प्रस्ताव दिया गया था जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया.

नितिन गडकरी के संदर्भ उन्होंने बताया कि उनके सामने गंगा सफाई की चुनौती सबसे बड़ी है. उन्होंने कहा कि सरकार की उज्ज्वला योजना गेम चेंजर है और धर्मेंद्र प्रधान स्किल डेवलपमेंट में भी कुछ ऐसा करेंगे. उन्होंने ये भी बताया कि ओडिशा में मुख्यमंत्री के तौर पर फिलहाल धर्मेंद्र प्रधान के अलावा कोई दूसरा नाम सामने नहीं है. उन्होंने बताया कि पीयूष गोयल रिजल्ट ओरिएंटेड काम रहते हैं उनके सामने दिल्ली मुंबई फ्रेट कॉरिडोर की चुनौती सबसे बड़ी है. वहीं सुरेश प्रभु के पास कॉमर्स मिनिस्ट्री में निर्यात को बढ़ाने की बड़ी चुनौती पहले से खड़ी है. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के खेल मंत्रालय में आने से नए रोड मैड की उम्मीद बंधी है. वहीं अर्जुन मेघवाल जैसे यंग लीडर को उपराज्यपाल नहीं बनाया जा सकता था अब उन्हें गडकरी के डिमांड पर गंगा मंत्रालय में भेजा गया है. वहीं अल्पसंख्यक मंत्रालय के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इस मंत्रालय के जिम्मे सिर्फ एक काम है वो ये कि बीजेपी के प्रति अल्पसंख्यकों में भरोसा पैदा करे. आखिर में जगदीश चंद्र ने ये बताया कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन के कोई आसार नहीं है.

 1- मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की सारी कवायद के पीछे क्या था मोदी और अमित शाह का विज़न ?
जवाब- नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की माया अदभुत है...उन्हे जानना या समझना मुश्किल है फिर भी कहा जा सकता है कि कुछ एक पैरामीटर्स हैं, कुछ एक बातों का विज़न अपने सामने रखा. जैसे कि नॉन परफॉर्मर्स मस्ट भी रिपलेस बाई परफॉर्मर्स एण्ड लॉयलिस्ट, सेकंड दयर वास ए स्पेसफिक मैसज टू एक्सप्रेस दैट एण्ड ऑफ द डे डिलीवरी काउंट्स और तीसरा ये की 2019 का चुनाव सामने है उसे सामने रख कर जो जोड़ तोड कर संतुलन बैठाना है वो किया जाये चौथी बात जो कही जा सकती है वो ये कि एक मैसेज देने कि कोशिश की गई है कि स्लोलि द कंट्री मूविंग टू आर्स प्रजेंशियल फॉर्म ऑफ गवर्मेंट बाई इन कॉर्पोरेटिंग स्टेन रिटायर्ड ब्यूरोक्रैट्स ऑन वेरि इम्पॉर्टेंट एण्ड की पोजिशन्स...एक अखबार ने लिखा है कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने अमित शाह और मोदी सब कुछ हैं...मंत्रिमंडल का विस्तार एक औपचारिक्ता है सारे फैसले अमित शाहनरेन्द्र मोदी लेते हैं....ये फेर बदल नहीं हैं ये एक तरह से कुच चेहरे से मुखौटे उतार लिए गए हैं और वो मुखौटे और मास्क कुछ दुसरे चेहरों पर पहना दिये गए हैं. इसलिए कांग्रेस ने कहा है कि जब सारे फैसले खुद को ही करना है तो मंत्रिमंडल विस्तार की क्या जरूरत है. लेकिन मेरा मानना ये है कि इन सबके बावजूद दिस रिशफल हैज़ ए डेफिनेट स्ट्रैटिज़ी ए डैफिनेट विज़न ए डैफिनेट गेम प्लान बाई नरेन्द्र मोदी एण्ड अमित शाह.

2.क्या प्रधानमंत्री ने बदल दिया है 'अच्छे दिनों' वाला अपना चुनावी नारा ?
जवाब- कुछ लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने जो उस वक्त का नारा था कि अच्छे दिन आएंगे अब लगता है उसका स्थान न्यू इंडिया ने ले लिया है. अमित शाह और मोदी पूरी तरह से कॉन्फिडेंट हैं कि 2022 तक यहां राज करेंगे. प्रधानमंत्री के पद पर मोदी बने रहेंगे.

3. मोदी और अमित शाह के अलावा इस फेरबदल में क्या अरुण जेटली की भी भूमिका थी ? आज क्या हैं अरुण जेटली के सामने चुनौतियां ?
जवाब- इस सरकार में नरेन्द्र मोदी और अमित सरकार के बाद तीसरे पावर सेंटर हैं अरूण जेटली...इस फेरबदल में भी उनका स्ट्रैटजिक रोल था...और साफ दिखता है कि पियूष गोयल और सितारमन की नियुक्त ऐसा माना जाता है कि अरूण जेटली की सिफारिश पर हुए हैं. तो निश्चित तौर से अरूण जेटली का प्रभाव लीक से हट कर दिखाई देता है. और जहां तक उनके खुद के मंत्रालय का सवाल है तो इसमें वो घिर गए हैं सबसे बड़ा चैलेंज है परसेपशन कि...और वो क्या है वो है GDP जो इस समय सबसे लोएस्ट रेट पर है जो कि 5% है जो कि तीन साल में सबसे लोएस्ट रेट है जो उनके लिए एम्बेर्समेंट है. दुसरी चुनौती है आरबीआई का ब्यान जिसमें कहा गया है कि केवल 1% काली मुद्रा वो वापस लौट कर नहीं आई. बल्कि जो नोट बंद किए गए थे वो आज किसी न किसी रूप में बैंकों में जमा किए गये हैं, और तीसरा एम्बेर्समेंट हैं आरबीआई गवर्नर का ब्यान जिसमें कहा गया था कि नोट बंदी के दौरान मुझे विश्वास में नहीं लिया गया था...तो ये चैलेंज है परसेप्शन के ये सबसे बड़ी चुनौतियां हैं और इसका समाधान अमित शाह और मोदी के लिए कुद जेटली के लिए ही करना होगा.

4. कुछ मंत्रियों को उनके विभागों के अलावा भी दी गई हैं राजनीतिक जिम्मेदारियां... क्या होगा इसका असर उनके सरकारी काम काज पर ?
जवाब- ये सच है कि कुछ मंत्रियों को पॉलिटिक्ल असाइमेंट दिये गये हैं जिसका उनके राज-काज़ पर ज्यादा असर नहीं होगा. ऐसे में अगर देखा जाए तो अरुण जेटली को गुजरात का चार्ज दिया गया है, पियूष गोयल को तमिलनाडू का चार्ज दिया गया है., सितारमन को कर्नाटक का चार्ज दिया गया है. धर्मेन्द्र प्रधान के पास एक तरह से उडिसा का चार्ज है, नड्डा के पास हिमाचल का चार्ज है और केरल के नए मंत्री रिटायर्ड ऑफिर के पास उन्हे भग्वा झंडे को बढ़ाने का चार्ज दिया गया है...इन सभी राज्यों में बीजेपी को प्रमोट करने का काम ये मंत्री सरकारी काम के साथ करेंगे.

5. मोदी सरकार में इस समय 6 महिला कैबिनेट मंत्री हैं, कौन है इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय ?
जवाब- मोदी के कैबिनेट मंत्रीमंडल में 6 कैबिनेट मंत्री हैं... मेनका गंधी है, सुषमा स्वाराज है, उमा भारती है, निर्मला सितारमन, मिसिस बादल और स्मृति इरानी है... इसमें से उमा भारती कभी गांधी परिवार के खिलाफ नहीं लड़ीं, सुषमा स्वाराज बिलेरि में सोनिया के खिलाफ लड़ीं थीं और 70 जाहजार वोटों से चुनाव हारीं थीं...इससे पहले मेनिका गांधी ने अमेठी से राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उस समय उन्हे केवल 50 हजार वोट ही मिले थे. इसके बाद 2014 में स्मृति इरानी राहुल गांधी के खिलाफ लड़ी और उन्होने गांधी परिवार को कड़ी टक्टर दी...और केवल 1 लाख 10 हजार वोटों से वो चुनाव हारीं...इस रिकॉर्ड को देखते हुए कहा जा सकता है कि मोदी और अमित शाह किसी पर बड़ा दाव लगाएंगे तो वो स्मृती इरानी ही हो सकती हैं. जहां तक सितारमन का सवाल है तो वो रक्षा मंत्री जरूर हैं मगर उनकी छवी झुझारू नहीं हैऔर उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनका कोई खास रोल नहीं है. और आरएसएस और बीजेपी की कॉमन च्वाइस कभी-कभी लगती है उत्तर प्रदेश की राजनीति में योगी के बाद कभी अवसर हुआ तो स्मृती इरानी ही संभालेंगीं.

6. इस कैबिनेट फेरबदल में सबसे बड़ा सरप्राइज क्या था ?
जवाब- मोदी और अमित शाह सरप्राइज़ देने के लिए जाने जाते हैं...और इस रि-शफल का सबसे बड़ा सरप्राइज़ था निर्मला सीतारमण का महिला रक्षामंत्री के पद पर नियुक्त होना. दुसरा सबसे बड़ा सरप्राइज था एक्स ब्यूरोक्रेटस को महत्वपूर्ण पद सौंपना.

7. रक्षा मंत्रालय का चार्ज एक महिला को देने के पीछे क्या था मोदी का एजेंडा ?
जवाब- मोटे तौर पर अगर देखें तो कहा जा सकता है कि विमन-इम्पावरमेंट मेबी वन प्वांट... इंदिरा गांधी के बाद ये पहली बार हुआ है कि किसी महिला को रक्षा मंत्री का पद दिया गया है.... दुसरा इश्यू था इंटिग्रीटि का सीतारमण इंटिग्रीटि के लिए जानी जाती हैं और तीसरा है कंर्फ्टलेवल का शि इस वेरि कंर्फ्टेबल विद PMO...

8. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने आज क्या हैं चुनौतियां ?
जवाब- जहां तक चुनौतियों का सवाल है नए रक्षा मंत्री के सामने दो सबसे बड़ी चुनौतियां है पहली चुनौती है टू हैंड क्रॉस बॉर्डर टेरेरिज़म प्रमोटेड बाई पाकिस्तान जम्मू एण्ड कशिमीर, और दूसरी चुनौती है चाईना का अन-प्रैक्टिक्ल बीहेवियर उसको टैक्टफूली कैसे हैंडल किया जाये. और तीसरी चुनौती निर्मला के सामने है आर्मी चीफ रावत थोड़े बड़बोले हैं. और इसके अलावा जो चुनौती है, जो प्रोसेस है प्रक्योरमेंट ऑफ डिफेंस इक्यूपमेंट जिसमें अगले 5 साल में 47 लाख करोड़ की खरीदारी होनी है उसे ट्रांस्पेरेंट कैसे बनाएं उसे फास्ट कैसे बनाएं...

9. कॉमर्स मिनिस्टरी में एवरेज परफॉरमेंस देने के बाद क्या डिफेंस में सफल होंगीं सीतारमण ?
जवाब- रेडि-मीनिस्टर का रोल क्या था उसके बारे में दो मत हैं एक मत का कहना है कि शी वॉस ऑट-स्टैंडिंग परफॉर्मर वहीं दूसरे का कहना कि एक्सपोर्ट का स्तर घिर गया है....उम्मीद की जानी चाहिए कि रक्षा मंत्री के तौर पर सफल होंगी.

10. क्या किसी स्टेज पर था राजनाथ को रक्षा मंत्री बनाने का प्रस्ताव ?
राजनाथ सिंह को रक्षामंत्री का प्रस्तवा दिया गया था जिसे उन्होंने स्विकार नहीं किया...लेकिन ऐसा कोई प्रस्ताव अमित शाह और मोदी ने नहीं दिया था. ये सिर्फ अफवाह थी.

11. क्या हैं नितिन गडकरी के सामने चुनौतियां ? क्या फायर ब्रांड उमा भारती को डील कर पाएंगे गडकरी ?
जवाब- नितीन गडकरी की सबसे बड़ी चुनौती जो है...गंगा मंत्रालय को पुनर्जीवित करने की...उमा भारती के अधूरे कामों को पूरा करने की लेकिन शपत ग्रहण करने के बाद ऐसा लगता है कि मंत्रालय का जो गोल पोस्ट है वो बदल गया है. पहले हम नदियों को साफ करने कि बात कर रहे थे लेकिन हम अब नदियों को जोड़ने की बात कर रहे हैं
तो अब ये तय करना मुश्किल है कि उनकी प्रथामिक्ता गंगा रहेगी या लिंकिंग ऑफ रिवर्स रहेगा. जहां तक उमा भारती का सवाल है वो भी एक चुनौती आज नितिन गडकरी के सामने हैं.

12. उज्जवला जैसी गेम चेंजर योजना की तर्ज पर धर्मेंद्र प्रधान स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय में करेंगे कोई चमत्कार ?
जवाब- ये सच है कि उज्जवला एक गेम चेंजर है योजना है साबित हुई है मोदी ने 2 मास्टर कार्ड चले थे एक फ्रि LPG महिलाओं को देने का जिसकी जिम्मेदारी उन्होने धर्मेन्द्र प्रधान को सौंपी, जहां तक स्कील का सवाल है ये दुसरा एस्पैक्ट था ये प्रधानमंत्री के दिल के करीब था उन्होने कहा था कि 2022 तक 40 करोड़ लोगों का स्किलिंग कर दिया जाये. अब देखना ये है कि जो चमत्कार धर्मेन्द्र प्रधान ने उज्जवाल में किया था वैसे ही यहां भी सफल होते हैं.

13. क्या ओडिशा में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में प्रधान के अलावा भी उभर रहा है कोई नया नाम ?
जवाब- मैं नहीं समझता कि प्रधान के अलावा उडीसा में चीफ मीनीस्टर के लिए कोई कैंडिडेट होगा...और जिस ढंग से वो नवीन पटनायक से जुझ रहे हैं उसके अलाव कोई दुसरा व्यक्ति हो ऐसा लगता नहीं है.

14. क्या हैं नए रेल मंत्री पीयूष गोयल के सामने चुनौतियां ?
जवाब- पियूष गोयल बहुत सुलझे हुए आदमी है, रिजल्ट ओरिएंटेड हैं, उनके सामने 2 बड़ी चुनौतियां प्रधानमंत्री ने रखी हैं कि दिल्ली-मुम्बई जो फेरड कोरिडोर है उसको नियत समय पर पुरा करना और दुसरी चुनौती है बुलेट ट्रेन की जो मुम्बई और अहमदाबाद के बीच इसे निर्धारित तीथि पर चालु करना तीसरी चुनौती है लोगों के दिल में रेल यात्रा को लेकर सुरक्षा की भावना आय़े. इसके अलावा जो रेलवे बोर्ड के जो रिफॉर्मस करने हैं ये एजेंडा उनके सामने है 

15. क्या हैं पीयूष गोयल के सामने कोयला मंत्रालय की चुनौतियां ?
जवाब- कोयला मंत्रालय की चुनौतियां अपनी जगह हैं उन्हे इस मंत्रालय में काम करने का अनुभव है...रेलवे में सबसे बड़ी चुनौती है कोयला सस्ते दामों में मिले, कोयले की सप्लाई बढ़े, कोयले का उत्पादन बढ़े...इस काम में वो एक्सपर्ट हैं

16. क्या हैं नए कॉमर्स मिनिस्टर सुरेश प्रभु के सामने चुनौतियां ?
जवाब- कॉमर्स मिनिस्टरी में निश्चित तौर पर चुनौतियां हैं....और सबसे बड़ी चुनौती है एक्सपोर्ट को बढ़ाने की, दुसरी चुनौती है FDI में इंवेस्टमेंट लाने की तीसरी चुनौती इकनॉमिक एक्टिविटी को बढ़ाने की और जो GDP रेट गिरी है इसमें भी कहीं न कहीं इसकी भुमिका है सुधार करने की.

17. क्या हैं नए खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड के सामने चुनौतियां... क्या वो सुधार पाएंगे खेलों के गिरते स्तर को ?
जवाब- किसी स्ट्रैटिजिक कारण से ये सोचा गया कि उन्हे सुचना प्रसारण मंत्रालय में ही रखना है तो उन्हे राज्यमंत्री के रूप में ही उन्हे रखा गया. तो उनका मान रखने के लिए उन्हे खेल मंत्रालय का चार्ज उन्हे दे दिया गया है. ऐसा माना जाना चाहिए कि खेल मंत्रालय को एक नया रोड मैप देंगे.

18. आखिर ऐन वक्त पर अर्जुन मेघवाल क्यों नहीं बन पाए पुड्डुचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर ? आखिर गडकरी ने उन्हें क्यों मांगा गंगा मंत्रालय में ?
जवाब- किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि मेघवाल जैसे यंग मिनिस्टर को पोंडिचेरी का राज्यपाल बनाया जा सकता है...मेघवाल कैंप के लोगों का यह कहना था कि नितिन गडकरी ने हमें मांगा है. इस सवाल का जवाब नितिन गडकरी ही दे सकते हैं

19. आखिर क्या हैं नए माइनॉरिटी मिनिस्टर नकवी का एजेंडा ?
जवाब- माइनॉरिटी मिनिस्टर का केवल एक ही एजेंडा है तीन साल से...टू रिमूव द डिस ट्रस्ट ऑर द लेक ऑफ ट्रस्ट बिटविन बीजेपी एण्ड माइनॉरिटीस लेकिन ये चुनौतिया पुरानी है और ये चुनौतियां हर अल्पसंक्यक मंत्री के सामने रही हैं.

20. क्या एक ब्यूरोक्रैट से मंत्री बने अलफोंस सफल हो पाएंगे पर्यटन मंत्रालय में ?
जवाब- इस पर एक प्रशन चिन्ह्न खुद ही अलफोंस ने लगा दिया है पर्यटन मंत्री के नाते उनका काम है विदेशी पर्यटकों को बढ़ावा देना...वैसे तो आने वाला व्क्त बताएगा कि वो सफल हो पाते हैं या नहीं क्योंकि टूरिज्म एक बहुत बड़ा सेक्टर है. देश में अगर देखा जाये तो 4018 बिलियन का टर्नओवर 2022 तक पूरा करना है. तो देखना है कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी को कैसे उठाते हैं.

21. आखिर क्यों बदला गया संतोष गंगवार का मंत्रालय ?
जवाब- संतोष गंगवार के चेंज में कोई नेगेटिव एक्सपैक्ट नहीं है वो कई बार अमित शाह से कह चुके थे कि वित्त मंत्रालय मेरे काम का नहीं है...तो मोदी ने उनकी बात को माना और उन्हे श्रम मंत्रालय का काम दिया है.

22. क्या पावर मिनिस्टरी में सफल हो पाएंगे ब्यूरोक्रेट से मंत्री बने राजकुमार सिंह ? क्या नीतीश कुमार को मोदी और अमित शाह के करीब लाने में उनकी रही है कोई भूमिका ?
जवाब- वेरि डिफिक्टल टू फांइड अ सबसिटियूट टू पियूष गोयल इन द पावर मिनिस्ट्री. तो आर.के सिंह कितने सफल होंगे नहीं कहा जा सकता. अब उनके सामने पावर रिफॉर्मस के अलावा जो चुनौतियां हैं वो दिन दयालउपाध्याय ग्राम योजना है. जिसके लिए आरएसएस के लोगों से क्लोज कॉडिनेशन चाहिए...आरएसएस के लोगों से उनके पुराने रिश्ते अच्छे नहीं रहे. अब उन्हे ये मंत्रालय किस कारण से दिया हुआ है ये मोदी और अमित शाह बेहतर जानते होंगे. लेकिन पावर मंत्रालय में उनका एक्सपेरिमेंट रिस्की है. ये आने वक्त में पता चलेगा कि ये एक्सपेरिमेंट सफल हुआ या नहीं.

23. क्या हैं नए UDH मंत्री हरदीप सिंह पुरी के सामने चुनौतियां ? क्या वो खरे उतर पाएंगे प्रधानमंत्री की उम्मीदों पर ?
जवाब- पुरी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है टूरेस्टो और कॉन्फिडेंस इन द रियल स्टेट सेक्टर जो मोटे तौर पर बर्बाद हो चुका है...ऐसे माहौल में नया मंत्री नए विचार के साथ आया है तो देखते हैं वो कैसा काम करता है. चुनौतियों के प्रशन में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी स्वछता अभियान की, दुसरी चुनौती स्मार्ट सिटी मिशन की, तीसरी चुनौती है प्रधानमंत्री अवास योजना की, जिसमें सरकार को 2022 तक 1 करोड़ मकान बना के देने हैं...

24. आखिर क्या कारण रहा पीपी चौधरी को कॉर्पोरेट मंत्रालय देने का ?
जवाब- पीपी चौधरी प्रधानमंत्री के करीब माने जाते हैं विधि राज्यमंत्री के रूप में उनकी परफॉर्मेंस से प्रधानमंत्री संतुष्ट बताए जाते हैं अब उन्हे आईटी से चेंज करके कॉर्परेट अफेयर्स में लाया गया है. तो ये माना जा रहा है कि जो 2 लाख कंपनियां फर्जी थीं.उन पर शिकंजा कैसे कसा जाये उन पर कानूनी पहलु क्या हो.

25. आखिर ऐन वक्त पर ड्रॉप होने से कैसे बच गए राधा मोहन सिंह ?
जवाब- ये चौंकाने वाली बात थी जब ये खबर आई कि राधा मोहन ड्रॉप हो रहे हैं..क्योंकि वो एक अच्छे मंत्री हैं..शायद ये कारण रहा होगा कि कृषि मंत्रालय बिहार को दिया जाता है...मेरा आंकलन ये है कि आने वाले दिनों में अगर कृषि मंत्रालय किसी बिहार के मिनिस्टर को दिया भी जाता है तो राधारमन ड्रॉप नहीं होंगे.

26. क्या अब भी है राजस्थान और मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के आसार ?
जवाब- मुझे ऐसा नहीं लगता...ऐसा लगता है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन के आसार अब समाप्त हो गए हैं...तो मोदी का फोक्स अब असेंबली पोल के बजाये, 2019 के पोल पे हो गया हैं तो ऐसी स्थिती में नहीं लगता है कि कोई भी मुख्यमंत्री बदलेगा...एक दिलचस्प चर्चा सुनाई दे रही है कि अगली बार दोनो चुनाव एक साथ करनाने का इराद है प्रधानमंत्री का लोकसभा का और विधानसभा का उस समय जो गैप होगा तो इन राज्यों में राष्ट्रपति शासन कुछ समय के लिए लागू किया जा सकता है. तो कुल मिलाकर हम ये ही कह सकते हैं कि ये ही मंत्री रहेंगे.

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