Assam: चुनाव से पहले दूसरी शादी कर लें..वरना जान पड़ेगा जेल, किस मुस्लिम MP को CM हिमंता ने दी नसीहत
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Assam: चुनाव से पहले दूसरी शादी कर लें..वरना जान पड़ेगा जेल, किस मुस्लिम MP को CM हिमंता ने दी नसीहत

Assam: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने धुबरी से एआईयूडीएफ सांसद बदरुद्दीन अजमल पर बड़ा हमला बोला है. धुबरी सांसद ने धर्म का हवाला देकर कहा था कि उन्हें दूसरी शादी से कोई नहीं रोक सकता है.

Assam: चुनाव से पहले दूसरी शादी कर लें..वरना जान पड़ेगा जेल, किस मुस्लिम MP को CM हिमंता ने दी नसीहत

Assam: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने धुबरी से एआईयूडीएफ सांसद बदरुद्दीन अजमल पर बड़ा हमला बोला है. धुबरी सांसद ने धर्म का हवाला देकर कहा था कि उन्हें दूसरी शादी से कोई नहीं रोक सकता है. जिसपर पलटवार करते हुए हिमंता ने कहा कि उन्हें (बदरुद्दीन अजमल) चुनाव से पहले शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि उसके बाद यूसीसी (समान नागरिक संहिता) लागू हो जाएगा और उन्हें जेल जाना पड़ जाएगा.

सीएम हिमंता का धुबरी सांसद पर हमला

असम के मुख्यमंत्री हिमंता ने शनिवार को कहा कि धुबरी से एआईयूडीएफ सांसद बदरुद्दीन अजमल अगर दोबारा शादी करना चाहते हैं, तो उन्हें चुनाव से पहले ऐसा करना चाहिए क्योंकि उसके बाद समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो जाएगी और उन्हें जेल जाना पड़ जाएगा. 

क्या कहा था अजमल ने?

अजमल ने हाल में कहा था कि भाजपा मुसलमानों को भड़काने की कोशिश कर रही है और अगर वह दोबारा शादी करना चाहते हैं तो उन्हें कोई नहीं रोक सकता क्योंकि उनका धर्म उन्हें ऐसा करने की इजाजत देता है.

शादियां गैर-कानूनी घोषित कर दी जाएंगी..

शर्मा ने उदलगुड़ी में एक चुनावी सभा से इतर कहा, ‘चुनाव के बाद यूसीसी लागू हो जाएगा और अगर वह (अजमल) दोबारा शादी करेंगे तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा क्योंकि सभी के लिए एक से अधिक शादियां गैर-कानूनी घोषित कर दी जाएंगी.’

क्या कहता है यूसीसी?

यूसीसी का यह तात्पर्य है कि समाज के सभी वर्गों, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, के साथ इस कानून के तहत समान व्यवहार किया जाएगा, जिसमें विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत, गोद लेना और संपत्ति उत्तराधिकार जैसे मामले शामिल होंगे.

बाल विवाह हो चुका है खत्म..

पिछले महीने, असम मंत्रिमंडल ने राज्य में बाल विवाह को समाप्त करने और यूसीसी के कार्यान्वयन की दिशा में एक कदम के रूप में असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने के निर्णय को मंजूरी दी थी.

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