सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के एक मामले में उसके समक्ष पेश ना होने पर न्यायमूर्ति सी एस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को व्यक्तिगत तौर पर न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ वारंट तामील कराने के निर्देश दिये जिससे कि 31 मार्च से पहले न्यायालय में उनकी पेशी सुनिश्चित हो सके.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के एक मामले में उसके समक्ष पेश ना होने पर न्यायमूर्ति सी एस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को व्यक्तिगत तौर पर न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ वारंट तामील कराने के निर्देश दिये जिससे कि 31 मार्च से पहले न्यायालय में उनकी पेशी सुनिश्चित हो सके.
न्यायमूर्ति कर्णन को अवमानना मामले में जमानत के लिए 10 हजार रुपये का निजी मुचलका भरना होगा. उच्चतम न्यायालय ने अवमानना नोटिस पर जवाब के रूप में न्यायमूर्ति कर्णन के पत्र पर विचार करने से इनकार किया.
न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ
बताया जा रहा है कि न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब हाई कोर्ट के मौजूदा जज को सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने अवमानना नोटिस जारी किया है. पहली बार ऐसा होगा जब हाई कोर्ट के मौजूदा जज सुप्रीम कोर्ट के जजों के सामने अवमानना के मामले में पेश होंगे.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के बावजूद जस्टिस कर्णन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए थे. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को पेश होने का मौका देते हुए उनको तीन हफ्तों का वक्त दिया था. इस मामले में सुनवाई दस मार्च को हुई.
Justice Karnan will have to furnish a personal bail bond of Rs 10,000 in the contempt case.
— ANI (@ANI_news) March 10, 2017
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें ये कारण नहीं पता कि जस्टिस कर्णन कोर्ट में पेश क्यों नहीं हुए. इसलिए हम इस मामले की फिलहाल सुनवाई नहीं कर रहे हैं. हम जस्टिस कर्णन से कुछ सवालों के जवाब चाहते हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में सात जजों की संवैधानिक पीठ कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन के खिलाफ अवमानना के मामले पर सुनवाई कर रही है. इससे पहले पीठ ने जस्टिस कर्णन को नोटिस जारी कर 13 फरवरी को पेश होने को कहा था और उनके न्यायिक और प्रशासनिक कामों पर रोक लगा दी थी.
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वहीं जस्टिस कर्णन ने इस नोटिस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि संविधान पीठ को जज के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया है कि दलित होने की वजह से उनके साथ ऐसा किया जा रहा है.
जानिए क्या है ये सारा मामला
दरअसल 23 जनवरी को जस्टिस कर्णन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के वर्तमान 20 जजों की लिस्ट भेजी थी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस कर्णन को अवमानना नोटिस जारी किया था. नौ फरवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट से अवमानना नोटिस जारी होने के बाद इस कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को खत लिखा. इस खत में कहा गया है कि हाई कोर्ट के मौजूदा जस्टिस के खिलाफ कार्यवाही सुनवाई योग्य नहीं है.
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जस्टिस कर्णन ने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर के रिटायर होने के बाद होनी चाहिए. अगर बहुत जल्दी हो तो मामले को संसद रेफर किया जाना चाहिए. इस दौरान न्यायिक और प्रशासनिक कार्य वापस कर दिए जाने चाहिए. चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुआई वाली सात जजों की बेंच पर सवाल उठाते हुए जस्टिस कर्णन ने उन पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है.