झारखंड : विपक्षी एकजुटता को साधने बीजेपी बदल सकती है अपनी रणनीति
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झारखंड : विपक्षी एकजुटता को साधने बीजेपी बदल सकती है अपनी रणनीति

झारखंड में राज्यसभा चुनाव के दौरान एक तरफ बीजेपी अपनी कारगर रणनीति के बूते दोनों सीट जीतने का दावा कर रही थी वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष को अपनी एकजुटता का दंभ था.

राज्यसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को मिली एक-एक सीट पर जीत. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

रांची: झारखंड में राज्यसभा चुनाव के दौरान एक तरफ बीजेपी अपनी कारगर रणनीति के बूते दोनों सीट जीतने का दावा कर रही थी वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष को अपनी एकजुटता का दंभ था. मुकाबला एक-एक की बराबरी पर रहा, लेकिन बीजेपी के अंदरखाने मिशन-19 को लेकर विरोधियों को परास्त करने के लिए रणनीति में बदलाव की खबर आ रही है. विपक्ष भी बीजेपी की हर अगली चाल पर बनाए हुए है.

  1. झारखंड में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को मिली एक-एक सीट पर जीत
  2. बीजेपी कर रही थी दोनों सीट जीतने का दावा
  3. धर्मेंद्र प्रधान को बीजेपी ने बनाया था पर्यवेक्षक

झारखंड में राज्यसभा चुनाव के दौरान विपक्षी एकजुटता के आगे बीजेपी की रणनीति कारगर साबित नहीं हो पाई या यूं कहें कि बीजेपी को दूसरी सीट पर सफलता नहीं मिली. ऐसे में अंदरखाने बीजेपी के रणनीतिकार की मानें तो पार्टी अब एक साथ कई प्लान पर काम कर रही है. विरोधियों की एकजुटता को झारखंड में मात देने के लिए पार्टी की रणनीति बनाने वाले अब नई और कारगर रणनीति बनाने में जुट गए हैं. इतना ही नहीं बीजेपी नेता विपक्ष की एकजुटता को स्वार्थ का गठबंधन बता रहे हैं.

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अंदरखाने बीजेपी विपक्षी एकजुटता से निपटने के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है. विरोधी बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं. विरोधियों की मानें तो विपक्षी एकजुटता के आगे बीजेपी की कोई रणनीति काम नहीं आएगी. वजह बीजेपी से जनता की नाराजगी बताते हैं.

झारखंड में साल 2019 में ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव होना है. बेशक चुनाव अलग-अलग होंगे, पर मिशन-19 पर निगाहें सभी की टिकी हुई हैं. बीजेपी जहां रणनीति में बदलाव कर विरोधियों को भेदना चाहती है वहीं, विपक्ष को एकजुटता पर मजबूत दावेदारी का भरोसा है.

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