BSF अधिकारी के विदाई समारोह में नहीं निभाई रस्सी खींचने की रस्म, इंस्पेक्टर को कारण बताओ नोटिस
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BSF अधिकारी के विदाई समारोह में नहीं निभाई रस्सी खींचने की रस्म, इंस्पेक्टर को कारण बताओ नोटिस

इंस्पेक्टर ने अपने पत्र में दलील दी थी कि विदाई समारोह (जिसमें रस्सी खींचने की परिपाटी हो) न तो ‘रेजिमेंटल’ होता है और न ही ‘आधिकारिक’ होता है और यह सम्मान सिर्फ इकाई या संस्था के प्रमुख को दिया जाता है. 

(प्रतीकात्मक फोटो साभार - @BSF_India)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक कमांडिंग अधिकारी (सीओ) ने बल के एक वरिष्ठ अधिकारी के विदाई समारोह में रस्सी खींचने की परिपाटी में शामिल नहीं होने पर एक इंस्पेक्टर को चेताया और उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया. इसके बाद सीओ और उप - अधिकारी के बीच चिट्ठियों की जंग छिड़ गई है. 

बीएसएफ की 155 वीं बटालियन के मौजूदा सीओ (दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी) ने अपने मातहत काम करने वाले इंस्पेक्टर के पत्र के बाद एक और खत लिखा. इंस्पेक्टर ने अपने पत्र में दलील दी थी कि विदाई समारोह (जिसमें रस्सी खींचने की परिपाटी हो) न तो ‘रेजिमेंटल’ होता है और न ही ‘आधिकारिक’ होता है और यह सम्मान सिर्फ इकाई या संस्था के प्रमुख को दिया जाता है. 

हाल के दिनों में बीएसएफ में सामने आई यह दूसरी घटना है जब एक वरिष्ठ अधिकारी ने सालों पुरानी परंपराओं एवं मान्यताओं का पालन नहीं करने पर अपने कनिष्ठ अधिकारी को फटकार लगाई हो.  बीते मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस वक्त नाखुशी जाहिर की थी जब बीएसएफ के एक सीओ ने प्रधानमंत्री का कथित अनादर करने पर बल के एक जवान के सात दिनों का वेतन काटने का फैसला किया था. पीएम मोदी के निर्देश के बाद सीओ को अपना यह आदेश वापस लेना पड़ा था. 

क्या है पूरा मामला?
-ताजा मामला तब सामने आया है जब इंस्पेक्टर दामोदर बीबी, बंगाल के सालुगुरा स्थित बीएसएफ शिविर में 6 जून को सुबह 9 बजे यूनिट के मेस से सहायक कमांडेंट रैंक के एक अधिकारी की विदाई के मौके पर उनके वाहन को रस्सियों से खींचने की परिपाटी में शामिल नहीं हुए.

-उसी दिन यूनिट के उप - प्रमुख मनीष नेगी -जो कमांडिंग अधिकारी के अवकाश पर होने की वजह से उनकी जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे, ने दामोदर को स्पष्टीकरण सह चेतावनी पत्र जारी किया और कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की वजह पूछी. 

-इंस्पेक्टर ने जवाब दिया कि वह ‘रूटीन’ के हिसाब से उस दिन काम पर गए थे , क्योंकि उन्हें कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा कार्यक्रम न तो ‘रेजिमेंटल’ होता है और न ही ‘आधिकारिक’ होता है और यह सम्मान सिर्फ उन्हें ही दिया जाता है जो विभाग के प्रमुख होते हैं और मौजूदा मामले में ऐसा नहीं था.

-नेगी ने दामोदर को फिर एक कारण बताओ नोटिस जारी कर कहा कि इंस्पेक्टर को पता होना चाहिए कि बल की परंपरा रही है कि जब भी कोई अधिकारी सेवानिवृत हो रहा हो या उसका तबादला हुआ हो तो नई तैनाती पर जाने से पहले उसकी विदाई की जाती है. 

बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि बल के उत्तर बंगाल फ्रंटियर और मुख्यालय ने घटना का संज्ञान लिया है और मामले से जुड़े तथ्यों एवं परिस्थितियों का पता लगाने के लिए छानबीन की जा रही है. 

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