वध के लिए पशुओं की ख़रीद-फ़रोख़्त: केंद्र के नए नियम पर मद्रास हाई कोर्ट की रोक, चार हफ़्तों में मांगा जवाब
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वध के लिए पशुओं की ख़रीद-फ़रोख़्त: केंद्र के नए नियम पर मद्रास हाई कोर्ट की रोक, चार हफ़्तों में मांगा जवाब

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पशु बिक्री को लेकर जारी किए गए नए नियमों पर मंगलवार (30 मई) को को रोक लगा दी. उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

मद्रास उच्च न्यायालय. (फाइल फोटो)

चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने वध के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी लगाने वाली केंद्र की अधिसूचना पर मंगलवार (30 मई) को चार हफ्तों के लिए रोक लगा दी और इस सिलसिले में दायर जनहित याचिकाओं पर उसका जवाब मांगा. दरअसल, जनहित याचिकाओं (पीआईएल) में यह दलील दी गई है कि इन नये नियमों के लिए सर्वप्रथम संसद की मंजूरी लेनी चाहिए थी.

न्यायमूर्ति एम वी मुरलीधरन और न्यायमूर्ति सी वी कार्तिकेयन की मदुरै पीठ ने दो याचिकाओं पर अंतरिम आदेश जारी किया, जिनमें कहा गया था कि नियमों को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि वे संविधान के खिलाफ हैं, परिसंघ के सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं और मूल कानून - जंतु निर्ममता निवारण अधिनियम 1960 के विरोधाभासी हैं. याचिकाकर्ताओं की यह दलील कि अधिसूचना भोजन से जुड़ी है और इसलिए इसके लिए संसद की मंजूरी लेनी होगी, का जिक्र करते हुए न्यायाधीशों ने केंद्र से चार हफ्ते के अंदर दाखिल किए जाने वाले अपने जवाबी हलफनामे में इस बिंदु पर भी जवाब देने को कहा.

अदालत का यह आदेश ऐसे समय आया है जब केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी की राज्य सरकारें तथा कई गैर.भाजपा पार्टियां केंद्र के फैसले का विरोध कर रही हैं. प्रतिबंध के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से केरल और तमिलनाडु के कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि यह लोगों की खान-पान की आदत के खिलाफ है. नए नियमों को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अधिसूचित किया है जो बूचड़खानों के लिए या धार्मिक उद्देश्यों के लिए पशुओं की बलि को लेकर बैल, गाय, उंट की खरीद फरोख्त को प्रतिबंधित करता है.

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि नये प्रावधानों की अधिसूचना 23 मई को जारी की गई जब अदालतें अवकाश पर थी. ऐसे नियमों पर संसद में चर्चा होनी और उसकी मंजूरी लेनी चाहिए. पशुओं की खरीद फरोख्त पर पाबंदी लगाने वाले निमय संविधान के तहत मिली धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने कहा कि भोजन (मांसाहारी या शाकाहारी) पसंद करने का अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता और विवेक तथा निजता के अधिकार का हिस्सा है.

वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी

इससे पहले सरकार ने शुक्रवार (26 मई) को वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने जीवों से जुड़ीं क्रूर परंपराओं पर भी प्रतिबंध लगाया है जिसमें उनके सींग रंगना तथा उन पर आभूषण या सजावट के सामान लगाना शामिल है.

पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त ‘पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017’ को अधिसूचित किया है. केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री हषर्वर्धन ने कहा कि नये नियम बहुत ‘स्पष्ट’ हैं और इसका उद्देश्य पशु बाजारों तथा मवेशियों की बिक्री का नियमन है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि ये प्रावधान पशुओं पर केवल पशु बाजारों तथा संपत्ति के रूप में जब्त पशुओं पर लागू होंगे. उन्होंने कहा कि ये नियम अन्य क्षेत्रों को कवर नहीं करते हैं. पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना पशु कल्याण के निर्देश के अनुरूप है. अधिसूचना के मुताबिक पशु बाजार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख्स बाजार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिये न लेकर आये.

इसमे कहा गया ‘किसी भी शख्स को पशु बाजार में मवेशी को लाने की इजाजत नहीं होगी जबतक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित यह लिखित घोषणा-पत्र न दे दे जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो.’ अधिसूचना के मुताबिक, ‘मवेशी की पहचान के विवरण के साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि मवेशी को बाजार में बिक्री के लिये लाने का उद्देश्य उसका वध नहीं है.’

केरल सीएम पिनारई विजयन ने जताया विरोध

केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने 26 मई को कहा कि अगर आज उन्होंने पशु वध को प्रतिबंधित किया है तो वे कल मछली खाने पर रोक लगा देंगे. मलयालम में किये फेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने जनता से भाजपा नीत सरकार के ‘इस असभ्य फैसले’ के खिलाफ गुस्सा दिखाने को कहा. उन्होंने कहा कि यह देश के ‘धर्मनिरपेक्ष छवि को खराब करने का प्रयास’ है.

पशु बाजार में वध के लिए पशुओं की बिक्री पर रोक लगाए जाने को लेकर केंद्र पर बरसते हुए केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने रविवार (28 मई) को कहा कि उनके राज्य के लोगों को खाने की आदतों के बारे में नई दिल्ली या नागपुर से सीख लेने की आवश्यकता नहीं है.

उन्होंने यहां एक समारोह में कहा कि केरल के निवासियों की खाने की पारंपरिक आदतें हैं जो स्वस्थ और पौष्टिक है. इसे कोई नहीं बदल सकता. विजयन ने कहा कि राज्य सरकार लोगों को अपनी पसंद का भोजन करने के लिए सभी सुविधाएं देगी. केरलवासियों के लिए नयी दिल्ली या नागपुर में किसी से सीख लेने की कोई आवश्यकता नहीं है.

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