भारत में धर्मनिरपेक्षता और कट्टरवाद के विचारों के बीच टकराव : तस्लीमा
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भारत में धर्मनिरपेक्षता और कट्टरवाद के विचारों के बीच टकराव : तस्लीमा

बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने रविवार को कहा कि भारत में टकराव हिंदुत्व और इस्लाम के बीच नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्षता और कट्टरवाद के विचारों के बीच है। तस्लीमा ने एक वीडियो संदेश में कहा ‘भारत में टकराव है, यह टकराव धर्मनिरपेक्षता और कट्टरवाद के दो विभिन्न विचारों के बीच है। मैं उनसे सहमत नहीं हूं जो सोचते हैं कि टकराव हिंदुत्व और इस्लाम के बीच है।’

बेंगलुरु : बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने रविवार को कहा कि भारत में टकराव हिंदुत्व और इस्लाम के बीच नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्षता और कट्टरवाद के विचारों के बीच है। तस्लीमा ने एक वीडियो संदेश में कहा ‘भारत में टकराव है, यह टकराव धर्मनिरपेक्षता और कट्टरवाद के दो विभिन्न विचारों के बीच है। मैं उनसे सहमत नहीं हूं जो सोचते हैं कि टकराव हिंदुत्व और इस्लाम के बीच है।’

उन्होंने कहा ‘मेरे लिए यह टकराव मूलत: तर्कसंगत तार्किक सोच और तर्कहीन अंधी आस्था के बीच है। मेरे लिये यह टकराव आधुनिकता और आधुनिकता के विरोध के बीच, मानवतावाद और बर्बरता के बीच, नवाचार और परंपरा के बीच है।’ तस्लीमा ने कहा ‘कुछ लोग जहां आगे जाने का प्रयास करते हैं तो कुछ पीछे जाने की कोशिश में होते हैं। यह टकराव उनके बीच है जो स्वतंत्रता को महत्व देते हैं और जो नहीं देते।’

बांग्लादेश की लेखिका का रिकॉर्डेड वीडियो संदेश बेंगलुरु साहित्य महोत्सव 2015 में ‘क्या हम आज एक असहिष्णु भारत की ओर बढ़ रहे हैं?’ विषय पर आयोजित एक सत्र के दौरान दिखाया गया। उन्होंने कहा कि भारत मूलत: असहिष्णु देश नहीं है। इसका संविधान और कानून असहिष्णुता और कट्टरता पर आधारित नहीं हैं लेकिन यह सच है कि धार्मिक समूहों में कुछ लोग असहिष्णु हैं और यह बात हर समाज में आम है।

तस्लीमा ने कहा कि समानता और न्याय, विचारों की बहुलता, अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता और भारत को प्रेम करने पर विचार करने वाले लोगों को चाहिए कि इस देश को बेहतर स्थान बनाएं।

 

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