दिल्ली के गुरुद्वारों में लंगर बायो गैस से बनेगा, जानें कब से होगी इसकी शुरुआत
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दिल्ली के गुरुद्वारों में लंगर बायो गैस से बनेगा, जानें कब से होगी इसकी शुरुआत

लंगर की रसोई में बची सब्जियों, फलों और बचे खाने का अधिकतम सदुपयोग करके इसे क्लीन एनर्जी के रूप में प्रयोग हो सकेगा

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने राजधानी के सभी दस ऐतिहासिक गुरुद्वारों में लंगर बनाने के लिए बायो गैस प्लांट स्थापित करने का फैसला किया है ताकि लंगर की रसोई में बची सब्जियों, फलों और बचे खाने का अधिकतम सदुपयोग करके इसे क्लीन एनर्जी के रूप में प्रयोग किया जा सके. साथ ही गुरुद्वारे परिसरों को पूरी तरह कूड़ा-कचरा, जूठन मुक्त किया जा सके और नालियों के जाम होने की समस्या से पूरी तरह छुटकारा मिल सके.

  1. गुरुद्वारों में बायो गैस प्लांट अक्टूबर 2018 तक काम करना शुरू करेंगे
  2. नालियों के जाम होने की समस्या से पूरी तरह छुटकारा मिल सके
  3. 10 ऐतिहासिक गुरुद्वारों में रोजाना लगभग एक लाख लोग लंगर में शामिल होते हैं

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष मंजीत सिंह ने बताया की स्वच्छ भारत अभियान के तहत कार्बन फुट प्रिंट को कम करने और पर्यावरण को सुधारने के लिए गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब और गुरुद्वारा बंगला साहिब में बायो गैस प्लांट स्थापित किए जाएंगे जहां प्रत्येक गुरुद्वारे में रोजाना लगभग 30,000 लोग लंगर खाते हैं. 

इन दो गुरुद्वारों में सबसे ज्यादा बायोडिग्रेडेबल (विघटन होने योग्य कचरा) कूड़ा-कचरा इकट्ठा होता है. यह बायो गैस प्लांट अंतर्रष्ट्रीय ख्याति की ऑर्गेनिक बेस्ट कंवर्टर कंपनी के सहयोग से स्थापित किए जाएंगे और एक मल्टी नेशनल कंपनी सामाजिक दायित्व (कॉपोर्रेट सोशल रिस्पॉन्सिबलिटी) के अधीन इस परियोजना को आर्थिक मदद प्रदान करने के लिए सहमत है. 

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उन्होंने कहा की प्रत्येक गुरुद्वारा में रोजाना फल-सब्जियों और बचा खाने के रूप में औसतन तीन बायोडिग्रेडेबल क्विंटल कचरा होता है जबकि प्रत्येक बायो गैस प्लांट औसतन चार क्विंटल कचरे को परिष्कृत कर सकता है. इन दोनों गुरुद्वारों में बायो गैस प्लांट अक्टूबर 2018 तक कार्य करना शुरू कर देंगे.

रोजाना एक लाख लोग लंगर में होते हैं
दिल्ली के 10 ऐतिहासिक गुरुद्वारों में रोजाना लगभग एक लाख लोग लंगर प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसमें चपाती, दाल, सब्जी, खीर, सलाद आदि पूर्ण डाइट शामिल होती है. जबकि गुरुपर्व होली, दीपावली तथा सप्ताह के अंतिम दिनों में इनकी संख्या बढ़कर लगभग पांच लाख तक पहुंच जाती है.

लंगर का खास खयाल रखा जाता है
गुरुद्वारों में लंगर की गुणवत्ता, स्वच्छता, पौष्टिकता आदि पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रबंधक समितियों का गठन किया गया है. इसके तहत देसी घी, खाद्य तेल आदि को प्रयोग से पहले सरकारी प्रयोगशाला में जांच परखा जाता है जबकि सब्जियों की ताजगी तथा पौष्टिकता को सुनिश्चित किया जाता है.

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