अंकिव बसोया मामले पर बोले राहुल, 'BJP में मंत्रिमंडल का दरवाजा फर्जी डिग्री से खुलता है'
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अंकिव बसोया मामले पर बोले राहुल, 'BJP में मंत्रिमंडल का दरवाजा फर्जी डिग्री से खुलता है'

राहुल गांधी ने कहा, 'शैक्षिक संस्थानों पर प्रहार और फ़र्ज़ी डिग्री वालों को सत्ता पर बिठाना आरएसएस का पुराना सिद्धांत है. इसीलिए डीयू पर आरएसएस का फ़र्जिकल स्ट्राइक जारी है.' 

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा,'श्री छप्पन (मोदी) और उनके मंत्रियों ने छात्रों को दिखाया है कि बीजेपी में मंत्रिमंडल का शीघ्र द्वार फ़र्ज़ी डिग्री दिखा कर खुलता है.'   (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फर्जी डिग्री विवाद के कारण एबीवीपी से निलंबित किए गए डूसू अध्यक्ष अंकिव बसोया के मामले को लेकर शुक्रवार को बीजेपी पर निशाना साधा. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी में मंत्रिमंडल का दरवाजा फर्जी डिग्री दिखाकर खुलता है.

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा,'श्री छप्पन (मोदी) और उनके मंत्रियों ने छात्रों को दिखाया है कि बीजेपी में मंत्रिमंडल का शीघ्र द्वार फ़र्ज़ी डिग्री दिखा कर खुलता है.'  उन्होंने कहा, 'शैक्षिक संस्थानों पर प्रहार और फ़र्ज़ी डिग्री वालों को सत्ता पर बिठाना आरएसएस का पुराना सिद्धांत है. इसीलिए डीयू पर आरएसएस का फ़र्जिकल स्ट्राइक जारी है.' 

एबीवीपी ने बयोया को अपने पद से इस्तीफा देने को कहा
बता दें एबीवीपी ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के अध्यक्ष अंकिव बसोया को अपने पद से इस्तीफा देने को कहा है और उनके विरुद्ध फर्जी डिग्री सौंपने के संबंध में लगे आरोपों की जांच पूरी होने तक उन्हें संगठन से निलंबित भी कर दिया है. कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने आलोचना की कि उच्च न्यायालय की सुनवाई से पहले दबाव में यह निर्णय लिया गया है.

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परिषद ने एक बयान में कहा कि उसने बसोया को डूसू अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को कहा है और दिल्ली विश्वविद्यालय की सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने तक उसे एबीवीपी में सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया है. परिषद ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की ‘साख’ को बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया. 

एनएसयूआई ने की एबीवीपी की आलोचना
हालांकि, एनएसयूआई ने कहा कि स्पष्टत: यह 20 नवंबर को उच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई से पहले दबाव में लिया गया निर्णय है. एनएसयूआई ने कहा, ‘एबीवीपी जो भी थोड़ा-बहुत अपना चेहरा बचा सकती थी, उसे बचाने की यह कोशिश है. उसने मामला सामने आने के बाद उन्हें (बसोया को) पद से हटने के लिए कहने की जगह डूसू अध्यक्ष पद एबीवीपी के पास बनाए रखने के लिए दो महीने तक इंतजार किया. एबीवीपी ने अपनी जांच कमेटी भी नहीं गठित की. अतएव, देर हो चुकी इस घड़ी में लिया गया यह निर्णय स्पष्ट रूप से स्वार्थपूर्ण और कायराना है. ’

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को बसोया की तमिलनाडु के एक विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री की प्रामाणिकता की जांच के लिए 20 नवंबर तक का समय दिया था. फिर से चुनाव कराने के लिए निर्धारित दो महीने का समय 13 नवंबर को समाप्त हो गया.

बसोया सितंबर में डूसू अध्यक्ष निर्वाचित हुआ था. एनएसयूआई और आइसा ने डीयू प्रशासन पर बसोया की कथित फर्जी डिग्री की जांच में जान-बूझकर देरी करने का आरोप लगाया है.

(इनपुट - भाषा)

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