दिल्‍ली: आज तय होगा ऑड-ईवन योजना का भविष्‍य, मामले में हाईकोर्ट करेगी सुनवाई
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दिल्‍ली: आज तय होगा ऑड-ईवन योजना का भविष्‍य, मामले में हाईकोर्ट करेगी सुनवाई

दिल्ली हाइकोर्ट में शुक्रवार को ऑड-ईवन फ़ॉर्मूले का भविष्य तय होगा। हाईकोर्ट की ओर से आज इस बाबत निर्णय सुनाए जाने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, आज दिल्ली सरकार कोर्ट को यह बताएगी कि इस फॉर्मूले से प्रदूषण कितना कम हुआ है। दिल्ली सरकार की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे पेश होंगे। वहीं, दिल्‍ली सरकार एक जनवरी से 7 जनवरी तक के वायु प्रदूषण का आंकड़ा आज कोर्ट में पेश करेगी।

दिल्‍ली: आज तय होगा ऑड-ईवन योजना का भविष्‍य, मामले में हाईकोर्ट करेगी सुनवाई

नई दिल्ली : दिल्ली हाइकोर्ट में शुक्रवार को ऑड-ईवन फ़ॉर्मूले का भविष्य तय होगा। हाईकोर्ट की ओर से आज इस बाबत निर्णय सुनाए जाने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, आज दिल्ली सरकार कोर्ट को यह बताएगी कि इस फॉर्मूले से प्रदूषण कितना कम हुआ है। दिल्ली सरकार की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ वकील और पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे पेश होंगे। वहीं, दिल्‍ली सरकार एक जनवरी से 7 जनवरी तक के वायु प्रदूषण का आंकड़ा आज कोर्ट में पेश करेगी।

ज्ञात हो कि दिल्‍ली सरकार के सम-विषम फॉर्मूले से लोगों को होने वाली असुविधा और अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन की बात रेखांकित करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते दिनों आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से इस बारे में विचार करने को कहा था कि क्या राजधानी में वाहनों को चलाने की इस योजना को पहले से तय एक पखवाड़े से कम करके एक हफ्ते का किया जा सकता है। योजना के क्रियान्वयन पर सरकार द्वारा जमा की गयी स्थिति रिपोर्ट को ‘अस्पष्ट’ बताते हुए अदालत ने डीजल और सीएनजी पर चल रहीं टैक्सियों से होने वाले प्रदूषण के बारे में जानकारी भी मांगी जिन्हें सम-विषम योजना के दायरे से बाहर रखा गया है। अदालत ने एक जनवरी से सात जनवरी के बीच प्रदूषण स्तर में बदलाव से जुड़े आंकड़े भी मांगे थे, जब योजना एक सप्ताह पूरा कर लेगी। पीठ ने कहा था कि आपको (सरकार को) इस बारे में सोचना होगा। आपकी स्थिति रिपोर्ट अस्पष्ट है और बहुत ज्यादा कुछ नहीं बताती। सार्वजनिक परिवहन पर्याप्त नहीं है। क्या इसे 15 दिन तक संचालित करना वाकई जरूरी है?

 

मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंतनाथ की खंडपीठ ने कहा था कि आपके लिए क्या ये छह दिन काफी नहीं हैं? हमने सरकार को इस योजना को एक सप्ताह के लिए चलाने की अनुमति दी थी जिस दौरान वे शहर में प्रदूषण स्तर से संबंधित आंकड़े एकत्रित करेंगे। पीठ ने यह भी कहा था कि इन छह दिनों में आपको प्रदूषण स्तर से संबंधित आंकड़े एकत्रित कर लेने चाहिए। हमें लगता है कि यह आपके लिए पर्याप्त है। आपको बड़े स्तर पर जनता को होने वाली असुविधा के बारे में सोचना होगा। योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि वह नीतियों में हस्तक्षेप नहीं करती लेकिन सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए क्योंकि लोग अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं और उन्हें हो रही परेशानी के बारे में शिकायत कर रहे हैं।

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की तारीख 8 जनवरी निर्धारित कर दी थी। अदालत ने सरकारी वकील से सरकार से इस बारे में निर्देश प्राप्त करने को कहा कि क्या यह पायलट परियोजना 15 दिनों की बजाय सिर्फ एक सप्ताह तक चलाई जा सकती है। उच्च न्यायालय का यह निर्देश वकीलों समेत विभिन्न लोगों की ओर से दायर याचिकाओं पर सामने आया, जिसमें 28 दिसंबर 2015 की आप सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी गई है जो सम विषय वाहन व्यवस्था से संबंधित थी।

 

दिल्ली उच्च न्यायालय बार संघ के अध्यक्ष राजीव खोसला द्वारा दाखिल एक याचिका में अधिसूचना को रद्द किये जाने की मांग करते हुए दिल्ली सरकार से इस बारे में स्पष्टीकरण देने की मांग की गई है कि उसे मोटर वाहन अधिनियम में जरूरी संशोधन किये बिना योजना का उल्लंघन करने वालों पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाने का क्या अधिकार है। याचिकाकर्ताओं का विरोध करते हुए वरिष्ठ स्थाई वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि योजना केवल 15 दिन के लिए है और जनता को हो रही असुविधाओं से राज्य सरकार भी उतनी ही दुखी है। योजना से महिलाओं और दोपहिया वाहनों को छूट क्यों दी गयी है, अदालत के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए दिल्ली सरकार ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि वह महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है और दोपहिया वाहनों पर सम-विषम योजना लागू करने से होगा यह कि अपर्याप्त सार्वजनिक परिवहन के चलते परिवहन व्यवस्था ठप हो जाएगी।

गौर हो कि दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने बीते दिनों कहा था कि सम-विषम योजना का सबसे बड़ा फायदा ये है कि गाड़ियों का जमावड़ा नहीं लग रहा और 15 दिनों के लिए इस कदम का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि सरकार ‘समुचित आंकड़ा’ जुटा सके। राय ने जोर दिया कि 15 जनवरी तक लागू होने वाली योजना से शहर में निश्चित तौर पर प्रदूषक स्तर में कमी आएगी और बड़े प्रावधानों के लिए थोड़ी दिक्कतें तो होती है। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित आंकड़े दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किए जाएंगे। अदालत ने आप सरकार से विचार करने को कहा है कि क्या योजना को केवल एक हफ्ते तक सीमित किया जा सकता है।

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