उमर खालिद के खिलाफ फिलहाल दंडात्मक कदम नहीं उठाए जेएनयू: दिल्ली हाईकोर्ट
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उमर खालिद के खिलाफ फिलहाल दंडात्मक कदम नहीं उठाए जेएनयू: दिल्ली हाईकोर्ट

जेएनयू की हाईलेवल जांच कमेटी ने उमर खालिद के निष्कासन और कन्हैया कुमार पर लगाए गए 10 हजार रुपए के जुर्माने को सही ठहराया था.

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने उमर की अर्जी पर जेएनयू को नोटिस जारी किया.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) को निर्देश दिया कि वह अपने छात्र उमर खालिद के खिलाफ शुक्रवार तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करे. साल 2016 में जेएनयू परिसर में हुए एक विवादित कार्यक्रम में कथित तौर पर भारत-विरोधी नारेबाजी के सिलसिले में उमर को जेएनयू से निष्कासित कर दिया गया और उस पर 20,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने उमर की अर्जी पर जेएनयू को नोटिस जारी किया. उमर ने अर्जी में विवादित कार्यक्रम के सिलसिले में चार जुलाई को जेएनयू के एक अपीलीय अधिकारी की ओर से उस पर लगाए गए जुर्माने को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की ओर से दायर अर्जी के साथ उमर की अर्जी पर भी शुक्रवार को सुनवाई होगी. कन्हैया पर अपीलीय अधिकारी ने 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है. 

सुनवाई के दौरान उमर के वकील ने कहा कि इस मामले में जल्दबाजी इसलिए है क्योंकि जुर्माने की रकम अदा करने के लिए अधिकारियों को दो हफ्ते का वक्त दिया गया है. जेएनयू के वकील ने कहा कि उमर को 23 जुलाई से शुरू हो रहे एक सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया गया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जहां तक जुर्माने की रकम अदा करने का सवाल है, इसमें कोई जल्दबाजी नहीं है. अदालत ने कहा कि इस बीच, जेएनयू याचिकाकर्ता (उमर) के खिलाफ दंडात्मक कदम नहीं उठाएगा. आपको बता दें कि जेएनयू की हाईलेवल जांच कमेटी ने उमर खालिद के निष्कासन और कन्हैया कुमार पर लगाए गए 10 हजार रुपए के जुर्माने को सही ठहराया था. अफजल गुरू को फांसी देने के खिलाफ जेएनयू कैंपस में लगे कथित राष्‍ट्रविरोधी नारों के बाद इस कमेटी का गठन किया गया था. पांच सदस्यीय पैनल ने अनुशासन का उल्लंघन करने पर यूनिवर्सिटी के 13 अन्य छात्रों पर जुर्माना भी लगाया था. इसके बाद छात्रों ने दिल्ली हाई‍कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अदालत ने यूनिवर्सिटी को पैनल के फैसले की समीक्षा के लिए मामला किसी अपीलीय अधिकारी के सामने रखने का निर्देश दिया था.  

(इनपुट भाषा से)

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