वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का निधन, एडिटर्स गिल्ड ने इन शब्दों में किया याद
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वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का निधन, एडिटर्स गिल्ड ने इन शब्दों में किया याद

वह 95 वर्ष के थे. उनका जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में 1923 में हुआ था और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उर्दू अखबार से की थी. नैयर को प्रेस की आजादी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाले पत्रकार के रूप में जाना जाता है.

वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का निधन, एडिटर्स गिल्ड ने इन शब्दों में किया याद

नई दिल्ली : प्रेस की आजादी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा संघर्षरत रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का बुधवार (23 अगस्त 2018) रात के बाद यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे. उनका जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में 1923 में हुआ था और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उर्दू अखबार से की थी. नैयर को प्रेस की आजादी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने वाले पत्रकार के रूप में जाना जाता है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस और स्टेट्समैन सहित विभिन्न अखबारों में काम किया. वरिष्ठ पत्रकार के बड़े बेटे सुधीर नैयर ने बताया कि उनके पिता की मौत रात के बाद 12 बजकर 30 मिनट पर एस्कॉर्ट्स अस्पताल में हुई. सुधीर ने बताया कि नैयर निमोनिया से पीड़ित थे और पांच दिन पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था. उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं. वह 1990 में ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त भी रहे और 1997 में उन्हें राज्य सभा के लिए मनोनीत किया गया. 1975 में आपातकाल के दौरान उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी.

नैयर ने भारत और पाकिस्तान के बीच के तनावपूर्ण संबंधों को भी सामान्य करने की लगातार कोशिश की. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर अमृतसर के निकट अटारी-बाघा सीमा पर मोमबत्तियां जलाने वाले कार्यकर्ताओं के दल का नेतृत्व भी किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक प्रकट करते हुए कुलदीप नैयर को ‘‘बुद्धिजीवी’’ बताया और कहा कि वरिष्ठ पत्रकार को उनके निर्भीक विचारों के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह नैयर के निधन से दुखी हैं.

मोदी ने टि्वटर पर कहा, ‘‘कुलदीप नैयर हमारे समय के बुद्धिजीवी थे. अपने विचारों में स्पष्ट और निर्भीक. बेहतर भारत के निर्माण के लिए उनकी प्रतिबद्धता, जन सेवा और आपातकाल के खिलाफ उनके कड़े रुख को हमेशा याद किया जाएगा.’’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने पत्रकार के परिवार, उनके प्रशंसक और सहकर्मियों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की है. ममता ने ट्वीट किया, ' निडर पत्रकार और लेखक कुलदीप नैयर की मौत से दुखी हूं, मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, प्रशंसक और सहकर्मियों के साथ है.' एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपने एक संदेश में कहा कि नैयर अपनी विश्वसनीयता, मानक और पैनेपन से आने वाले युवा पत्रकारों को प्रेरित करते रहेंगे.

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नैयर गिल्ड के संस्थापकों में से एक थे और इसके अध्यक्ष भी रहे थे. गिल्ड ने अपने बयान में नैयर को पत्रकारिता जगत का बेहद प्रतिष्ठित सदस्य बताया है. गिल्ड ने नैयर को ‘ संवाददाताओं का संपादक’ बताते हुए कहा कि वह विभिन्न समाचार संगठनों में नेतृत्वकर्ता के पद पर रहे और हमेशा संपादकों तथा संवाददाताओं की टीम में पैनापन और गंभीरता भरते रहे. संगठन ने कहा, ' एक मार्गदर्शक के तौर पर कुलदीप नैयर अपनी लेखनी के जरिए आपातकाल के दौरान मीडिया की स्वतंत्रता पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ लड़ते रहे और इसके परिणामस्वरूप उनकी गिरफ्तारी भी हुई.'

गिल्ड ने कहा कि पत्रकारिता जगत में योगदान के लिए जल्द ही उन्हें सम्मानित करने के प्रस्ताव पर वह विचार करेगा. द वीक मैगजीन के संपादक सच्चिदानंद मूर्ति ने नैयर को प्रेस की आजादी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा संघर्षरत रहने वाले पत्रकार के रूप में याद किया है. मूर्ति ने कहा, ' उन्होंने राजीव गांधी सरकार द्वारा लाए गए विवादित मानहानि विधेयक का विरोध किया था. भारत में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए वह सदैव काम करते रहे.' नैयर ने ‘बियॉन्ड द लाइन्स: एन ऑटोबायोग्राफी' और ‘बिट्वीन द लाइन्स’ जैसी प्रसिद्ध पुस्तकें लिखी. इसके अलावा उन्होंने भारतीय राजनीति से संबंधित कई किताबें लिखी. वरिष्ठ पत्रकार प्रतिष्ठित स्तंभकार थे और उनके लेख 50 से ज्यादा अखबारों में प्रकाशित हो रहे थे.

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