JNU में चीजें हास्यास्पद रूप से बिगड़ रही हैं : जेएनयू प्रोफेसर
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JNU में चीजें हास्यास्पद रूप से बिगड़ रही हैं : जेएनयू प्रोफेसर

कविता सिंह को यहां आने के बाद मालूम हुआ कि पुरस्कार समारोह में जाने के लिये उनके छुट्टी के आवेदन को जेएनयू कुलपति ने रद्द कर दिया है.

(फाइल फोटो)

बेंगलुरु : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की प्रोफेसर और इन्फोसिस पुरस्कार 2018 की विजेता कविता सिंह को यहां आने के बाद मालूम हुआ कि पुरस्कार समारोह में जाने के लिये उनके छुट्टी के आवेदन को जेएनयू कुलपति ने रद्द कर दिया है. इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में चीजें ‘‘हास्यास्पद तरीके से बिगड़’’ गई हैं.

इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन (आईएसएफ) द्वारा आयोजित पुरस्कार कार्यक्रम में शामिल होने के लिये बेंगलुरु पहुंचीं सिंह को अपनी छुट्टी के आवेदन के खारिज होने का पता चला. शनिवार रात उन्होंने यह पुरस्कार प्राप्त किया.

पुरस्कार पाने के बाद उन्होंने जेएनयू का शुक्रिया अदा किया और कहा कि हाल में अब तक यह संस्थान बेहद अनुकूल, सौहार्दपूर्ण और सहयोगी स्थान रहा. सिंह जेएनयू में 17 साल से पढ़ा रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास कभी अधिक पैसा या सुविधाएं नहीं रहीं लेकिन हमारे पास शानदार सहयोगी और अकादमिक आजादी रही. आज चीजें बिगड़ रहीं हैं. मेरे संस्थागत घर में चीजें हास्यास्पद रूप से बिगड़ गई हैं.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘आप पूछ सकते हैं कि जीचें कितनी बिगड़ी हैं? बेंगलुरु पहुंचने पर जब मैंने अपना ईमेल देखा तो मुझे पता चला कि यहां आने के लिये मैंने जो छुट्टी का आवेदन दे रखा था उसे मेरे कुलपति ने खारिज कर दिया है. इसलिए कृपया इस बात से अवगत रहें कि यहां आज इस मंच पर मेरी उपस्थिति गैरकानूनी है.’’ 

सिंह एक प्रोफेसर हैं और नयी दिल्ली स्थित जेएनयू में स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड ऐस्थेटिक्स की डीन हैं. सिंह को यह पुरस्कार मुगल, राजपूत और दक्कन कला पर अद्वितीय कार्य के लिये प्रदान किया गया है. आईएसएफ ने विज्ञान एवं अनुसंधान की विभिन्न श्रेणियों में इंफोसिस पुरस्कार 2018 जीतने वाले छह प्रख्यात प्रोफेसरों को यहां शनिवार रात सम्मानित किया और अपने 10 साल पूरे करने का जश्न भी मनाया.

वार्षिक पुरस्कार में शुद्ध सोने का एक पदक, एक प्रशस्ति पत्र और एक लाख अमेरिकी डॉलर (इतनी ही राशि के बराबर भारतीय रुपये) का नकद पुरस्कार शामिल है. जाने-माने वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों के छह सदस्यीय निर्णायक मंडल ने छह वर्गों में 244 नामांकनों में विजेताओं का चयन किया.

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