विज्ञापन मामला: AAP से वसूले जाएंगे 97 करोड़ रुपए, उपराज्यपाल ने दिया आदेश
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विज्ञापन मामला: AAP से वसूले जाएंगे 97 करोड़ रुपए, उपराज्यपाल ने दिया आदेश

आप: की छवि चमकाने वाले सरकारी विज्ञापनों पर खर्च किये गये 97 करोड़ रुपये की भरपाई ‘आप’ से करने का निर्देश दिया है.

विज्ञापन मामला: AAP से वसूले जाएंगे 97 करोड़ रुपए, उपराज्यपाल ने दिया आदेश

उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सरकारी विज्ञापनों के दुरुपयोग के मामले में सरकारी खजाने को हुए 97 करोड़ रुपये के नुकसान की राशि आप से वसूलने का निर्देश दिया है. बैजल ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव एमएम कुट्टी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी :आप: की छवि चमकाने वाले सरकारी विज्ञापनों पर खर्च किये गये 97 करोड़ रुपये की भरपाई ‘आप’ से करने का निर्देश दिया है.

राजनिवास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि सरकारी विज्ञापनों में प्रचार सामग्री पर निगरानी करने वाली समिति की सिफारिश पर यह निर्देश आया है. केजरीवाल सरकार पर दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में ऐसे विज्ञापन जारी करने का आरोप है जिनमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आप और केजरीवाल का प्रचार करने की मंशा झलकती हो.

समझा जाता है कि समिति ने पिछले साल 16 सितंबर को मुख्य सचिव को भेजी रिपोर्ट में संबन्धित विज्ञापनों पर खर्च की गई राशि के आधार पर इससे सरकारी खजाने को हुए नुकसान का आकलन करने को कहा था. केन्द्र सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस राशि को संबद्ध राजनीतिक दल से वसूलने की भी बात कही है.

इस बीच सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने बाहरी राज्यों में किए गए सरकारी प्रचार पर 97 करोड़ रपये के व्यय का आकलन किया था. कानून विभाग की अनुशंसा पर बैजल ने मुख्य सचिव से आप को वसूली नोटिस जारी कर पुनर्भुगतान प्रक्रिया पूरी करने को कहा है. इसमें हालांकि आप को अभी तक सरकार द्वारा भुगतान नहीं किये गये विज्ञापनों की बकाया राशि संबद्ध एजेंसी को सीधे देने का विकल्प दिया गया है. 

रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी खर्च पर विभिन्न विज्ञापन एजेंसियों से बनवाये गये विज्ञापनों में 42 करोड़ रुपये का भुगतान निदेशालय द्वारा पहले ही कर दिया गया है जबकि 55 करोड़ रपये का भुगतान अभी बकाया है. सूत्रों के मुताबिक आप को भुगतान के लिए 30 दिन का समय दिया गया है. यह कार्रवाई केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए विज्ञापन को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी किये गये दिशानिर्देशों का दिल्ली सरकार द्वारा कथित उल्लंघन करने के मामले में की गई है.

न्यायालय के आदेश पर केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त बीबी टंडन की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आप से वसूली की सिफारिश की थी.

इससे पहले 10 मार्च को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करके करोड़ों रुपए के विज्ञापन जारी किए. इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने करोड़ों रुपए के विज्ञापन अन्य राज्यों में खर्च किए हैं.

कैग की यह रिपोर्ट शुक्रवार (10 मार्च) को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई थी. इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के कई विभागों के कामकाज के तरीकों पर सवाल खड़े किए गए थे. कई विभागों ने तो नियमों का उल्लंघन करके सरकारी धन का इस्तेमाल किया था. इसी तरह का एक विभाग दिल्ली सरकार का सूचना और प्रचार विभाग (डीआइपी) है, जो सरकार की नीतियों को विभिन्न माध्यमों के जरिए प्रचारित करता है.

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश:

सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2015 के फैसले में किसी निहित सार्वजनिक हित के बिना विज्ञापन के मनमाने ढंग से उपयोग को रोकने के लिए सरकारी विज्ञापनों के दिशानिर्देश जारी किए. इसके तहत पांच सिद्धांतों को पारित किया गया, जिसके अनुसार विज्ञापन सरकारी दायित्वों से संबंधित होने चाहिए, विज्ञापन सामग्री विषयपरक और साफ होनी चाहिए, विज्ञापन सामग्री सत्तारूढ़ दल के हितों को बढ़ावा देने वाली नहीं हो, विज्ञापन अभियान न्यायोचित होना चाहिए और सरकारी विज्ञापन को कानूनी जरूरतों और वित्तीय नियमनों और प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए.

कैग ने की जांच

कैग ने 1 अप्रैल 2013 से मार्च 2016 की अवधि के दौरान प्रसारित किए गए विज्ञापनों के संबंध में डीआइपी के कागजों की जांच की. सीएजी ने दिल्ली जलबोर्ड और पांच अन्य विभागों की ओर से जारी विज्ञापनों की जांच की. साल 2013 से 15 की अवधि के दौरान डीआइपी ने विज्ञापनों पर व्यय अन्य प्रभार शीर्ष के तहत आबंटित बजट जो कि 2013-14 में 29.66 करोड़ रुपए और 2014-15 में 20.23 करोड़ था, में से पूरा किया गया. वह विज्ञापन और शीर्ष के तहत कोई आवंटन नहीं था. 2015-16 के बजट के लिए डीआइपी ने 26.90 करोड़ के आबंटन का प्रस्ताव रखा, जिसमें अन्य प्रभारों के लिए 20 करोड़ रुपए और शेष वेतन और अन्य आवर्ती व्यय शामिल थे.

डीआइपी को आबंटित किए गए 522 करोड़

डीआइपी को विज्ञापन और प्रचार के लिए 500 करोड़ रुपए और अन्य प्रभारों शीर्ष के तहत 22 करोड़ रुपए, कुल मिलाकर 522 करोड़ रुपए आबंटित किए गए. बाद में ये संशोधित अनुमानों में घटाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया गया है. 2013-16 के दौरान कैग के सामने आया कि डीआइपी की ओर से 81.23 करोड़ के व्यय के अलावा 2015-16 में प्रसारित किए गए विज्ञापनों के लिए 2016-17 में 20.23 करोड़ की राशि का भुगतान किया गया, जो कानून से परे हुए विज्ञापनों पर खर्च2015-16 के प्रकाशित विज्ञापनों के कुल खर्च को 101.46 करोड़ पर ले आया. डीआइपी ने लेखा परीक्षक को सूचित किया कि 2015-16 के दौरान प्रसारित किए गए विज्ञापनों के संबंध में करीब 12.75 करोड़ की देयता भी थी.

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