परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की ओर से बदसलूकी किए जाने का आरोप लगाने वाली महिला अधिकारी व वर्तमान में परिवहन आयुक्त वर्षा जोशी ने ट्विटर के जरिए पिछले एक साल में किए गए अपने कामों के बारे में जानाकरी दी.
Trending Photos
नई दिल्ली : अधिकारियों व दिल्ली सरकार के बीच विवाद थमता नहीं दिखाई दे रहा है. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की ओर से बदसलूकी किए जाने का आरोप लगाने वाली महिला अधिकारी व वर्तमान में परिवहन आयुक्त वर्षा जोशी ने ट्विटर के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने एक के बाद एक कई ट्विट कर के अप्रैल 2017 से अपने कार्यकाल में किए गए कामों को गिनाना. उधर परिवहन विभाग के अधिकारियों ने परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की तरफ से पूरे प्रकरण को लेकर माफी की बात कही है. वहीं आईएएस अधिकारियों का संगठन भी जोशी के समर्थन में ट्विट किया है आईएएस एसोसिएशन ने ट्वीट कर लिखा है कि मुख्यमंत्री की ओर से अधिकारियों की सुरक्षा का आश्वासन दिया गया था. जिसका हमनें स्वागतम किया था लेकिन हमें लगातार धमकियां मिल रही हैं. संगठन ने कहा कि हमारी गरिमा और अखंडता निरंतर जारी है.
जोशी ने रखा अपना पक्ष
परिवहन आयुक्त वर्षा जोशी ने रविवार सुबह ट्वीट कर कहा कि - एक परिवहन आयुक्त के तौर पर मुझे लगता है कि एक परिवहन आयुक्त द्वारा दलालों की रक्षा करने का विचार हास्यास्पद है. रिकार्ड्स के लिए, मैं अप्रैल 2017 से अब तक, हमारे द्वारा भ्रष्टाचार को रोकने के लिए उठाए गए कदमों को सामने रखूंगी.
The idea of a Transport Commissioner- any Transport Commissioner- protecting touts is beyond laughable. However, for the sake of record, I will, in this thread, across the course of the day, lay out the steps we have taken since April 2017 to check corruption.
— Varsha Joshi (@suraiya95) August 5, 2018
कामकाज का बहीखाता पेश किया
परिवहन आयुक्त वर्षा जोशी ने ट्विटर पर ही बीते 1 साल में परिवहन विभाग द्वारा भ्रष्टार पर लगाम लगानेक के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताया. उन्होंने लिखा कि मेरे चार्ज लेने के कुछ दिनों के भीतर ही मॉल रोड आरटीओ की मेरी पहली विजिट पर ही मैंने पाया कि गाड़ियों के डीलर से एमएलओ (मोटर लाइसेंस ऑफीसर) तक बार - बार फाइलों की आवाजाही से लोगों को समय पर आरसी की डिलीवरी नहीं हो पाती थी. साथ ही लोगों को आरसी लेने व्यक्तिगत तौर पर आना होता था. इसी लिए मैंने निर्देश दिए कि आरसी की फाइल की आवाजाही की ऑनलाइन ट्रैकिंग की जाए. वहीं स्मीड पोस्ट के जरिए आरसी की डिलीवरी शुरू करने के निर्देश दिए गए. दोनों ही फैसले कुछ ही दिनों में लागू भी कर दिए गए. वहीं हमने देखा की भारतीय डाक विभाग की ओर से आरसी को लोगों तक पहुंचाने में देरी की जाती थी. इस व्यवस्था को सुधारने के लिए हमनें डाक विभाग के अधिकारियों से भी मुलाकात की.
On my first visit to Mall Road RTO, within a few days of my taking over charge, I discovered that RC delivery used to get delayed beause of repeated movement of the file from dealer to MLO. Also, people had to come again to take the RC personally.
— Varsha Joshi (@suraiya95) August 5, 2018
So, I directed (1) Online tracking of RC file movement (2) Home delivery of RC through speed post. Both were implemented within a few days to general satisfaction. We then found the *India Post* folks holding on to the RCs; we got them pulled up by their seniors
— Varsha Joshi (@suraiya95) August 5, 2018
पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाए कदम
उन्होंने लिखा कि विभाग में भ्रष्टचार पर लगाम लगाने के लीए हमने अपनी इनफोर्समेंट एजेंसियों को भी टाइट किया. हमने सभी इनफोर्समेंट विभाग की गाड़ियों में जीपीएस लगवाए. और लगातार इन गाड़ियों पर अपने ऑप्रेशन कमांड सेंटर से नजर रखना शुरू किया. उन्होंने दिल्ली ट्रांस्पोर्ट ऐप बनाए जाने के साथ ही कई अन्य उपलब्धियों के बारे में भी ट्विटर के जरिए बताया. उन्होंने स्कूल कॉलेजों में लर्निंग लाइसेंस की सुविधा के बारे में भी बताया.
We embraced the assurances of our Hon'ble CM but the threats on our dignity and integrity continue unabated. #StillWaitingForPromisesToBeFulfilled #TargettingTheHonest
— IAS AGMUT Association (@IAS_Agmut) August 5, 2018
मंत्री से माफी मांगने की मांग की
परिवहन आयुक्त से बदसलूकी के मामले में परिवहन विभाग का जॉइंट फोरम एसोसिएशन उनके साथ खड़ा दिख रहा है. विभाग के जॉइंट फोरम के 22 अधिकारियों की तरफ से हस्ताक्षर किए गए मेमोरेंडम में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से माफी की मांग की गई है. मेमोरेंडम में लिखा गया है कि ट्रांजैक्शन ऑफ बिज़नेस रूल के मुताबिक मंत्री कहते हैं कि इंचार्ज सचिव नहीं मंत्री होते हैं. ऐसे में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी उनकी भी बनती है. परिवहन आयुक्त ने इलेक्ट्रिक बसों की खरीद बिना डीपीआर करने का विरोध किया था जो नियमों के तहत है.