Diwali 2022: दिल्ली के कारीगरों के दीयों से जगमगायेगा देश, विदेशों तक पहुंचेगी इनकी रोशनी
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Diwali 2022: दिल्ली के कारीगरों के दीयों से जगमगायेगा देश, विदेशों तक पहुंचेगी इनकी रोशनी

Diwali: दिवाली दीयों और रोशनी का त्योहार है. इस दिन बाजारों में डिजाइनर दीयों को डिमांड बढ़ गई है. जिसके चलते दिल्ली के उत्तम नगर, बिंदापुर और कई जगहों पर डिजाइनर दीये बनाए जा रहे हैं. 

Diwali 2022: दिल्ली के कारीगरों के दीयों से जगमगायेगा देश, विदेशों तक पहुंचेगी इनकी रोशनी

नई दिल्ली: बीते दो साल कोरोना के चलते देश में त्योहार सही से नहीं मनाए गए. कोरोना काल के बाद अब इस साल लोग खुलकर दिवाली त्योहार मना पा रहे हैं. दिवाली को दीयों का त्योहार भी कहा जाता है. ऐसे में आपको जानकर हैरानी होगी कि रोशनी के इस त्योहार पर दिल्ली के उत्तम नगर, बिंदापुर और अन्य इलाकों में डिजाइनर दीये बनाये जाते हैं. इन डिजाइनर दीयों को दिल्ली के अलावा कई अन्य राज्यों ते साथ विदेश में भी इनकी डिमांड है. कहने का मतलब साफ है कि दिल्ली में बने दीयों से दिवाली पर पूरा देश जगमगाता है.

उत्तम नगर के प्रजापत कॉलोनी में इन दिनों प्रजापत समाज के लोग दीये बनाने में लगे हुए हैं. यहां सामान्य दीये, डिजाइनर दीये और अन्य मिट्टी से बने होम डेकोरेटिव आइटम्स बनाए जाते हैं. यहां का बना सामान हरियाणा, यूपी, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित कई अन्य राज्यों के अलावा विदेश में भी इनकी मांग है. दीये बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि कोरोना की वजह से 2 साल इनका कारोबार चौपट हो गया था, लेकिन इस बार बाजार में डिजाइनर दीयों की मांग है. जिसे बनाने में यह लगे हुए हैं हालांकि लगातार बढ़ती महंगाई का असर इनके काम को भी प्रभावित कर रहा है. 

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इनकी मानें तो दीये बनाने में जिस मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है वह मिट्टी हरियाणा से आती है और इस बार मिट्टी के दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है. इतना ही नहीं दीये को पकाने के लिए लकड़ी के जिस बुरादे का इस्तेमाल किया जाता है उस के दामों में भी भारी बढ़ोतरी हो गई है. जिस तरह से महंगाई हुई है उस हिसाब से इनके दीयों के दाम नहीं बढ़ पाए हैं. जिसके कारण इन्हें जितना मुनाफा होना चाहिए उतना नहीं हो पा रहा है. इन लोगों अनुसार दीयों की डिमांड दिल्ली के साथ बाहर भी है, लेकिन दीयों के दाम बढ़ाने के बाद भी लोग इन्हें पहले के दामों पर ही देने को मजबूर कर रहे हैं.

अब ऐसे में सीजन के खत्म होने के बाद दीये इनके लिए बेकार हो जाएंगे इसलिए मजबूरी में इन्हें दीयों को औने-पौने दामों में ही बेचने पड़ रहे हैं. इसके बावजूद भी कारीगरों में खुशी है कि 2 साल के बाद इनके काम ने रफ्तार पकड़ी है. सिर्प इतना ही नहीं उससे भी ज्यादा खुशी इन्हें इस बात की है कि इनके बनाए दीयों से देश के कई हिस्सों में दिवाली की रात जगमगाएंगी. 

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