नोट बैन और आतंकी हमले को लेकर संसद में गतिरोध जारी, विपक्ष ने किया हंगामा
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नोट बैन और आतंकी हमले को लेकर संसद में गतिरोध जारी, विपक्ष ने किया हंगामा

संसद में बुधवार को भी नोटबंदी और नगरोटा में हुए आतंकी हमले को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। हालांकि, नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष के तेवर आज थोड़े नरम नजर आए और सदन में चर्चा के लिए तैयार होने के संकेत दिए। बता दें कि नोटबंदी पर हंगामे की वजह से इस सत्र में संसद अब तक नहीं चला है।संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के चलते आज भी कार्यवाही बाधित हुई।

नोट बैन और आतंकी हमले को लेकर संसद में गतिरोध जारी, विपक्ष ने किया हंगामा

नई दिल्‍ली : संसद में बुधवार को भी नोटबंदी और नगरोटा में हुए आतंकी हमले को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। हालांकि, नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष के तेवर आज थोड़े नरम नजर आए और सदन में चर्चा के लिए तैयार होने के संकेत दिए। बता दें कि नोटबंदी पर हंगामे की वजह से इस सत्र में संसद अब तक नहीं चला है।

संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के चलते आज भी कार्यवाही बाधित हुई। विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक आज दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर करीब 15 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं, नोटबंदी पर विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा में बुधवार को नोटबंदी और नगरोटा में हुए आतंकवादी हमले को लेकर जोरदार हंगामा होने पर बीजेपी नेता अनंत कुमार ने कहा कि हम संसद में शहादत पर भी चर्चा के लिए तैयार हैं। -विपक्ष चर्चा नहीं चाहता है। वॉकआउट से संसद का फायदा नहीं है।

गौर हो कि नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में लगातार हंगामा हो रहा है। विपक्ष के हंगामे और नारेबाजी के चलते इस सत्र में एक दिन भी सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पाई। विपक्ष का केंद्र पर आरोप है कि नोटबंदी का फैसला बिना किसी तैयारी के लिए गया। आम लोगों को इस फैसले से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

नोटबंदी के मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा कराने के संबंध में बुधवार को विपक्षी दलों ने अपने रुख में थोड़ी नरमी दिखाते हुए किसी दूसरे नियम के तहत चर्चा कराने पर सहमति जताई लेकिन मतविभाजन कराने की अपनी मांग पर कायम रहे। सरकार ने तत्काल चर्चा शुरू करने पर जोर दिया हालांकि वह मतविभाजन के लिए तैयार नहीं हुई।

अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने चर्चा किसी भी नियम के दायरे में कराने की बजाए शून्यकाल के तहत शुरू कराने का विचार रखा। लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा वामदलों की आसन के समीप नारेबाजी जारी रही जिसके कारण सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। आज कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राजद के नेताओं ने आज अपने रुख में थोड़ा बदलाव करते हुए कहा कि यदि नियम 56 के तहत चर्चा के लिए सहमति नहीं बन रही है तो सरकार भी नियम 193 के तहत चर्चा के अपने रख से पीछे हटे और किसी ऐसे नियम में चर्चा कराई जाए जिसके बाद मतविभाजन हो सके।

सरकार ने तुरंत चर्चा शुरू करने पर सहमति जताई लेकिन मतविभाजन को तैयार नहीं दिखी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जनता की परेशानी पर अलग मत नहीं हंै और सभी जनता की परेशानियों को दूर करना चाहते हैं। इसलिए महताब के सुझाव के आधार पर तत्काल चर्चा शुरू हो जानी चाहिए। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि दोनों ही पक्ष एक दूसरे के सुझाये नियमों को नहीं मान रहे हैं। इसलिए नियमों को अलग रखकर शून्यकाल में चर्चा शुरू की जा सकती है।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह शून्यकाल शुरू करने के लिए कह चुकी हैं। दोनों ही पक्ष एक दूसरे के सुझाये नियमों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इसलिए ऐसा हो सकता है कि सब नियमों को अलग रखकर शून्यकाल के तहत चर्चा शुरू कर दी जाए। उन्होंने कहा कि शून्य से ब्रहमांड तक की खोज हो सकती है। हम सब मिलकर शून्य में कुछ खोजने का प्रयास करते हैं। लेकिन दोनों पक्ष अपने अपने रूख पर कायम दिखे। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के सदस्यों ने फिर नारेबाजी शुरू कर दी। इससे पहले दोपहर 12 बजे सदन की बैठक पुन: शुरू होने पर कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने गतिरोध समाप्त करने के लिए किसी अन्य नियम के तहत चर्चा शुरू कराने पर सहमति जताई लेकिन मतविभाजन की मांग दोहराई। खड़गे ने कहा कि विपक्ष कार्यस्थगित करके मतविभाजन वाले प्रावधान से संबंधित नियम 56 के तहत चर्चा की मांग कर रहा है जिसे सत्तापक्ष स्वीकार नहीं कर रहा। इसलिए गतिरोध दूर करने के लिए किसी भी ऐसे नियम के तहत चर्चा शुरू करा ली जाए जिसमें चर्चा हो और उसके बाद मतविभाजन करा लिया जाए। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष सुप्रीम हैं और उन्हें सर्वोच्च अधिकार हैं। वह किसी भी नियम के तहत चर्चा करा सकती हैं। जिसके बाद मतविभाजन करा लिया जाए। खड़गे ने कहा कि विपक्ष चर्चा से भाग नहीं रहा। हम चर्चा के लिए तैयार हैं। तृणमूल नेता बंदोपाध्याय ने भी खड़गे की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि आसन को तीसरा रास्ता निकालना चाहिए जिससे चर्चा हो। उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष बहुमत में होने के बावजूद मतविभाजन से क्यों बच रहा है।

तृणमूल नेता ने कहा कि हम नियम 56 की मांग को वापस लेने को तैयार हैं, सत्तापक्ष को भी 193 की मांग से हटना चाहिए। माकपा के मोहम्मद सलीम ने कहा कि नोटबंदी के फैसले से जनता परेशान है और सरकार को रास्ता निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो कि लोकसभा सरकार की मंशा की अनुयायी हो जाए। यह लोकतंत्र के लिए कालादिन होगा। इस दौरान माकपा के पी के बीजू अपने स्थान पर बैठे हुए ही कुछ कागज दिखा रहे थे जिस पर अध्यक्ष ने नाराजगी प्रकट की और बीजू ने कागज नीचे कर लिये। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने भी मतविभाजन वाले किसी दूसरे नियम के तहत चर्चा शुरू कराने की मांग की। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि हम 16 नवंबर से चर्चा के लिए तैयार हैं। विपक्षी दलों के नेता चाहें तो सरकार अभी इसी वक्त से चर्चा शुरू करने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि संसद में कालेधन के विषय पर दो स्वर नहीं निकल सकते। इस विषय पर मतविभाजन की बात करना सही नहीं है। इससे विभाजन का संदेश जाएगा। बीजद के भर्तृहरि महताब ने कहा कि नोटबंदी पर चर्चा नहीं होने पर सदन आसन की पीड़ा को समझता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष अगर मतविभाजन की बात कर रहा है तो कालेधन के विषय पर अलग सुर नहीं बल्कि जनता को हो रही परेशानी के मुद्दे की बात कर रहा है। इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जनता की परेशानी पर भी अलग मत नहीं हैं और सभी जनता की परेशानियों को दूर करना चाहते हैं। इसलिए महताब के सुझाव के आधार पर तत्काल चर्चा शुरू हो जानी चाहिए। हालांकि चर्चा के बाद मतविभाजन के लिए सरकार के तैयार नहीं होने पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के सदस्य पहले की तरह ही आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। अन्नाद्रमुक के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े थे।

इस पर अध्यक्ष ने कहा कि आप चर्चा नहीं चाहते हैं। उन्होंने हंगामे के बीच ही शून्यकाल में कुछ सदस्यों को अपने क्षेत्रों से संबंधित महत्वपूर्ण विषय उठाने का अवसर दिया। शोर-शराबा बढ़ता देख उन्होंने दोपहर करीब 12 बजकर 35 मिनट पर 10 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की। 12.45 बजे सदन की बैठक फिर शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा। अध्यक्ष ने कुछ और सदस्यों को शून्यकाल में अपनी बात रखने का अवसर दिया और एक बजे सदन की बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले खड़गे ने नागरोटा हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के विषय पर सुबह प्रश्नकाल में वाकआउट किये जाने पर खेद जताते हुए कहा कि हमने सुबह जो श्रद्धांजलि उल्लेख किया था वह आसन के खिलाफ नहीं था। उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह कदम सरकार द्वारा हमले में शहीदों के बारे में जानकारी नहीं दिये जाने को लेकर था। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने भी इस विषय पर वाकआउट किये जाने पर खेद जताते हुए कहा कि हमारा यह कदम अध्यक्ष को आहत करने के लिए नहीं था। इस पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि वह हमेशा श्रद्धांजलि देती हैं और यह उनका निर्णय होता है। इसमें सरकार की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि वह सुबह ही कह चुकी हैं कि कल आतंकी हमले के बाद अभी सेना का धरपकड़ एवं तलाशी अभियान चल रहा है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सुबह विपक्ष ने जवानों को श्रद्धांजलि देने की बात कही थी। मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि अभी कार्रवाई चल रही है। उन्होंने कहा कि श्रद्धांजलि पर राजनीति शोभा नहीं देती। उनके इस बयान पर विपक्ष ने विरोध दर्ज कराया।

उधर, नोटबंदी के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री की सदन में उपस्थिति की मांग पर अड़े विपक्षी सदस्यों ने जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले में शहीद सात जवानों को श्रद्धांजलि देने की मांग को लेकर भी बुधवार को उच्च सदन में हंगामा किया जिसके कारण बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। हंगामे के कारण आज भी प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं हो पाया। राज्यसभा की सुबह बैठक शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने 1000 रूपये और 500 रूपये के नोट अमान्य किए जाने के फैसले से आम लोगों को हो रही परेशानी का मुद्दा उठाया और मांग की कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर सदन में जवाब देना चाहिए। हंगामे के बीच ही उप सभापति पी जे कुरियन ने महत्वपूर्ण दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय को उनकी बात को रखने की अनुमति दी। राय ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया है कि सदन एक शोक प्रस्ताव ले कर आए क्योंकि पिछले दिनों सीमा के दूसरी ओर लक्षित हमले किए जाने के बाद से पड़ोसी देश की गोलीबारी और हमलों में कम से कम 25 जवान शहीद हो चुके हैं। कल ही आतंकी हमले में दो अधिकारियों सहित सात जवान शहीद हुए हैं। इसी तरह रूपये निकालने, जमा करवाने और पुराने नोटों को बदलवाने के लिए बैंकों के आगे लगी कतारों में खड़े कई लोगों की मौत हो गयी है। राय ने कहा कि सरकार को शहीदों तथा बैंकों की कतारों में खड़े हो कर जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देने के लिए सदन में प्रस्ताव लाना चाहिए।

उपसभापति कुरियन ने इसके बाद सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को बोलने की अनुमति दी। आजाद ने कहा कि देश की रक्षा करते हुए कल सीमा पर दो अधिकारियों सहित सात जवान शहीद हो गए। सरकार उनको श्रद्धांजलि देने के लिए तैयार नहीं हैं। यह बात सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सुखेन्दु शेखर राय पहले ही कह चुके हैं कि बिना तैयारी के, अचानक किए गए नोटबंदी के फैसले की वजह से करीब 82 लोगों की जान गई है। इन लोगों को भी श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए। कुरियन ने कहा कि यह मुद्दा नोटबंदी पर अधूरी चर्चा को बहाल कर उठाया जाए। बसपा की मायावती ने कहा कि सीमा पार किए गए लक्षित हमलों के बाद हमारे कई जवान शहीद हो चुके हैं। कल सात जवान शहीद हुए हैं लेकिन सरकार इनके प्रति बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है। नोटबंदी के कारण भी बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है। सरकार को एक शोक प्रस्ताव लाना चाहिए। कुरियन ने कहा कि यह सभी मुद्दे नोटबंदी पर चर्चा में उठाए जा सकते हैं। लेकिन आप लोग चर्चा के लिए तैयार ही नहीं हैं। सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि नोटबंदी पर विपक्षी सदस्यों की मांग पर चर्चा शुरू हुई जो अधूरी है। सीमा पर तनाव के मुद्दे पर अगर विपक्ष चर्चा चाहता है तो सरकार उसके लिए भी तैयार है।

जदयू के शरद यादव ने कहा कि यह अप्रत्याशित है कि जम्मू के समीप नगरोटा में सेना के शिविर पर आतंकी हमले में मेजर स्तर के दो अधिकारियों सहित सात सैन्य कर्मी शहद हो गए और उन्हें कोई श्रद्धांजलि भी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि उसने नोटबंदी देशहित में की है। सीमा पर जो जवान शहीद हुए हैं वह देश की रक्षा के लिए ही वहां तैनात थे। उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के कारण उत्पन्न हालात के चलते करीब 90 लोगों की जान चली गई। इसी बीच जेटली ने यादव को कहा कि आप नोटबंदी की बात सबसे पहले अपनी पार्टी में कीजिये और तय कीजिये कि क्या वह इस कदम के खिलाफ है या पक्ष में है। जेटली का इशारा जदयू प्रमुख और बिहार की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर था जिन्होंने नोटबंदी का समर्थन किया है। यादव ने उलट कर सवाल किया कि आप बताएं क्या आपके प्रधानमंत्री आपके साथ हैं? हम नोटबंदी के खिलाफ नहीं हैं। हम उस रोक के खिलाफ हैं जो अपने ही खातों से पैसा निकालने को लेकर लगाई गई है।

यादव ने कहा के बैंकों के आगे कतारों में लग कर अपनी जान गंवानेवालों को सरकार की ओर से 10..10 लाख रूपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि पहले दी जानी चाहिए थी और सदन में अन्य कामकाज बाद में किया जाना चाहिए था। कुरियन ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत दो नोटिस मिले हैं। पहला नोटिस कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद का है जो नोटबंदी पर है। दूसरा नोटिस तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय का है जो जम्मू कश्मीर में सात सैनिकों की शहादत से संबंधित है। उन्होंने कहा कि सरकार दोनों ही नोटिस पर चर्चा के लिए तैयार है। इसी बीच कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और बसपा सदस्य सरकार के खिलाफ और प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग करते हुए आसन के समक्ष आ कर नारे लगाने लगे। अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े रहे। भाजपा सदस्य अपने स्थानों से आगे आ कर नोटबंदी के मुद्दे पर अधूरी चर्चा को बहाल करने की मांग करते हुए नारे लगाने लगे। कुरियन ने सदस्यों से शांत रहने और अपने स्थानों पर लौट जाने का आग्रह किया। सदन में व्यवस्था न बनते देख उन्होंने बैठक को दोपहर तक के लिए स्थगित कर दिया। बाद में विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक आज दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर करीब 15 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

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