JNU​ में 2010 से हर महीने करीब 7 छात्रों पर होती है अनुशासनात्मक कार्रवाई
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JNU​ में 2010 से हर महीने करीब 7 छात्रों पर होती है अनुशासनात्मक कार्रवाई

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश का प्रतिष्ठित संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) पिछले कुछ दिनों से चर्चा में बना हुआ है और एक आम धारणा यह है कि यहां अनुशासन में काफी नरमी बरती जाती है लेकिन एक आरटीआई से पता चला है कि यहां पिछले साढे छह साल में हर महीने औसतन करीब 7 छात्रों पर विभिन्न नियमों का उल्लंघन करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई और जुर्माना भी लगाया गया।

JNU​ में 2010 से हर महीने करीब 7 छात्रों पर होती है अनुशासनात्मक कार्रवाई

नयी दिल्ली: उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश का प्रतिष्ठित संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) पिछले कुछ दिनों से चर्चा में बना हुआ है और एक आम धारणा यह है कि यहां अनुशासन में काफी नरमी बरती जाती है लेकिन एक आरटीआई से पता चला है कि यहां पिछले साढे छह साल में हर महीने औसतन करीब 7 छात्रों पर विभिन्न नियमों का उल्लंघन करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई और जुर्माना भी लगाया गया।

सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत जेएनयू के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2010 से जून 2016 के बीच अनुशासनहीनता के 537 मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसे छात्रों पर कार्रवाई की और जुर्माना लगाया जिसमें शराब, गांजा जैसे नशीले पदाथरे का सेवन करने और अनुशासन तोड़ने के 300 मामले शामिल हैं। इस तरह से साढ़े छह साल (78 महीने) में औसतन हर महीने करीब 7 छात्रों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई और जुर्माना लगाया गया।

दिल्ली स्थित आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद ने जेएनयू प्रशासन से 2010 के बाद से छात्रों के खिलाफ विभिन्न मामलों में की गई करवाई का ब्यौरा मांगा था। इन मामलों में नशीले पदाथरें का सेवन करके सुरक्षाकर्मियों, सहयोगी छात्रों आदि के साथ दुर्व्यवहार करने, मारपीट करने, हंगामा करने, गाली गलौज करने की घटनायें शामिल हैं। पिछले साढे छह साल में ऐसे 300 मामलों पर जेएनयू प्रशासन ने कार्रवाई की है। इन मामलों में आमतौर पर एक हजार रूपये से छह हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया जबकि 27 जुलाई 2013 को माही मांडवी हास्टल के बरामदे में शराब पीने का दोषी पाये जाने पर एक छात्र पर 52 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। 

आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय के हॉस्टल में बिना सूचना दिये और बिना अनुमति के अवधि समाप्त होने के बाद भी रूकने के मामले में दोषी पाये जाने पर एक छात्र पर 72 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसी तरह से पूर्णकालिक नौकरी करने के बावजूद हॉटस्ल खाली नहीं करने का दोषी पाये जाने पर एक छात्र पर, 1.93 लाख रुपये, एक छात्र पर 1.45 लाख रुपये तथा एक अन्य छात्र पर 1.36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। आरटीआई के तहत, जेएनयू के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मैरेड रिसर्च स्कालर हॉस्टल सुविधा का लाभ उठाने के मामले में दोषी पाये जाने पर एक छात्रा पर 1.34 लाख रुपये और एक अन्य छात्रा पर 87,760 रुपये का जुर्माना लगाया गया।

साल 2010 से 2016 के बीच अवधि में अनेक छात्रों को समय से अधिक अवधि तक हास्टल में बने रहने, उच्चतम न्यायालय और विश्वविद्यालय के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने, कैशमेमो के साथ छेड़छाड़ करने का दोषी पाया गया। इसके अलावा हास्टल में अशांति पैदा करने और हंगामा करने के भी मामले सामने आए । इनमें कुछ छात्रों पर बाहरी दोस्तों के साथ शराब पीने के मामले में भी कार्रवाई की गई और जुर्माना लगाया गया।

आरटीआई के तहत विश्वविद्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 की घटना के सिलसिले में 21 छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इसमें अनिर्बान भट्टाचार्य को 25 जुलाई 2016 से पांच वर्षों के लिए निषिद्ध कर दिया गया। सैयद उमर खलिद को 2016-17 के मानसून सेमेस्टर के लिए दंडस्वरूप निष्कासित कर दिया गया और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। 

नौ फरवरी 2016 की घटना के संदर्भ में छात्र मुजीब गट्टू को 2016-17 के मानसून और शीत सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया गया जबकि आशुतोष कुमार की मानसून और शीत सेमेस्टर के लिए हास्टल सुविधा वापस ले ली गई और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसी तरह से छात्रा कोमल मोहिते की 21 जुलाई 2016 तक के लिए हास्टल सुविधा वापस ले ली गई। छात्रा अवस्थी ए नायर, छात्रा अंजली, अन्वेषा चक्रवर्ती, छात्रा भावना, रूबीना सैफी, श्वेता राज, एश्वर्या अधिकारी, गार्गी अधिकारी, चिंटू कुमारी, छात्र रामा नागा, छात्र अनंत प्रकाश नारायण, छात्र रेयाजुल हक पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस घटना में छात्र कन्हैया कुमार और सौरभ कुमार शर्मा पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। इस मामले में बनज्योत्सना लाहिड़ी (बाहरी छात्रा) और द्रौपदी घोष (बाहरी छात्रा) का विश्वविद्यालय में प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया।

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