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नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में टोल प्लाजों पर सैनिकों की मौजूदगी को लेकर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को लोकसभा में इसे एक साजिश करार देने के साथ राज्य प्रशासन को विश्वास में नहीं लेने का आरोप लगाया और वहीं सरकार ने सेना के इस नियमित अभ्यास पर विवाद खड़ा करने को गलत बताते हुए कहा कि इसे तूल देना राजनीतिक हताशा का परिचायक है तथा इस संबंध में स्थानीय प्रशासन को पूरी जानकारी थी।
लोकसभा में रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों एवं पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में सेना की मौजूदगी नियमित अभ्यास का हिस्सा है और सेना के नियमित अभ्यास को लेकर इस प्रकार का विवाद खड़ा करना दुखद और गलत है। उन्होंने कहा कि सेना के नियमित अभ्यास पर विवाद पैदा करना वास्तविक स्थिति पेश करने की बजाए राजनीतिक हताशा का परिचायक है।
पार्रिकर ने तृणमूल कांग्रेस के उस दावे को खारिज किया कि जिला प्रशासन को विश्वास में नहीं लिया गया था और कहा कि पश्चिम बंगाल में इस संबंध में कोलकाता पुलिस के आग्रह पर तारीखों में परिवर्तन किया गया। उन्होंने कहा कि इस अभ्यास की मूल तिथि 28 से 30 नवंबर थी लेकिन इसे कोलकाता नुलिस के आग्रह पर बदलकर। और 2 दिसंबर किया गया क्योंकि उन दिनों नोटबंदी के विरोध में भारत बंद का आहवान किया गया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह अभ्यास पश्चिम बंगाल के लिए अलग नहीं है क्योंकि भारी वाहनों की गतिविधि के बारे में सूचना एकत्र करने के मकसद से पिछले महीने भी उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड में ऐसे अभ्यास हुए थे। उन्होंने कहा कि इस बार भी पश्चित बंगाल के अलावा, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम में ये अभ्यास किये गए।
रक्षा मंत्री पार्रिकर ने कहा कि आज एक राज्य की मुख्यमंत्री ने सेना के बारे में कहा है, उससे मुझे सदमा पहुंचा है। यह सेना का नियमित अभ्यास था जो कई सालों से जारी है। ऐसे अभ्यास पिछले 15-20 वर्षों से जारी हैं। पिछले वर्ष भी 19 से 21 नवंबर के बीच ऐसा अभ्यास हुआ था। पार्रिकर ने कहा कि सेना की पूर्वी कमान नियमित अभ्यास के रूप में पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसा करती है और ऐसे अभ्यास उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड में हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में सेना ने प्रदेश के संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दी थी। पश्चिम बंगाल में यातायात की भीड़ को देखते हुए ये अभ्यास स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर किये गए।
तृणमूल कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में सेना के इस अ5यास के बारे में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को विश्वास में नहीं लिया गया। कांग्रेस ने भी तृणमूल कांग्रेस का इस मुद्दे पर समर्थन किया और इस विषय को गंभीरता से लेने की मांग की।
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि कल दोपहर अचानक यह पाया गया कि पश्चिम बंगाल में टोल प्लाजा को सेना ने अपने कब्जे में ले लिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पाया कि इस बारे में सविचालय से कोई अनुमति नहीं ली गई। राज्य के 19 स्थानों पर ऐसे अभ्यास किये गए। उन्होंने कहा कि जब सेना से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह नियमित अभ्यास है। हम पूछना चाहते हैं कि टोल प्लाजा पर सेना का क्या काम है। यह अद्भुत स्थिति है। सेना के पूर्वोत्तर राज्यों में अभ्यास करने की बात सामने आई। क्या उन्हें पता नहीं है कि पश्चिम बंगाल पूर्वोत्तर राज्यों में नहीं आता है।
बंदोपाध्याय ने कहा कि देश के लोगों को सेना पर पूरा भरोसा है लेकिन टोल प्लाजा को इस तरह से कब्जे में लेना ठीक नहीं है। हम रक्षा मंत्री से आग्रह करते हैं कि तत्काल सेना को वापस लिया जाए। यह संघीय ढांचे के खिलाफ है। (एजेंसी इनपुट के साथ)