RSS चीफ मोहन भागवत बोले - एयर इंडिया का विनिवेश हो, पर मालिक भारतीय कंपनी ही बने
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RSS चीफ मोहन भागवत बोले - एयर इंडिया का विनिवेश हो, पर मालिक भारतीय कंपनी ही बने

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा , ‘‘ एयर इंडिया का स्वामित्व उसी को दिया जाना चाहिए जो इसे दक्ष तरीके से चलाने में सक्षम है. नया आपरेटर भारतीय खिलाड़ी ही होना चाहिए. ’’ 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)

मुंबई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि एयर इंडिया का विनिवेश हो लेकिन इसका स्वामित्व उसी भारतीय कंपनी को दिया जाए, जो दक्ष तरीके से इसे चलाने में सक्षम है. उल्लेखनीय है कि सरकार ने कर्ज के बोझ से दबी राष्ट्रीय एयरलाइन की बिक्री की प्रक्रिया शुरू की है. 

'नया आपरेटर भारतीय खिलाड़ी ही होना चाहिए'
भागवत ने सरकार को चेताया कि उसे अपने आकाश का नियंत्रण और स्वामित्व नहीं गंवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया के परिचालन का ठीक से प्रबंधन नहीं किया गया.  संघ प्रमुख ने यहां ‘ भारतीय अर्थव्यवस्था और आर्थिक नीतियों ’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में कहा , ‘‘ एयर इंडिया का स्वामित्व उसी को दिया जाना चाहिए जो इसे दक्ष तरीके से चलाने में सक्षम है. नया आपरेटर भारतीय खिलाड़ी ही होना चाहिए. ’’ 

भागवत ने कहा कि दुनिया में कहीं भी राष्ट्रीय एयरलाइन में 49 प्रतिशत से अधिक विदेशी निवेश की अनुमति नहीं है. उन्होंने विशेष रूप से जर्मनी का जिक्र किया जहां विदेशी हिस्सेदारी की सीमा सिर्फ 29 प्रतिशत है.  उन्होंने कहा कि यदि विदेशी हिस्सेदारी की सीमा 49 प्रतिशत को पार कर जाती है तो शेयरों को जब्त कर उन्हें घरेलू निवेशकों को बेचा जाना चाहिए , जैसा अन्य देशों में किया जाता है. 

भारत एक है, भारतीय एक हैं: भागवत 
वहीं मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि ‘इंडिया’ नाम का शब्द सिंधु नदी (इंडस) के नाम से निकला. उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादा समावेशी शब्द ‘ भारत ’ इस देश को संबोधित करने का वैकल्पिक तरीका है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा , ‘‘ इंडिया सिंधु से आया , क्या इसमें कावेरी है ? भारत में यह नहीं है ? भारत एक है , सभी भारतीय एक हैं. ’’ 

उन्होंने कहा , ‘‘ अंग्रेजी में भी आप भारतीय लिख सकते हैं. इसे ‘ भारतीय ’ के रूप में लिखने से भाषा के किसी नियम का उल्लंघन नहीं होता क्योंकि व्यक्तिवाचक संज्ञा का अनुवाद नहीं होता. ’’ व्यक्तिवाचक संज्ञा के बारे में अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए भागवत ने कहा कि उन्हें हर जगह ‘‘ मोहन ’’ कहकर बुलाया जाता है. उन्होंने कहा , ‘‘ मोहन का अनुवाद संभव नहीं है. मैं दुनिया में जहां कहीं जाता हूं , मोहन कहलाता हूं , हम सब भारतीय हैं. ’’ 

(इनपुट - भाषा)

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