DNA Analysis: इस राज्य में सरकारी स्कूलों को मदरसा बनाने की कोशिश, छुट्टी का दिन बदलकर हुआ जुम्मा
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DNA Analysis: इस राज्य में सरकारी स्कूलों को मदरसा बनाने की कोशिश, छुट्टी का दिन बदलकर हुआ जुम्मा

DNA on Jharkhand Jamtada School Controversy: झारखंड (Jharkhand) के जामताड़ा (Jamtada) से ऐसी खबर आई है, जो चिंता बढ़ाती है. वहां पर कुछ सरकारी स्कूलों में छुट्टी का दिन बदलकर जुम्मा यानी शुक्रवार दिया गया है.

DNA Analysis: इस राज्य में सरकारी स्कूलों को मदरसा बनाने की कोशिश, छुट्टी का दिन बदलकर हुआ जुम्मा

DNA Jharkhand Jamtada School Controversy: झारखंड (Jharkhand) के जामताड़ा (Jamtada) से ऐसी खबर आई है, जो चिंता बढ़ाती है. वहां पर कुछ सरकारी स्कूलों में छुट्टी का दिन बदल दिया गया है. आरोप है कि ये स्कूल जिन इलाक़ों में हैं, वहां मुस्लिम आबादी ज्यादा रहती है और स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे भी मुस्लिम समुदाय से आते हैं. इसलिए आरोप है कि इन स्कूलों में छुट्टी का दिन रविवार से शुक्रवार कर दिया गया, जब जुमे की नमाज होती है.

हालांकि झारखंड (Jharkhand) में इस तरह का पहला ये मामला नहीं है. पिछले दिनों झारखंड के गढवा से एक ऐसी ही ख़बर आई थी, जहां एक सरकारी स्कूल में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा ये कहते हुए प्रार्थना को बदलवा दिया गया था कि इलाके में 75 प्रतिशत आबादी मुस्लमानों की है इसलिए प्रार्थना भी उन्हीं के हिसाब से की जाएगी. अब सवाल है कि स्कूलों का किसी इलाके की आबादी से क्या लेना देना? स्कूल शिक्षा देने के जरिया होते हैं, ना कि ये किसी धर्म के प्रचार प्रसार के लिए हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से हमारे देश की पाठशालाओं को धर्म की प्रयोग-शालाओं में बदला जा रहा है. हम आपको एक टाइमलाइन बताते हैं.

कर्नाटक में हिजाब को लेकर हुआ विवाद

21 जनवरी को कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित एक सरकारी स्कूल में कुछ मुस्लिम छात्रों द्वारा जुमे की नमाज पढ़ी गई. इसके पीछे ये दलील दी गई कि अगर स्कूल में मुस्लिम छात्र पढ़ते हैं तो उन्हें जुमे की नमाज पढ़ने से नहीं रोका जा सकता. इसी घटना के दौरान कर्नाटक के कई स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं द्वारा ये मुहिम चलाई गई कि वो हिजाब पहन कर स्कूल में पढ़ना चाहती हैं. इस पर कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक तो लगाई गई लेकिन मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनने की जिद पर अड़ी रहीं.

हिजाब (Hijab) के बीच कर्नाटक के ही स्कूलों में हिन्दू धर्म के छात्रों ने भगवा गमछा पहन कर आना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम छात्राएं स्कूलों में हिजाब पहन कर आएंगी तो वो भी भगवा गमछा पहन कर स्कूल आएंगे. यानी जो स्कूल हैं, वो किसी धार्मिक स्थल में बदल गए. इसी तरह झारखंड के गढवा के एक सरकारी स्कूल में क्या हुआ, वो अभी हमने आपको बताया.

जामताड़ा में हर जुम्मे को स्कूलों में छुट्टी

अब जामताड़ा (Jamtada) के सरकारी स्कूलों में जुमे की नमाज पर छुट्टी देने की बात सामने आ रही है. अब ये सारे ट्रेंड्स क्या बताते हैं. ये यही बताते हैं कि अगर स्कूलों के नियमों में धार्मिक आधार पर बदलाव किए गए तो ये सिलसिला फिर कभी रुकेगा नहीं. इसके बाद और स्कूलों में नमाज़ पढ़ने की मांग की जाएगी. हो सकता है कि इसके लिए आन्दोलन भी शुरू हो जाए. कल्पना कीजिए अगर इस मांग को मान लिया गया तो फिर क्या होगा. फिर ये मुस्लिम छात्र स्कूलों में नमाज पढ़ने के लिए अलग से जगह देने की मांग करेंगे और नमाज़ के दौरान क्लास और पढ़ाई से छूट मांगी जाएगी. 

सोचिए अगर ये मांगें भी मान ली गई तो फिर रविवार की जगह, शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के दिन छुट्टी के लिए मुहिम चलाई जाएगी. ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा. ये खत्म नहीं होगा. स्कूलों में अप्रैल और मई महीने की जगह रमजान के महीने में छुट्टियां देने के लिए कहा जाएगा. कॉलेज की Canteens में अलग से हलाल काउंटर लगाने की मांग होगी और पाठ्यक्रम से अलग अलग भगवान के नाम हटाने के लिए कहा जाएगा. मुस्लिम छात्र ये कहेंगे कि वो तो अल्लाह को मानते हैं, फिर श्री राम और श्री कृष्ण के बारे में वो क्यों पढ़ेंगे?..इसलिए ये मत सोचिए कि ये मामला यहीं पर रुक जाएगा.

सरकारी स्कूलों को मदरसे का रूप देने की कोशिश

जामताड़ा (Jamtada) में कुल 1084 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 15 स्कूलों को सरकार द्वारा उर्दू स्कूलों के रूप में चिन्हित किया गया है. लेकिन आरोप है कि जिन इलाकों में मुस्लिम समुदाय की आबादी ज्यादा है, वहां भी सरकारी स्कूलों के बोर्ड पर उर्दू लिख कर वहां रविवार की जगह शुक्रवार को जुमे की नमाज के दिन बच्चों को छुट्टी दी जा रही है और ये बहुत खतरनाक बात है.

सोचिए, अगर स्कूलों में बच्चों द्वारा धर्म की बात होगी. किसी धर्म का प्रचार प्रसार किया जाएगा तो स्कूल, स्कूल कहां से रहेंगे. वो धार्मिक स्थल बन जाएंगे. अगर स्कूल धार्मिक स्थल बन गए तो फिर इस देश में मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारों और चर्च की क्या ज़रूरत होगी. हमें लगता है कि ये एक बहुत ख़तरनाक ट्रेंड की शुरुआत है. हालांकि झारखंड के इस मामले में राज्य के शिक्षा मंत्री ने एक उच्च स्तरीय बैठक कर शिक्षा विभाग से इस पर रिपोर्ट मांगी गई है. 

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