हिंदी को UN की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिये प्रयास जारी: सुषमा स्वराज
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हिंदी को UN की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिये प्रयास जारी: सुषमा स्वराज

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज बताया कि इस पहल के तहत संयुक्त राष्ट्र से पायलट परियोजना के आधार पर हिन्दी में साप्ताहिक समचार बुलेटिन का प्रसारण शुरू किया गया है. 

विश्व हिन्दी सचिवालय का स्थायी भवन बनकर तैयार हो गया है.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिये प्रयास जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज बताया कि इस पहल के तहत संयुक्त राष्ट्र से पायलट परियोजना के आधार पर हिन्दी में साप्ताहिक समचार बुलेटिन का प्रसारण शुरू किया गया है. विदेश मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि हिन्दी में संयुक्त राष्ट्र में ट्विटर एकाउंट भी खोला गया है. सुषमा स्वराज ने कहा, ‘‘ अब पूरा विश्व हिन्दी में समाचार सुन सकता है.’’ समाचार परिक्रमा के तहत यह समाचार बुलेटिन महबूब खान पढ़ते हैं. यह प्रत्येक शुक्रवार को प्रसारित होता है. उन्होंने कहा कि इसे संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी के प्रभावी प्रवेश के तौर पर देखा जाता है.

इसके साथ ही वेबसाइट पर प्रमुख दस्तावेज हिन्दी में डाल दिये गए हैं. उन्होंने बताया कि विश्व हिन्दी सचिवालय का स्थायी भवन बनकर तैयार हो गया है और राष्ट्रपति इसका उद्घाटन कर चुके हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता दिलाने और एक आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार्य बनाने के लिए सरकार के प्रयास जारी हैं.

हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के बारे में अड़चनों का जिक्र करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित करने के साथ सभी सदस्य देशों को इस पर होने वाले खर्च के लिए अंशदान करना होता है. उन्होंने कहा कि हिन्दी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र में 129 देशों का समर्थन जुटाना कठिन काम नहीं है.

योग दिवस को मान्यता दिलाने में 177 देशों का समर्थन 
हमने योग दिवस को मान्यता दिलाने में 177 देशों का समर्थन जुटाया, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सदस्यता के संदर्भ में 183 देशों का समर्थन जुटाया. विदेश मंत्री ने कहा कि लेकिन आधिकारिक भाषा के संदर्भ में सदस्य देशों को वोट से समर्थन देने के साथ आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता है. अगर इसका पूरा खर्च भी हमें देना पड़े, तब भी हम इसके लिए तैयार हैं. 

उन्होंने कहा कि यही स्थिति जर्मनी और जापान के समक्ष भी है. ये दोनों देश भी अपनी भाषा को इस विश्व निकाय की आधिकारिक भाषा बनाना चाहते हैं. लेकिन उनके समक्ष भी यही बाधा आ रही है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में हिन्दी को स्वीकार करने और सम्पूर्ण विश्व में हिन्दी को प्रचारित करने के लिए सरकार लगातार उपाय कर रही है. 

इनपुट भाषा से भी 

 

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