NEET का पहला चरण आज, सुप्रीम कोर्ट ने छात्र की अर्जी अस्वीकार करते हुए कहा, 'कृप्या परीक्षा होने दें'
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NEET का पहला चरण आज, सुप्रीम कोर्ट ने छात्र की अर्जी अस्वीकार करते हुए कहा, 'कृप्या परीक्षा होने दें'

एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एकल प्रवेश परीक्षा एनईईटी का पहला चरण रविवार को पूरे देश में आयोजित होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आज उस अर्जी पर तत्काल सुनवायी करने से इनकार कर दिया जिसमें उसके पहले के आदेश में सुधार की मांग की गई थी।

NEET का पहला चरण आज, सुप्रीम कोर्ट ने छात्र की अर्जी अस्वीकार करते हुए कहा, 'कृप्या परीक्षा होने दें'

नयी दिल्ली: एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एकल प्रवेश परीक्षा एनईईटी का पहला चरण रविवार को पूरे देश में आयोजित होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आज उस अर्जी पर तत्काल सुनवायी करने से इनकार कर दिया जिसमें उसके पहले के आदेश में सुधार की मांग की गई थी।

दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए आज विशेष सुनवायी कर रही प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर के नेतृत्व वाली 3 न्यायाधीशों की एक पीठ ने राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के संबंध में 28 अप्रैल को एक अन्य पीठ की ओर से पारित आदेश में बदलाव की मांग वाली अर्जी स्वीकार नहीं की।

न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति आर भानुमती वाली पीठ ने कहा, ‘फिलहाल कुछ भी नहीं होगा। मामले पर पीठ द्वारा सुनवायी की गई है और वर्तमान के लिए यह खत्म हो गया है। कृप्या परीक्षा होने दें।’ पीठ की ओर से यह टिप्पणी तब आयी जब कुछ छात्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों ने कहा कि एनईईटी पर आदेश में बदलाव की जरूरत है क्योंकि राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी कर चुके छात्रों के लिए इतने कम समय में एनईईटी के लिए तैयारी करना मुश्किल होगा। कोर्ट ने फिलहाल अर्जी पर सुनवायी करने से इनकार कर दिया और संबंधित वकीलों से कहा कि वे एक अर्जी दायर करें जिस पर मामले की सुनवायी कर रही नियमित पीठ सुनवायी करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने शक्रवार को कहा था कि शैक्षणिक वर्ष 2016-17 के लिए एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा एक मई और 24 जुलाई को राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के जरिए निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक ही होगी।

केंद्र ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का रूख करके 28 अप्रैल के उसके आदेश में बदलाव की मांग की थी। केंद्र ने मांग की थी कि राज्य सरकारों और निजी कॉलेजों को 2016-17 के लिए एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के वास्ते अलग प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने की इजाजत दी जाए। केंद्र ने कहा था कि इससे काफी भ्रम उत्पन्न हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में शैक्षणिक वर्ष 2016-2017 के वास्ते दो चरणों में एनईईटी आयोजित करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था जिसमें करीब साढ़े छह लाख उम्मीदवारों के शामिल होने की उम्मीद है। उसने केंद्र, सीबीएसई और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की ओर से ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) को एनईईटी-एक मानने के लिए अपने समक्ष पेश खाका मंजूर कर लिया था।

उसने कहा था कि जिन्होंने एआईपीएमटी के लिए आवेदन नहीं किया है उन्हें एनईईटी-दो में 24 जुलाई को शामिल होने का मौका दिया जाएगा और संयुक्त परिणाम 17 अगस्त को घोषित होंगे ताकि प्रवेश प्रक्रिया 30 सितम्बर तक पूरी हो जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और एसोसिएशन ऑफ कर्नाटक मेडिकल कॉलेजेज के अलावा सीएमसी वेल्लोर जैसे अल्पसंख्यक संस्थानों द्वारा एनईईटी आयोजित करने पर विरोध को खारिज करने हुए दिया था। कोर्ट ने आदेश में कहा गया था कि सभी राजकीय कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय और निजी मेडिकल कॉलेज एनईईटी के तहत आएंगे और जो परीक्षाएं पहले ही हो चुकी है या अलग से होना तय है वे रद्द होती हैं।

कोर्ट ने साथ ही सरकार की एनईईटी के जरिये एक एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने की 21 दिसम्बर 2010 की उस अधिसूचना को भी एक स्पष्टीकरण के साथ बहाल कर दिया कि इस मुद्दे पर कोई भी चुनौती उसके समक्ष आएगी और इसमें कोई भी उच्च न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता। न्यायालय ने कहा कि चूंकि उसने 11 अप्रैल का अपना आदेश वापस ले लिया है एनईईटी आयोजित करने में कोई बाधा नहीं है।

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