ओबामा टिप्पणी: सरकार ने कहा,-‘अपवाद’ भारत के सहिष्णुता के इतिहास को नहीं बदल सकते
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ओबामा टिप्पणी: सरकार ने कहा,-‘अपवाद’ भारत के सहिष्णुता के इतिहास को नहीं बदल सकते

अमेरिकी के राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा भारत में कथित धार्मिक ‘असहिष्णुता ’ के बारे में व्यक्त की गई चिंता पर सरकार ने शुक्रवार को सावधानी भरी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संयम भारत के सांस्कृतिक इतिहास का बड़ा हिस्सा रहा है और कोई ‘अपवाद’ इस इतिहास को बदल नहीं सकता।

ओबामा टिप्पणी: सरकार ने कहा,-‘अपवाद’ भारत के सहिष्णुता के इतिहास को नहीं बदल सकते

नई दिल्ली : अमेरिकी के राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा भारत में कथित धार्मिक ‘असहिष्णुता ’ के बारे में व्यक्त की गई चिंता पर सरकार ने शुक्रवार को सावधानी भरी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संयम भारत के सांस्कृतिक इतिहास का बड़ा हिस्सा रहा है और कोई ‘अपवाद’ इस इतिहास को बदल नहीं सकता।

दो वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्रियों, वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात को रेखांकित किया कि भारत एक बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है जहां हिन्दू, मुस्लिम, यहूदी, पारसी और ईसाई रहते हैं।

वे ओबामा की गुरुवार को की गई उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि पिछले कुछ सालों में भारत में हर धार्मिक आस्था ने ‘असहिष्णुता की कार्रवाइयों ’ का अनुभव किया है जिससे महात्मा गांधी स्तब्ध हो जाते। ओबामा ने इससे पहले पिछले सप्ताह भारत की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान भी अपने एक सार्वजनिक संबोधन में कहा था कि भारत तब तक सफल रहेगा जब तक कि वह ‘धार्मिक आस्थाओं के आधार पर बंटता नहीं है।’

जेटली ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हर समाज सहिष्णु समाज होना चाहिए, यह ऐसा तथ्य है जो सबको स्वीकार्य होना चाहिए। सहिष्णु होना अच्छा है। भारत का सहिष्णुता का एक विशाल सांस्कृतिक इतिहास है। कोई अपवाद इस इतिहास को बदल नहीं सकता है।’ उन्होंने कहा कि सहिष्णुता का सर्वोत्तम उदाहरण यह है कि राष्ट्रपति ओबामा जब यह बयान दे रहे थे उस समय उनके साथ परमपावन दलाई लामा बैठे थे।

‘यह भारत की सहिष्णुता का ही हिस्सा है कि वह भी भारत में सुखकर महसूस कर रहे हैं और भारत भी उन्हें समाज में समाहित करके सुखकर महसूस कर रहा है।’ ओबामा के बयान पर राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में प्रतिक्रिया करते हुए कहा, ‘जहां तक धार्मिक सहिष्णुता का सवाल है, यह हमारी भारतीय परंपरा का अंग है। भारत दुनिया में एकमात्र देश है जहां मुसलमानों की विभिन्न धाराएं और ईसाइयों की सभी धाराएं विद्यमान हैं..भारत में पारसी और यहूदी भी हैं।’

सिंह ने कहा, ‘भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उसमें कभी भी जाति, समुदाय, धर्म या पंथ को लेकर भेदभाव नहीं हुआ। उधर, व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता मार्क स्ट्रो ने ओबामा के बयान पर आज सफाई देते हुए कहा, ‘भारत में और कल नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट में राष्ट्रपति का संदेश यह था कि धार्मिक स्वतंत्रता एक मौलिक स्वतंत्रता है और हर राष्ट्र तब मजबूत होता है, जब सभी धर्मों के लोग अभियोजन और डर तथा भेदभाव की आशंका के बिना अपने धर्मों का स्वतंत्र रूप से पालन करते हैं।’

स्ट्रो ने कहा, ‘राष्ट्रपति ने अपने भाषण में स्पष्ट रूप से कहा है कि यह किसी एक समूह, राष्ट्र या धर्म के बारे में नहीं है।’ हाल ही में भारत यात्रा से लौटे अमेरिकी राष्ट्रपति ने कल अपने भाषण में कहा था कि पिछले कुछ सालों में भारत में सभी धार्मिक आस्थाओं को मानने वालों को जो ‘असहिष्णुता की कार्रवाइयों’ का अनुभव हुआ है उससे महात्मा गांधी स्तब्ध हो जाते। स्ट्रो ने आज कहा, ‘हम अमेरिका और विश्वभर में असहिष्णुता से निपटने में महात्मा गांधी की विरासत से प्रेरणा पाते हैं।’

नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट में ओबामा ने कहा था, ‘मिशेल और मैं भारत से लौटे हैं..एक अद्भुत, खूबसूरत देश.., शानदार विविधताओं से भरा हुआ, लेकिन एक ऐसी जगह जहां पिछले सालों में सभी धर्मों को कई अवसरों पर अन्य धर्मों में आस्था रखने वालों द्वारा केवल उनकी विरासत और उनकी आस्थाओं को लेकर निशाना बनाया गया..असहिष्णुता की ये घटनाएं गांधीजी को दहला देतीं, वह व्यक्ति जिसने देश को आजादी दिलाने में मदद की।’

उन्होंने कहा था, ‘यह किसी एक समूह या एक धर्म के बारे में नहीं है। हमारे भीतर एक प्रवृत्ति है, एक दुष्ट प्रवृत्ति जो हमारी आस्था को पथभ्रष्ट और विकृत करती है। आज की दुनिया में, जब नफरत फैलाने वाले समूहों के अपने ट्विटर एकाउंट्स हैं और साइबरस्पेस के छिपे स्थानों पर धर्मांधता पनप सकती है....ऐसे में इस प्रकार की असहिष्णुता का मुकाबला करना और मुश्किल हो सकता है। लेकिन भगवान हमें प्रयास करने को प्रेरित करता है।’

दिल्ली के सिरीफोर्ट सभागार में अमेरिकी शैली की ‘टाउन हाल बैठक’ में अपने 35 मिनट के भाषण में ओबामा ने धार्मिक सहिष्णुता की पुरजोर वकालत करते हुए चेतावनी दी थी कि जब तक भारत धार्मिक आस्था के आधार पर बंटेगा नहीं तब तक वह सफल रहेगा। व्हाइट हाउस ने बुधवार को इन आरोपों से इंकार किया था कि ओबामा की धार्मिक सहिष्णुता संबंधी टिप्पणियां सत्तारूढ़ भाजपा को निशाना बनाते हुए की गयी थीं। उसने कहा था कि यह भाषण अपने संपूर्ण संदर्भ में अमेरिका और भारत दोनों देशों के ‘आधारभूत लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों’ के बारे में था।

ओबामा ने अपने नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट भाषण में लोगों का आह्वान किया कि वे भगवान के नाम पर दमन या हिंसा या नफरत को उचित ठहराने वाले लोगों के खिलाफ दृढ़ता के साथ अपनी आवाज बुलंद करें। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि कोई भगवान आतंक को माफ नहीं करता। कोई शिकायत ऐसे निर्दोष लोगों की जान लेने को जायज़ नहीं ठहरा सकती, जो कमजोर हैं या जिनकी संख्या कम है।

उन्होंने कहा था, ‘अमेरिका दुनिया में सर्वाधिक धार्मिक आस्थाओं वाले देशों में से एक है और इसका एक कारण यह है कि हमारे संस्थापकों ने विवेकपूर्ण तरीके से चर्च और राज्य को अलग रखा। हमारी सरकार किसी धर्म को समर्थन नहीं देती है और न ही किसी पर किसी धर्म विशेष का अनुसरण करने का दबाव बनाती है।’ उन्होंने कहा, ‘इसका परिणाम एक ऐसी संस्कृति है जहां सभी पृष्ठभूमियों और आस्थाओं के लोग स्वतंत्रतापूर्वक और गर्व के साथ, बिना किसी डर के पूजा अर्चना करते हैं।

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