सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा- क्या इस कार्यकाल में हो पाएगी गंगा की सफाई?
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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा- क्या इस कार्यकाल में हो पाएगी गंगा की सफाई?

उच्चतम न्यायालय ने पिछले 30 साल से गंगा नदी की सफाई का अभियान चलने के बावजूद इसकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुये केन्द्र सरकार से जानना चाहा कि वह इस कार्यकाल में ही कुछ करेगी या फिर यह अगले कार्यकाल के लिये छोडेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा- क्या इस कार्यकाल में हो पाएगी गंगा की सफाई?

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पिछले 30 साल से गंगा नदी की सफाई का अभियान चलने के बावजूद इसकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुये केन्द्र सरकार से जानना चाहा कि वह इस कार्यकाल में ही कुछ करेगी या फिर यह अगले कार्यकाल के लिये छोडेगी।

शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में स्थापित होने वाले 70 मल शोधन संयंत्रों के बारे में छह सप्ताह के भीतर ताजा जानकारी मांगी है। न्यायालय ने इससे पहले, केन्द्र सरकार से गंगा नदी को चरणबद्ध तरीके से साफ करने की योजना मांगी थी।

न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘अब मुद्दा यह है कि यह तीस साल से चल रहा है। आप (केन्द्र) हमें सत्यापन योग्य प्रगति के बारे में बताइये।’ न्यायालय ने यह बात उस समय कही जब केन्द्र सरकार के वकील ने कहा कि इस दिशा में काफी कुछ हो रहा है।

सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा, ‘इस सरकार ने 118 और नगरों की पहचान की है। अब काम शुरू हो गया है। उन्हें (नगर पालिकाओं और दूसरे प्राधिकारियों) जाग जाने के लिये कहा गया है।’ न्यायालय ने इससे पहले केन्द्र सरकार से गंगानदी की सफाई के चरणबद्ध कार्यक्रम की जानकारी मांगी थी। न्यायालय ने अब केन्द्र से गंगा के तट पर बसे पांच राज्यों में स्थापित होने वाले 70 मल शोधन संयंत्रों के बारे में अतिरिक्त जानकारी मांगी है।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘यदि आपको वित्तीय समस्या है तो हम इसे हल नहीं कर सकते। अभी तो आपसे यही अपेक्षा है कि आप परियोजना पर आगे बढ़ें और यदि किसी प्रकार की समस्या आती है तो हमारे पास आयें।’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘आप इसे विरोधी मुकदमे की तरह नहीं लें। क्या आप कहना चाहते हैं कि यह इस सरकार के कार्यकाल के दौरान करना होगा या अगली सरकार के कार्यकाल के दौरान।’

इस पर रंजीत कुमार ने जवाब दिया, ‘हम 2018 तक यह काम संपन्न करना चाहते हैं।’ न्यायालय ने अपने आदेश में सरकार को निर्देश दिया कि उन 15 मल शोधन संयंत्रों की ताजा स्थिति से अवगत कराया जाये जिनकी नीलामी की प्रक्रिया पूरी हो जानी थी और यदि इसमें किसी प्रकार का विलंब हुआ है तो इसकी वजह बतायी जाये। न्यायालय ने कहा कि गंगा नदी तट प्रबंधन के बारे में आईआईटी के संघ की जो रिपोर्ट जनवरी के अंत तक दाखिल होनी है, वह उसे भी दी जाये।

न्यायालय ने सालिसीटर जनरल के इस कथन का संज्ञान लिया कि सात आईआईटी का समूह गोमुख से उत्तरकाशी तक के पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील सौ किलोमीटर लंबे क्षेत्र का अध्ययन कर रहा है। न्यायालय ने इसके साथ ही जनहित याचिका छह सप्ताह बाद फिर सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। इससे पहले, न्यायालय ने गंगा नदी की सफाई की केन्द्र सरकार की रूपरेखा पर संतोष व्यक्त किया था लेकिन साथ जानना चाहता था कि इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू कैसे किया जायेगा।

नरेन्द्र मोदी सरकार ने इससे पहले गंगा की पवित्रता बहाल करने के लिये हजारों करोड रूपए के निवेश से इसकी सफाई के लिये अल्पकालीन, मध्यम कालीन और दीर्घकालीन उपायों की रूपरेखा पेश की थी। केन्द्र का कहना था कि उसने प्रथम चरण में जल शोधन और ठोस कचरा शोधन सहित पूर्ण स्वच्छता का लक्ष्य हासिल करने के लिये गंगा नदी के किनारे बसे 118 नगरों की पहचान की है।

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