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पणजी: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि कचरा और सीवेज शोधन बड़े घोटालों का क्षेत्र है और केन्द्र के तहत चलने वाली इन योजनाओं का लेखा-जोखा लेना संभव नहीं है।
सालिगाव-कलंगुते में ठोस कचरा प्रबंधन संयत्र का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए पर्रिकर ने कहा, ‘कचरा और सीवेज शोधन घोटाले का बड़ा क्षेत्र है। केन्द्र सरकार की योजनाओं के तहत बने शौचालयों में से 90 प्रतिशत तीन-चार साल के बाद प्रयोग में नहीं रह जाते हैं।’ उन्होंने सवाल किया, ‘कुछ लोग इन शौचालयों का प्रयोग लकड़ियां रखने के लिए करने लगते हैं। जिस उद्देश्य से इसका निर्माण हुआ है, कुछ लोग उसके लिए इसका उपयोग ही नहीं करते। लेकिन कोई इनका लेखा-जोखा नहीं ले सकता। कोई बिना इस्तेमाल किए कैसे लेखा-जोखा रख सकता है कि शौचालय काम कर रहा है या नहीं?’ मंत्री ने कहा कि कचरा प्रबंधन देश में बहुत बड़ा उद्योग बन गया है।
उन्होंने कहा, ‘इस क्षेत्र में निहित हित हैं। कैग सबका ऑडिट करता है लेकिन मैंने कभी भी कचरा प्रबंधन का ऑडिट होते नहीं देखा है। कौन कचरे के ठेस में जाने की हिम्मत करेगा?’ मंत्री ने न्यायपालिका पर भी कुछ समीक्षात्मक विचार देते हुए दावा किया कि उसके द्वारा दिए गए कुछ निर्देश बेमतलब है।
पर्रिकर ने कहा, ‘मैं मर्सिडिज बेंज कंपनी के बारे में रिपोर्ट पढ़ रहा था। उन्होंने भारत में निवेश बंद कर दिया है, क्योंकि उनका कहना है कि अदालत के फैसले उनकी समझ से परे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘(उनका कहना है) हम डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करने का औचित्य समझ नहीं पा रहे। हम समझ सकते हैं कि आप प्रदूषण फैलाने वाले डीजल वाहनों को प्रतिबंधित करना चाहते हैं, लेकिन पेट्रोल वाहनों से कम या बिल्कुल प्रदूषण नहीं फैलाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध का क्या मतलब है।’