गुजरात चुनाव: साणंद सीट से जीती बीजेपी, कनु पटेल ने संभाली पिता की राजनीतिक विरासत
Advertisement

गुजरात चुनाव: साणंद सीट से जीती बीजेपी, कनु पटेल ने संभाली पिता की राजनीतिक विरासत

साणंद कोली-पटेल बाहुल्य विधानसभा है. जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही इसी समाज के लोगों को टिकट दिया था.

साणंद सीट: बीजेपी से कनु पटेल और कांग्रेस से पुष्पा डाभी चुनावी मैदान में उतरे थे

अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आने लगे हैं. राज्य की चर्चित सीटों में शुमार साणंद सीट से बीजेपी उम्मीदवार कनुभाई पटेल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेसी प्रत्याशी पुष्पाबेन डाभी को 7721 मतों से शिकस्त दी. साणंद विधानसभा क्षेत्र, गुजरात विधानसभा की सीट नंबर 40 है. अहमदाबाद जिले के अंतर्गत आने वाला यह निर्वाचन क्षेत्र अनारक्षित है. वर्ष 2012 में साणंद सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. करमसीभाई पटेल ने 73453 वोट के साथ साणंद सीट पर जीत दर्ज की थी.

  1. गुजरात की साणंद विधानसभा कोली-पटेल बाहुल्य क्षेत्र है.
  2. जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही इसी समाज के लोगों को टिकट दिया था.
  3. साणंद गुजरात के विकास का मॉडल का सबसे बड़ा चेहरा माना जा सकता है.

बीजेपी ने साणंद विधानसभा क्षेत्र से कनु मकवाणा (कनु पटेल) को उम्मीदवार बनाया था. वहीं, कांग्रेस की ओर से पुष्पा डाभी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रही थीं. कमाभाई राठौर (पूर्व धारासभ्य बीजेपी) निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में साणंद से चुनाव लड़ रहे थे. इस सीट पर मतदान 14 दिसंबर को हुए थे. आपको बता दें कि इसी साणंद से चुने गए कांग्रेसी विधायक करमसी पटेल ने अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के दौरान हाथ का साथ छोड़ दिया था और कमल का फूल थाम लिया था. इस बार करमसी पटेल के बेटे कनुभाई पटेल को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया था.

कमाल की बात यह रही कि 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ये सीट बीजेपी से 4000 से ज्यादा मतों से जीत ली थी. शायद यही वजह है कि कोली-पटेल समाज के बड़े नेता करमसी पटेल को अमित शाह ने कांग्रेस से तोड़ा और कमल का फूल उनके बेटे के हाथ में थमा दिया. साणंद गुजरात के विकास का मॉडल का सबसे बड़ा चेहरा माना जा सकता है. 2008 के पहले इसकी पहचान एक गांव के तौर पर थी और 2008 के बाद साणंद की पहचान देश के सबसे विकसित इलाके के तौर पर की जाती है.

साणंद कोली-पटेल बाहुल्य विधानसभा है. जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही इसी समाज के लोगों को टिकट दिया था.

Trending news