जेटली ने किसानों के प्रतिनिधियों से भूमि विधेयक को लेकर बातचीत की
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जेटली ने किसानों के प्रतिनिधियों से भूमि विधेयक को लेकर बातचीत की

भूमि विधेयक को लेकर विपक्ष के साथ कड़ी लड़ाई लड़ रही सरकार ने गुरुवार को कई राज्यों के किसान प्रतिनिधियों से मुलाकात की ताकि विभिन्न मुद्दों पर उनकी आशंकाओं को दूर किया जा सके और उनके सरोकारों को शामिल किया जा सके।

नई दिल्ली : भूमि विधेयक को लेकर विपक्ष के साथ कड़ी लड़ाई लड़ रही सरकार ने गुरुवार को कई राज्यों के किसान प्रतिनिधियों से मुलाकात की ताकि विभिन्न मुद्दों पर उनकी आशंकाओं को दूर किया जा सके और उनके सरोकारों को शामिल किया जा सके।

यह बातचीत करीब एक घंटा चली, जिसमें भूमि विधेयक पर सहमति उपबंध को वापस लाने सहित विभिन्न मांगें उठीं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने किसानों को आश्वासन दिया कि सरकार उनके सुझावों को शामिल करने के बाद ही आगे बढ़ेगी तथा उनके हितों की अनदेखी नहीं की जायेगी।

बैठक के बाद भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व नेता एवं डीडी किसान चैनल के सलाहकार नरेश सिरोही ने संवाददाताओं को बताया कि बैठक में 30 से अधिक संगठनों के किसान प्रतिनिधियों ने भूमि विधेयक पर अपने विचार व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि मंत्री ने पांच.छह लोगों की एक समिति गठित की है जो भूमि विधेयक पर किसानों के सुझावों को दर्ज करेगी और आगे के परिसंवाद में उनके समक्ष पेश करेगी।

सिरोही इसके समन्वयक होंगे।

उन्होंने कहा, ‘हमारी ऐसी और बैठकें होंगी। जेटलीजी ने उन्हें बताया कि उन्हें भूमि विधेयक के बारे में निर्णय करना है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा बेहद स्पष्ट है तथा वह किसानों के साथ है। सरकार चाहती है कि किसानों को रोजगार मिलना चाहिए। किसान जो चाहते हैं सरकार उस पर गौर करेगी।’ विभिन्न किसान संगठनों ने जेटली को ज्ञापन भी सौंपे हैं। भारतीय किसान यूनियन ने अपने ज्ञापन में नये भूमि विधेयक को किसानों के सालों तक चले संघर्ष के साथ मजाक बताया है और संप्रग के 2013 के भूमि विधेयक का पुरजोर समर्थन किया गया है।

किसान प्रतिनिधियों के साथ यह बैठक ऐसे समय हुई है जबकि एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि किसानों, गरीब, गांव एवं राष्ट्र के हित में भूमि अधिग्रहण विधेयक में संशोधन किये जायेंगे।

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