ईरान ने चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए चीन और पाकिस्तान को आमंत्रित किया है.
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नई दिल्ली: ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए चीन और पाकिस्तान को आमंत्रित करने के बाद भारत ने गुरुवार को कहा कि परियोजना के लिए अपने भागीदारों का चयन करना ईरान सरकार का विशेषाधिकार है. ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने पाकिस्तान की अपनी तीन दिन की यात्रा के दौरान पाकिस्तान और चीन को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अपनी चाबहार बंदरगाह परियोजना में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि परियोजना का मकसद किसी को 'घेरना' नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि अपने यहां के बुनियादी ढांचा संबंधी प्रतिष्ठानों के विकास के लिए अपने भागीदारों का चयन करना ईरान का विशेषाधिकार है.
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आपको बता दें कि ओमान की खाड़ी में स्थित चाबहार बंदरगाह के पहले चरण का चार महीने पहले उद्घाटन किया गया था, जिसके साथ पाकिस्तान के रास्ते का इस्तेमाल किए बिना ईरान, भारत, अफगानिस्तान के बीच एक सामरिक मार्ग की शुरूआत हुई. भारत बंदरगाह के विकास में एक अहम भागीदार रहा है. यह बंदरगाह भारत के पश्चिमी तट से आसानी से सुगम्य है और इसे चीनी निवेश के साथ विकसित किए जा रहे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के जवाब के रूप में देखा जा रहा है.प्रवक्ता ने कहा कि जैसा कि आपको पता है, भारत अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया तक आने-जाने के एक मजबूत एवं वैकल्पिक मार्ग के तौर पर चाबहार बंदरगाह के विकास में मदद दे रहा है.
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गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में भारत ने इस बंदरगाह के रास्ते गेहूं की पहली खेप अफगानिस्तान भेजी थी. कुमार ने कहा कि पिछले साल अक्तूबर के बाद से चाबहार के रास्ते गेहूं की खेप संबंधी मदद सफलतापूर्वक पूरी की जा रही है. इस तरह की चार खेपें सफलतापूर्वक पहुंचायी गयी हैं. उन्होंने बताया कि बंदरगाह के परिचालन में अहम प्रगति हुई है. प्रवक्ता ने कहा कि हम चाबहार बंदरगाह के पूर्ण एवं प्रभावी परिचालन को लेकर ईरान के साथ काम कर रहे हैं. भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने चाबहार बंदरगाह का मिलकर विकास करने के लिए 2016 में एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
इनपुट भाषा से