IRCTC ने यात्रियों से अपील है कि ट्रेन में सफर के दौरान www.ecatering.irctc.com.in से ही खाना मंगाना सुनिश्चित करें.
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नई दिल्ली: अगर आप ट्रेन में यात्रा करते वक्त खाना ऑर्डर करते हैं तो सावधान हो जाइए. इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) ने यात्रियों को सचेत किया है कि 'ट्रैवल खाना' और 'रेल यात्री' जैसी वेबसाइट्स या मोबाइल ऐप से खाना मंगाने में अगर कोई परेशानी आती है तो इसके लिए आईआरसीटीसी जिम्मेदारी नहीं होगी.
आईआरसीटीसी ने ट्विटर पर अपने अकाउंट से एक ग्राफिक्स शेयर करते हुए लिखा है, ''रेल यात्री और ट्रैवल खाना समेत अन्य दूसरी अनाधिकृत एग्रीगेटर हैं. IRCTC ने यात्रियों से अपील है कि ट्रेन में सफर के दौरान www.ecatering.irctc.com.in से ही खाना मंगाना सुनिश्चित करें.
इसके पीछे वजह है कि ट्रेन में खाना उपलब्ध कराने की कई ऐप और बेवसाइट्स चल रहे हैं. इनके खाने में क्वालिटी, मात्रा और डिलीवरी को लेकर शिकायतें मिलने पर यात्री रेलवे पर इसका ठीकरा फोड़ते हैं जबकि इन वेबसाइट्स का रेलवे की IRCTC से कोई लेना-देना नहीं है. आईआरसीटीसी का gofoodieonline, mealtrain, railrestro, trainbhojan, travelkhana, takethemameal, comesum, zoopindia जैसी वेबसाइट्स से कोई लेना देना नहीं है.
IRCTC के खिलाफ जांच के आदेश
हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने ई-टिकट की अधिक कीमत वसूलने के मामले में भारतीय रेल तथा उसकी इकाई आईआरसीटीसी के खिलाफ जांच का आदेश दिया है. गुजरात के अहमदाबाद के मीत शाह और राजकोट के आनंद रणपाड़ा ने रेलवे तथा भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम लि. (आईआरसीटीसी) के खिलाफ शिकायत की है, जिस पर आयोग ने जांच का आदेश दिया है.
दोनों ने यह आरोप लगाया कि रेलवे तथा आईआरसीटीसी दोनों ही वास्तविक आधार किराया पर पहुंचने के लिये किराये को 5 के गुणक में निकटतम ऊपरी अंक में तय करते हैं. इससे खासकर आनलाइन बुकिंग में रेल टिकट बिक्री के लिये बाजार में अनुचित शर्तें थोपी जाती हैं.
प्रथम दृष्ट्या प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन का मामला पाये जाने के बाद सीसीआई ने नौ नवंबर को अपने आदेश में जांच इकाई को मामले की जांच करने का आदेश दिया. जांच में मामले से जुड़े लोगों की संभावित भूमिका की भी जांच की जाएगी.
प्रतिस्पर्धा आयोग ने कहा, ‘‘इस समय ऐसा लगता है कि प्रतिवादी (रेल मंत्रालय और आईआरसीटी) बिना यथोचित कारण के आनलाइन बुकिंग में वास्तविक किराये को ‘राउंड आफ’ करते हैं. शिकायत के अनुसार, ग्राहक पूरी तरह रेल मंत्रालय और आईआरसीटीसी पर निर्भर है तथा उसके बाद उसके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का कोई विकल्प नहीं है.
हालांकि, दोनों इकाइयों ने कहा कि टिकट के मामले में खुदरा राशि लेने और देने से लेन-देन में लगने वाला समय बढ़ेगा. ऐसे में लेन-देन में लगने वाले समय में कमी लाने तथा यात्रियों को तीव्र सेवा देने के लिये किराये को ‘राउंड आफ’ करने का फैसला किया गया है.