शुक्रवार को देश की पहली सौर ऊर्जा युक्त डीजल इलेक्ट्रिक मल्टिपल यूनिट (DEMU) ट्रेन को दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन से रवाना किया गया. बोगियों में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से न केवल रेलवे का खर्च घटेगा, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा.
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नई दिल्ली: शुक्रवार को देश की पहली सौर ऊर्जा युक्त डीजल इलेक्ट्रिक मल्टिपल यूनिट (DEMU) ट्रेन को दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन से रवाना किया गया. बोगियों में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से न केवल रेलवे का खर्च घटेगा, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा.
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने स्पेशल डीईएमयू (डीजल-इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. रेलवे ने इस ट्रेन में कुल 10 कोच (8 पैसेंजर और 2 मोटर) हैं. इस ट्रेन में 8 कोच की छतों पर 16 सोलर पैनल लगे हैं.
Dedicated to nation,first solar powered DEMU train.Our efforts towards a cleaner environment continue #SolarEnergyCleanEnergy pic.twitter.com/4UXoVMSrDY
— Suresh Prabhu (@sureshpprabhu) 14 July 2017
ट्रेन की कुल आठ बोगियों में 16 सोलर पैनल लगे हैं. हर पैनल 300 वॉट बिजली उत्पादन करेगा. इससे हर साल 21,000 लीटर डीजल की बचत होगी. अगले कुछ दिनों में 50 अन्य कोचों में ऐसे ही सोलर पैनल्स लगाने की योजना है. रेलवे का कहना है कि अगले 6 महीने में ऐसे 24 कोच और मिल जाएंगे.
रेलवे को इकोफ्रेंडली बनाने के लिए ये एक लंबी छलांग
इस मौके पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इंडियन रेलवे को इकोफ्रेंडली बनाने के लिए ये एक लंबी छलांग है. हम एनर्जी के गैर-परंपरागत तरीकों को बढ़ावा दे रहे हैं. आमतौर पर डीईएमयू ट्रेन मल्टीपल यूनिट ट्रेन होती है, जिसे इंजन से जरिए बिजली मिलती है. इसके लिए इंजन में अलग से डीजल जनरेटर लगाना पड़ता है, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं होगी.
1600 हॉर्स पॉवर ताकत वाली यह ट्रेन चेन्नई की कोच फैफ्ट्री में तैयार की गई है, जबकि इंडियन रेलवेज ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अल्टरनेटिव फ्यूल ने इसके लिए सोलर पैनल तैयार किए हैं और इन्हें कोच की छतों पर लगाया गया है.
लाखों रुपये के डीजल की बचत भी होगी
रेलवे का दावा है कि इस प्रकार के कोच अगले 25 सालों तक इस सोलर सिस्टम की लाइफ है. इस दौरान यह न केवल पर्यावरण को बचाने में सहायक होगी बल्कि लाखों रुपये के डीजल की बचत भी होगी.
रेलवे का कहना है कि यह ट्रेन एक बार फुल चार्ज होने पर दो दिनों तक चल सकती है. यानि सूरज यदि दो दिनों तक न भी निकले तब इस ट्रेन की सेवा पर कोई असर नहीं आएगा.
इसके सभी कोच में बायोटॉयलेट, वॉटर रिसाइकिलिंग, वेस्ट डिस्पोजल, बायो फ्यूल और विंड एनर्जी के इस्तेमाल का भी इंतजाम है. ट्रेन के एक कोच में 89 लोग सफर कर सकते हैं.