सशस्त्र बल में अनुशासनहीनता को ‘गंभीरता’ से लिया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
Advertisement

सशस्त्र बल में अनुशासनहीनता को ‘गंभीरता’ से लिया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि सुरक्षाबल के कार्मिकों में अनुशासनहीतना को ‘गंभीरता से लिया’’ जाएगा और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सौंपे गये कार्य से भागना ‘गंभीर कदाचार’ है।

सशस्त्र बल में अनुशासनहीनता को ‘गंभीरता’ से लिया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि सुरक्षाबल के कार्मिकों में अनुशासनहीतना को ‘गंभीरता से लिया’’ जाएगा और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सौंपे गये कार्य से भागना ‘गंभीर कदाचार’ है।

प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अपनी व्यवस्था में यह भी कहा कि ऐसे दोषी कर्मचारी को सजा सुनाते समय उसके पिछले आचरण पर भी विचार किया जा सकता है। पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के अगस्त, 2014 के फैसले के खिलाफ केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की अपील पर यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने बल को निर्देश दिया था कि वह अपने जवान अबरार अली को बहाल करे। अबरार अली को अनुशासनहीनता और कदाचार के कृत्यों के कारण सेवा से बख्रास्त कर दिया गया था।

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हालांकि अली को सुरक्षा बल से पांच दिन तक गायब रहने और इससे पहले तीन अवसरों पर उस पर लगाये गये जुर्माने के बावजूद उसके आचरण में सुधार नहीं होने की वजह से नौकरी से बर्खास्‍त करने जैसी ‘अत्यधिक कठोर’ सजा सुनायी गयी थी। न्यायालय ने कहा कि हमारे विचार से, उसे अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने की सजा न्याय संगत होगी। पीठ ने कहा कि सशस्त्र सुरक्षा बल के सदस्य की अनुशासनहीनता को बहुत ही गंभीरता से लिया जायेगा। यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी (अली) ने जानबूझकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवज्ञा की और पांच दिन के लिये बल से भाग गया। इस तरह से भागने का कृत्य गंभीर कदाचार है और इसके लिये प्रतिवादी को उचित सजा मिलनी चाहिए। पीठ ने निर्देश दिया कि अली पेंशन के लिये पात्रता की तारीख तक की अवधि को लगातार सेवा में माना जायेगा परंतु उसे इस अवधि के वेतन और भत्तों का भुगतान नहीं होगा।

अबरार अली सितंबर 1990 में औद्योगिक सुरक्षा बल में सिपाही के रूप में नियुक्त हुआ था और अक्तूबर 1999 में उसे बल के नियमों के तहत कथित रूप से कदाचार और दुर्व्‍यवहार के कारण दंडित किया गया था। आरोपों के अनुसार अली धनबाद में बल की यूनिट में तैनात था और उस समय उसने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवज्ञा की और अनुशासनहीनता करना उसका स्वभाव है। बल की यूनिट के कमान्डेन्ट ने नवंबर 2000 में वह इन आरोपों का दोषी पाया गया और उसे सेवा से बर्खास्‍त करने का आदेश दिया गया।

Trending news