भारत-अमेरिका के बीच रक्षा करार 10 साल और बढ़ा
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भारत-अमेरिका के बीच रक्षा करार 10 साल और बढ़ा

रक्षा क्षेत्र में आपसी संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की प्रतिबद्धता जताते हुए भारत व अमेरिका ने इस क्षेत्र में सहयोग की व्यवस्था के द्वपक्षीय करार को और 10 साल के लिये बढ़ाने पर सैद्धांतिक रूप से सहमति जतायी। दोनों देश इस क्षेत्र में परियोजनाओं के संयुक्त विकास और उत्पादन पर भी सहमत हुए हैं।

भारत-अमेरिका के बीच रक्षा करार 10 साल और बढ़ा

नई दिल्ली : रक्षा क्षेत्र में आपसी संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की प्रतिबद्धता जताते हुए भारत व अमेरिका ने इस क्षेत्र में सहयोग की व्यवस्था के द्वपक्षीय करार को और 10 साल के लिये बढ़ाने पर सैद्धांतिक रूप से सहमति जतायी। दोनों देश इस क्षेत्र में परियोजनाओं के संयुक्त विकास और उत्पादन पर भी सहमत हुए हैं।

नये समझौते के तहत दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास व खुफिया सूचनाओं के व्यापक आदान-प्रदान, समुद्री सुरक्षा के जरिये रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय भागीदारी को और बढ़ाएंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘आज हमने अपने तेजी से बढ़ते रक्षा सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाने का फैसला किया है। हम सैद्धान्तिक रूप से विशेषीकृत आधुनिक रक्षा परियोजनाओं के सह विकास व सह उत्पादन के लिए सहमत हुए हैं।’ मोदी ने कहा कि इससे भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र का उन्नयन होगा और विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि दोनों देश आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावना तलाशेंगे।। हालांकि प्रधानमंत्री ने इन परियोजनाओं का विवरण नहीं दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हमने रक्षा रूपरेखा करार का नवीकरण किया है। हम समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाएंगे।’ ओबामा तीन दिन की भारत यात्रा पर आज यहां पहुंचे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने करार के नवीकरण का स्वागत करते हुए कहा कि इससे अगले दस साल के दौरान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को दिशा मिलेगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमने अपने रक्षा व सुरक्षा सहयोग को और बढ़ाने की सहमति दी है। इन संबंधों में एक बड़े कदम के तहत, रक्षा प्रौद्योगिकी व व्यापार पहल से हमें संयुक्त रूप से रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास व उत्पादन का अवसर मिलेगा।’

उन्होंने कहा कि हम साथ मिलकर और काम कर रहे हैं जिससे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सुरक्षा व समृद्धि को लेकर साझेदारी को और आगे बढ़ाया जा सके। रक्षा क्षेत्र में सहयोग की व्यवस्था के बारे में पहले समझौते की मियाद इस साल समाप्त हो रही है। इस पर 2005 में तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी और तत्कालीनी अमेरिकी रक्षा मंत्री डोनाल्ड रम्सफेल्ड ने दस्तखत किए थे।

इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू रक्षा व्यापार एवं प्रौद्योगिकी पहल (डीटीटीआई) होगी जो भविष्य में रक्षा सहयोग के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। अमेरिका डीटीटीआई के तहत भारत के साथ सह-विकास एवं सह-उत्पादन के लिए ‘बदलाव लाने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों’ पर जोर दे रहा है जोकि मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल की एक विशेष पहचान बन सकता है।

अमेरिका ने डीटीटीआई के तहत सह.उत्पादन व सह.विकास के लिए सैनिक हार्डवेयर की 17 उच्च प्रौद्योगिकी वाली वस्तुओं की पेशकश की है। माना जाता है कि इसमें से भारत की रचि पांच प्रौद्योगिकियों में है जिनमें मानव व हथियार रहित हवाई वाहन और विमान वाहकों के लिए विमान उतारने की प्रणाली शामिल है।

रक्षा मोर्चे पर दोनों देशों के बीच व्यापक बातचीत हो रही है।

कुछ ‘ठोस’ नतीजे लाने के संबंध में भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए अमेरिका के रक्षा अधिग्रहण, प्रौद्योगिकी व लाजिस्टिक्स उप मंत्री फ्रैंक केनडाल इस सप्ताह की शुरआत में भारत आए। वह भारत से जुड़े रक्षा मुद्दों खासकर भारत-अमेरिका रक्षा व्यापार एवं प्रौद्योगिकी पहल (डीटीटीआई) पर पेंटागन की तरफ से संपर्क अधिकारी हैं।

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इससे पहले कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान अमेरिका के साथ डीटीटीआई का विस्तार किए जाने की संभावना है।

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