नटराजन के आरोपों के बाद जेटली ने यूपीए परियोजनों की समीक्षा की मांग की
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नटराजन के आरोपों के बाद जेटली ने यूपीए परियोजनों की समीक्षा की मांग की

केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने पूर्व पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन द्वारा परियोजनाओं के लिए हरित मंजूरी में राहुल गांधी पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगाए जाने के बाद यूपीए शासन के दौरान मंजूर और खारिज की गयी पर्यावरणीय परियोजनाओं की समीक्षा की आज मांग की। वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी को नटराजन का पत्र ‘पुख्ता तौर पर साबित करता है’ कि कांग्रेस के लिए वैधानिक या आवश्यक मंजूरी की नहीं बल्कि नेताओं की ‘मर्जी’ ही अहम थी।

नटराजन के आरोपों के बाद जेटली ने यूपीए परियोजनों की समीक्षा की मांग की

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने पूर्व पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन द्वारा परियोजनाओं के लिए हरित मंजूरी में राहुल गांधी पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगाए जाने के बाद यूपीए शासन के दौरान मंजूर और खारिज की गयी पर्यावरणीय परियोजनाओं की समीक्षा की आज मांग की। वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी को नटराजन का पत्र ‘पुख्ता तौर पर साबित करता है’ कि कांग्रेस के लिए वैधानिक या आवश्यक मंजूरी की नहीं बल्कि नेताओं की ‘मर्जी’ ही अहम थी।

जेटली ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि अब पर्यावरण मंत्रालय ( उस समय ) मंजूरी और नामंजूर की गयी उन सभी अनुमतियों की समीक्षा करेगा और सुनिश्चित करेगा कि केवल कानून के मुताबिक ही इनका निपटारा हो और किसी अन्य बात पर नहीं।’’ वित्त मंत्री नटराजन की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे गए पत्र पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें आरोप लगाया गया है कि पर्यावरणीय मंजूरियों पर राहुल गांधी की ओर से खास तौर पर अनुरोध किया गया था और इसके फलस्वरूप बड़ी परियोजनाएं ठुकरा दी गयी।

यहां संवाददाताओं से बात करते हुए जेटली ने कहा कि संप्रग शासन के दौरान विकास दर तेजी से घटा और इसकी मुख्य वजह परियोजनाओं की मंजूरी में विलंब था। उन्होंने कहा कि नटराजन का पत्र ठोस रूप से साबित करता है कि तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी के लिए वैधानिक या जरूरी मानदंडों का महत्व नहीं था।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘उनके लिए जो महत्वपूर्ण था, वह था नेताओं की मर्जी के अनुसार किसको पर्यावरणीय मंजूरी दी जाए और किसको नहीं दी जाए।’ उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जहां ‘ मर्जी ’ कानूनी योग्यताओं पर भारी पड़ जाती है तो यह सांठगांठ वाले पूंजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज्म) का मामला बन जाता है जैसा कि संप्रग शासन में हो रहा था। संप्रग पर आगे प्रहार करते हुए जेटली ने कहा कि यह एक ‘पड़पीड़क’ अर्थव्यवस्था का कारोबार था जो प्रतिशोध में कुछ लोगों को सबक सीखाना चाहता था जबकि कुछ अन्य का समर्थन करना चाहता था।

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