कई लोग आज भी मानते हैं कि इस खगोलीय घटना से स्वास्थ्य और व्यापार पर असर होता है इसलिए वे दान और पुण्य के कार्य करते हैं.
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नई दिल्ली: 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर चांद को ग्रहण लग रहा है और यह 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण है. अगर आप साल की शुरुआत में सुपरमून का दीदार नहीं कर पाए तो अब आपके लिए सदी के सबसे लंबे चंद्रग्रहण को देखने का मौका है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह एक अशुभ घटना है और इसकी छाया से बचने के लिए लोग ग्रहण के बाद स्नान-दान करते हैं. लेकिन अब ज्ञान-विज्ञान का प्रसार होने से चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण संबंधी भ्रांतियां कम हुई हैं. हालांकि, कई लोग आज भी मानते हैं कि इस खगोलीय घटना से स्वास्थ्य और व्यापार पर असर होता है इसलिए वे दान और पुण्य के कार्य करते हैं.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, ग्रहण का समय एक घंटा 43 मिनट होगा और इसे देश के सभी भागों में देखा जा सकता है. चंद्रग्रहण का पहला खंडग्रास चरण शुक्रवार की रात 11:54 बजे शुरू होगा और चांद धीरे-धीरे पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाएगा. इसके बाद पूर्ण चंद्रग्रहण का चरण शुक्रवार की ही रात एक बजे आरंभ होगा और 2:43 बजे समाप्त होगा. इसके बाद अंतिम चरण में आंशिक चंद्रग्रहण सुबह 3:49 बजे समाप्त होगा. चंद्रग्रहण एक आकाशीय घटना है जिसमें चांद और सूर्य के बीच पृथ्वी के आ जाने से सूर्य का प्रकाश चांद पर नहीं पड़ता है, जिससे चांद धरती पर दिखाई नहीं देता है.
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सूतक काल के बारे में धार्मिक मान्यता
यह चंद्रग्रहण 3 घंटे 54 मिनट तक चलेगा. धार्मिक विद्वानों के मुताबिक दोपहर 2:55 बजे से सूतक लगने की बात कही गई. सूतक काल का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य और चंद्रग्रहण दिखाई देने पर सूतक के कई मायने हैं. सूर्यग्रहण में सूतक का प्रभाव लगभग 12 घंटे पहले शुरू हो जाता हैं. वहीं चंद्र ग्रहण में यह अवधि 9 घंटे की हो जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए इस दौरान कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.
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वैज्ञानिक मान्यता
ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसलिए यह समय को अशुभ माना जाता है. इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं. भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं.
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पौराणिक मान्यता
ज्योतिष के अनुसार राहु ,केतु को अनिष्टकारण ग्रह माना गया है. चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है. इस कारण सृष्टि इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है.
ग्रहण के दौरान ये न करें -
- ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.
- ग्रहण के दौरान सोना भी नहीं चाहिए.
- ग्रहण को नग्न आखों से न देखें
- चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत है. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक हैं.
(इनपुट: एजेंसी IANS से भी)