कौन हैं शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, अयोध्या में राम मंदिर बनवाने के लिए की थी पहल
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कौन हैं शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, अयोध्या में राम मंदिर बनवाने के लिए की थी पहल

कांची पीठ के प्रमुख जयेंद्र सरस्वती का 82 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया है. शंकराचार्य की उपाधि से सुशोभित जयेंद्र सरस्वती का जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. 

कांची पीठ के प्रमुख जयेंद्र सरस्वती का 82 वर्ष की अवस्था में निधन

नई दिल्ली: कांची पीठ के प्रमुख जयेंद्र सरस्वती का 82 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया है. शंकराचार्य की उपाधि से सुशोभित जयेंद्र सरस्वती का जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार में अहम रोल निभाने वाले जयेंद्र सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विभिन्न पक्षों के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया था. जयेंद्र सरस्वती की पहल से मुफ्त अस्पताल, शिक्षण संस्थान और बेहद सस्ती कीमत पर उच्च शिक्षा देने के लिए विश्वविद्यालय तक संचालित हैं. हालांकि हत्या का आरोप लगने के बाद जयेंद्र सरस्वती को जेल भी जाना पड़ा था.

  1. कांची मठ के प्रमुख जयेंद्र सरस्वती का निधन
  2. वेदों के ज्ञाता थे जयेंद्र सरस्वती, धर्म प्रचार में निभाया अहम योगदान
  3. जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी पर उठे थे सवाल

वेदों के ज्ञाता रहे जयेंद्र सरस्वती
जयेंद्र सरस्वती तमिलनाडु के कांचीपुरम नगर में स्थित कांची मठ के प्रमुख थे. कांची कामकोटी पीठ के 69वें शंकराचार्य के पद पर विराजमान होने से पहले जयेंद्र सरस्वती का नाम सुब्रहमण्यम था. वे वेदों के ज्ञाता माने जाते थे. वे करीब 65 साल तक कांची पीठ के शंकराचार्य के पद पर रहे. 1983 में जयेंद्र सरस्वती ने शंकर विजयेंद्र सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था.

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अयोध्या में राम मंदिर के लिए जयेंद्र सरस्वती ने की पहल
जयेंद्र सरस्वती भले ही तमिलनाडु में रहते थे, लेकिन वे भी चाहते थे कि अयोध्या में राम मंदिर बने. इसके लिए उन्होंने कोशिश भी की. साल 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर दिए गए एक भाषण को माने तो जयेंद्र सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए काफी कोशिश की थी. जयेंद्र सरस्वती ने विभिन्न पक्षों के साथ बातचीत के जरिए राम मंदिर निर्माण के रास्ते निकालने की कोशिश की. 

जयललिता सरकार में जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी के तरीके पर उठे थे सवाल
साल 2001 में जयललिता जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी थीं तो शपथ ग्रहण समारोह में जयेंद्र सरस्वती को आध्यात्मिक गुरू के तौर पर बुलाया था. साल 2004 में जयललिता के मुख्यमंत्री रहते हुए जयेंद्र सरस्वती को बड़ी बेअदबी के साथ गिरफ्तार किया गया था. बताया जाता है कि कार्तिक का महीना शुरू होने वाला था. इसे देखते हुए जयेंद्र सरस्वती आंध्र प्रदेश के महबूबनगर में त्रिकाल संध्या पूजन की तैयारी कर रहे थे. उन्हें पूरी रात जागकर पूजा करनी थी. इसी दौरान तमिलनाडु की तत्कालीन सीएम जयललिता के आदेश पर जयेंद्र सरस्वती को पूजा के बीच से पुलिस गिरफ्तार करके चेन्नई ले आई थी. 

मंदिर के एक कर्मचारी की हत्या के लगे आरोप, हो गए थे बरी
साल 2004 में जयेंद्र सरस्वती पर कांची मठ में कार्यरत एक कर्मचारी की हत्या के आरोप लगे. इसकी वजह से उन्हें जेल तक जाना पड़ा. जयेन्द्र सरस्वती पर कत्ल, हत्या की साजिश रचने और साक्ष्यों को छिपाने का आरोप था. सितंबर 2004 में कांची मठ के ही शंकरारामन का तीन मोटरसाइकिल पर सवार बदमाशों ने हत्या कर दी थी. हत्या से पहले और बाद में बदमाशों की बातचीत जयेन्द्र सरस्वती के साथ होने के साक्ष्य पुलिस के पास थे. वहीं हत्या के लिए दी गई रकम की रिकवरी भी की जा चुकी थी. हालांकि साल 2016 में कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया था.

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