क्या आप जानते हैं लोहड़ी पर्व के दौरान क्यों दी जाती है आग में आहुति?
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क्या आप जानते हैं लोहड़ी पर्व के दौरान क्यों दी जाती है आग में आहुति?

मकर सक्रांति की पूर्व संध्या पर देशभर में खासतौर पर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में लोहड़ी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है.

13 जनवरी को मनाया जाएगा लोहड़ी का त्योहार (फोटो-IANS)

नई दिल्ली: मकर सक्रांति की पूर्व संध्या पर देशभर में खासतौर पर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में लोहड़ी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व कई मायनों में खास है. पारंपरिक तौर पर लोहड़ी का त्यौहार प्रकृति को धन्यवाद कहने के लिए मनाया जाता है. मकर सक्रांति की पूर्व संध्या पर लोकगीत गाए जाते हैं और रंग-बिरंगी वेशभूषा में नृत्य किया जाता है. इस दौरान लकड़ियों की मदद से आग भी जलाई जाती है, जिसमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली अर्पित किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि आग में ये सब क्यों डाला जाता है.

  1. मकर सक्रांति की पूर्व संध्या पर मनाया जाता है लोहड़ी का पर्व
  2. आग में दी जाती है तिल, गजक, गुड़, रेवड़ी आदि की आहुति
  3. प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है लोहड़ी का पर्व

इसलिए दी जाती है आग में आहुति
लोहड़ी के दिन आग में तिल, गजक, मूंगफली, गुड़, रेवड़ी, खील, मक्का और गन्ना चढ़ाया जाता है. ऐसा करने के पीछे की मान्यता ये है कि अग्नि में आहुति देने से ये सब भगवान तक पहुंचता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. तिल, गुड़, रेवड़ी आदि आग में डालते वक्त लोग सुखी जीवन की कामना करते हैं.

नवविवाहितों के लिए खास है त्योहार
लोहड़ी का त्योहार नवविवाहितों के लिए खास होता है. नव विवाहित जोड़ा इस दिन अग्नि में आहुति देते हुए उसके चारों ओर घूमता है और अपनी सुखी वैवाहिक जीवन की प्राथना करता है. माना जाता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में कोई परेशानी नहीं आती.

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लोहड़ी जोड़े के लिए इसलिए भी खास होता है क्योंकि ये पर्व उन्हें एक-दूसरे के परिवार से जुड़ने का मौका देता है. लोग नई दुल्हन के लिए तोहफे ले जाते हैं और उसके अच्छे दांपत्य जीवन की कामना करते हैं.

लोहड़ी और दुल्ला भट्टी की कहानी
लोहड़ी के गानों में दुल्ला भट्टी का जिक्र मिलता है. यह भी कहा जा सकता है कि लोहड़ी के गानों का केंद्र बिंदु दुल्ला भट्टी को ही बनाया जाता है. दरअसल, दुल्ला भट्टी का पंजाबियों के इतिहास में खास महत्व है. बताया जाता है कि मुगल शासक अगबर के शासनकाल के दौरान दुल्ला भट्टी पंजाब प्रांत में रहता था. उस समय संदल बार जो अब पाकिस्तान में स्थित है, लड़कियों को गुलामी के लिए जबरदस्ती ले जाया जाता था और अमीरों को बेच दिया जाता था.

धूमधाम से मनेगी लोहड़ी, जानिये क्यों खास है यह त्यौहार

दुल्ला भट्टी ने न सिर्फ ऐसी लड़कियों को मुक्त करवाया बल्कि खुद उन सभी की शादी भी करवाई. इस वजह से दुल्ला भट्टी को आज भी याद किया जाता है.

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