‘कलयुग का दधीचि’ बना इंदौर का व्यक्ति, त्वचा तक कर दी दान
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‘कलयुग का दधीचि’ बना इंदौर का व्यक्ति, त्वचा तक कर दी दान

सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बाद दिमागी रूप से मृत घोषित 22 वर्षीय युवक के परिजन ने उसका दिल, लीवर, दोनों किडनी, दोनों आंखें और त्वचा दान करते हुए यहां गजब की मिसाल पेश की। चिकित्सकों के मुताबिक इन अंगों से करीब पांच मरीजों को नई जिंदगी मिल सकेगी।

‘कलयुग का दधीचि’ बना इंदौर का व्यक्ति, त्वचा तक कर दी दान

इंदौर : सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बाद दिमागी रूप से मृत घोषित 22 वर्षीय युवक के परिजन ने उसका दिल, लीवर, दोनों किडनी, दोनों आंखें और त्वचा दान करते हुए यहां गजब की मिसाल पेश की। चिकित्सकों के मुताबिक इन अंगों से करीब पांच मरीजों को नई जिंदगी मिल सकेगी।

शहर के श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसएआईएमएस) के कार्यकारी निदेशक शांतनु भागड़ीकर ने बताया, ‘नजदीकी धार जिले के रहने वाले पप्पू डावर (22) तीन दिन पहले सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हो गये थे। हमारे अस्पताल के डॉक्टरों ने उनकी हालत पर सतत निगरानी के बाद उन्हें कल छह मार्च को दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया।’ 

उन्होंने बताया कि अंगदान के क्षेत्र में काम करने वाली एक स्थानीय संस्था के पदाधिकारियों ने डावर के परिजन से चर्चा कर उन्हें इस बात के लिये राजी किया कि वे जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन देने के लिये इस युवक के अंग दान कर दें। युवक के परिजन ने उसका दिल, लीवर, दोनों किडनी, दोनों आंखें और त्वचा दान करने का फैसला किया।

भागड़ीकर ने बताया कि डावर के दिल और लीवर को करीब 10 किलोमीटर लम्बा ग्रीन कॉरिडोर बनाकर महज नौ मिनट में हवाई अड्डे पहुंचाया गया। हवाई रास्ते से दिल्ली भेजे गये ये अंग राष्ट्रीय राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित होकर उन्हें नई जिंदगी देंगे।

उन्होंने बताया कि डावर की एक किडनी एसएआईएमएस में भर्ती मरीज के शरीर में लगायी गयी। उनकी दूसरी किडनी लगभग 15 किलोमीटर लम्बे ग्रीन कॉरिडोर के जरिये 11 मिनट के भीतर शहर के अन्य निजी अस्पताल तक पहुंचायी गयी और एक मरीज के शरीर मे प्रत्यारोपित की गयी।

भागड़ीकर ने बताया कि डावर के मृत्यु उपरांत अंगदान से मिली आंखों और त्चचा को दो अलग-अलग संस्थाओं ने प्रत्यारोपण के लिये हासिल कर सुरक्षित रख लिया है। इंदौर में दिमागी रूप से मृत मरीजों के अंगदान से मिले अंगों को प्रत्यारोपण के लिये जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाने के लिये लगातार ग्रीन कॉरिडोर बनाये जा रहे हैं। पुलिस और प्रशासन की मदद से शहर में पिछले छह महीनों के दौरान सात बार ऐसे कॉरिडोर बनाये जा चुके हैं।

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