महंगाई मिटाने में नाकाम भाजपा पर शिवसेना ने साधा निशाना
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महंगाई मिटाने में नाकाम भाजपा पर शिवसेना ने साधा निशाना

शिवसेना ने आज सहयोगी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जहां संप्रग शासन में महंगाई के लिए आसानी से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दोषी ठहराया जाता था वहीं राज्य :महाराष्ट्र: और केंद्र की वर्तमान सरकारें भी एक साल के शासन के बावजूद जरूरी सामानों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने में नाकाम रही हैं।

महंगाई मिटाने में नाकाम भाजपा पर शिवसेना ने साधा निशाना

मुंबई : शिवसेना ने आज सहयोगी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जहां संप्रग शासन में महंगाई के लिए आसानी से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दोषी ठहराया जाता था वहीं राज्य :महाराष्ट्र: और केंद्र की वर्तमान सरकारें भी एक साल के शासन के बावजूद जरूरी सामानों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने में नाकाम रही हैं।

अपने वरिष्ठ गठबंधन सहयोगी दल पर तीखा प्रहार करते हुए शिवसेना ने पूछा कि क्या जनता भीषण महंगाई से जूझते रहने के लिए केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता में लायी थी।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय कहा, ‘क्या लोगों ने महंगाई रूपी राक्षस को अपने सीने पर बैठे रहने देने और कहर बरपाते रहने के लिए महाराष्ट्र और केंद्र में नयी सरकारों के लिए वोट डाला था? क्या जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ती रहेंगी? देश की अर्थव्यवस्था का क्या हुआ?’ 

शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर मूल्यवर्धित कर :वैट: बढ़ा दिया है जिससे परिवहन की कीमतें बढ़ेंगी और आखिरकार खाद्य सामग्रियों के दाम और बढ़ जाएंगे।
पार्टी ने कहा, ‘जब संप्रग की सरकार थी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दोष देना आसान था। मनमोहन सिंह का मजाक बनाना लोगों की आदत बन गयी थी। लेकिन अब सरकार बदल गयी है। एक साल गुजर गया है लेकिन नयी सरकार अपनी जादू की छड़ी का इस्तेमाल कर महंगाई दूर करने में नाकाम रही है।’

हाल के समय में शिवसेना ने दूसरी बार मनमोहन सिंह का बचाव किया है। उसने इससे पहले कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में पी वी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के योगदानों को नहीं भुलाया जा सकता है। पार्टी ने कहा कि महाराष्ट्र पहले से ही भीषण सूखे की चपेट में है, महंगाई से राज्य के लोगों की पीड़ा और बढ़ रही है।

शिवसेना ने संपादकीय में लिखा, ‘जल्द ही नयी सरकार (महाराष्ट्र में) के एक साल पूरे हो जाएंगे। लोगों ने खुशी का अनुभव करने के लिए, खाद्य सामग्रियों की कीमतों में गिरावट के लिए और ‘अच्छे दिन’ के लिए बदलाव को लेकर वोट डाला था। लेकिन महंगाई ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।’

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