शिवसेना ने चेताया, किसान की चिता भाजपा सरकार को बर्बाद कर देगी
Advertisement
trendingNow1369357

शिवसेना ने चेताया, किसान की चिता भाजपा सरकार को बर्बाद कर देगी

शिवसेना ने मंअपनी सत्तारूढ़ सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चेताया कि किसान धर्मा पाटील की चिता भाजपा सरकार को बर्बाद कर देगी.

शिवसेना ने चेताया, किसान की चिता भाजपा सरकार को बर्बाद कर देगी

मुंबई: एक अस्सी साल के किसान द्वारा अपनी अधिग्रहित जमीन के उचित मुआवजे की मांग को लेकर आत्महत्या कर लेने पर शिवसेना ने मंगलवार (30 जनवरी) को अपनी सत्तारूढ़ सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चेताया कि किसान धर्मा पाटील की चिता भाजपा सरकार को बर्बाद कर देगी. राज्य सरकार के मंत्रालय में हुई इस घटना की निंदा करते हुए शिवसेना ने भाजपा सरकार पर जोरदार हमला किया. राज्य सरकार के मंत्रालय में धुले के रहने वाले 84 वर्षीय धर्मा पाटील ने 22 जनवरी को जहर खा लिया था. उनकी छह दिन तक इलाज के बाद मौत हो गई. शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना और दोपहर का सामना के संपादकीय में कहा, "यह शासन नहीं है. मुख्यमंत्री (देवेंद्र फडणवीस) को राज्य चलाना चाहिए, भाजपा को नहीं. आपका प्रशासन धर्मा पाटील के शव पर खड़ा है. उसकी चिता की आग आपकी कुर्सी को राख में मिला देगी."

  1. राज्य सरकार के मंत्रालय में धर्मा पाटील ने 22 जनवरी को जहर खा लिया था. 
  2. उनकी छह दिन तक इलाज के बाद मौत हो गई.
  3. संपादकीय में कहा गया कि सरकारी मशीनरी पाटील की आत्महत्या के लिए समान रूप से जिम्मेदार है.

भाषण देने से भोजन, आवास व कपड़े के सवाल का नहीं होगा हल
इसमें यह भी जिक्र किया गया कि फडणवीस कैसे दावोस में विश्व आर्थिक मंच शिखर सम्मेलन में भाषण दे सकते थे, जबकि राज्य के किसान आत्महत्या कर रहे हैं. शिवसेना ने संपादकीय में कहा, "इन परिस्थितियों में विदेशी निवेश का क्या इस्तेमाल है? महज भाषण देने से भोजन, आवास व कपड़े के सवाल का हल नहीं होगा. पाटील की 'हत्या' की गई है." इसमें कहा गया कि पाटील अब नहीं रहे, लेकिन उनकी मौत ने अन्याय से पीड़ित किसानों में एक नई ज्योति जलाई है. घटनाओं की कड़ी जोड़ते हुए सेना ने लिखा कि पाटील की पांच एकड़ उपजाऊ भूमि के लिए सिर्फ 400,000 रुपये का मुआवजा दिया गया था, जबकि उनके पड़ोस के एक किसान को दो एकड़ से कम भूमि के लिए दो करोड़ रुपये दिए गए थे.

शिवसेना ने मांगा न्याय
शिवसेना ने कहा, "उन्होंने (पाटील ने) जिला स्तर पर न्याय की मांग की. इसके बाद मंत्रालय से संपर्क किया, जहां उन्हें तीन महीने तक नजरअंदाज किया गया. उनके खेत में 600 आम के पेड़ थे, एक कुआं, ड्रिप से सिंचाई व्यवस्था, इलेक्ट्रिक पंप था और इन सभी का वे उचित मुआवजा चाहते थे." इसमें कहा गया कि जब यह मामला सामने आया तो सरकार ने पाटील को 'रिश्वत' के तौर पर 15 लाख रुपये का मुआवजा देने की कोशिश की. इसे लेने से पाटील के परिवार ने इनकार कर दिया और उनसे उचित मुआवजे की मांग की. संपादकीय में कहा गया कि सरकारी मशीनरी पाटील की आत्महत्या के लिए समान रूप से जिम्मेदार है और संबंधित मंत्री और अधिकारियों पर हत्या का आरोप लगाया जाना चाहिए.

Trending news