मन की बात : PM मोदी ने भीषण भूकंप पर जताया दुख, बोले - हर नेपाली का पोछेंगे आंसू
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मन की बात : PM मोदी ने भीषण भूकंप पर जताया दुख, बोले - हर नेपाली का पोछेंगे आंसू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सातवीं बार आकाशवाणी पर देशवासियों से 'मन की बात' की। उन्होंने कहा कि मन की बात करने का आज मन नहीं कर रहा था। बोझ अनुभव कर रहा हूं, कुछ व्यथित सा मन है। पिछले महीने जब बात कर रहा था आपसे, तो ओले गिरने की खबरें, बेमौसम बरसात, किसानों की तबाही। अभी कुछ दिन पहले बिहार में अचानक तेज हवा चली। काफी लोग मारे गए। और शनिवार को भयंकर भूकंप ने तो पूरे विश्व को हिला दिया है।

मन की बात : PM मोदी ने भीषण भूकंप पर जताया दुख, बोले - हर नेपाली का पोछेंगे आंसू

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सातवीं बार आकाशवाणी पर देशवासियों से 'मन की बात' की। उन्होंने कहा कि मन की बात करने का आज मन नहीं कर रहा था। बोझ अनुभव कर रहा हूं, कुछ व्यथित सा मन है। पिछले महीने जब बात कर रहा था आपसे, तो ओले गिरने की खबरें, बेमौसम बरसात, किसानों की तबाही। अभी कुछ दिन पहले बिहार में अचानक तेज हवा चली। काफी लोग मारे गए। और शनिवार को भयंकर भूकंप ने तो पूरे विश्व को हिला दिया है। ऐसा लगता है मानो प्राकृतिक आपदा का सिलसिला चल पड़ा है। नेपाल में भयंकर भूकंप की आपदा। हिन्दुस्तान में भी भूकंप ने अलग-अलग राज्यों में कई लोगों की जान ली है। संपत्ति का भी नुकसान किया है। लेकिन नेपाल का नुकसान बहुत भयंकर है।

पीएम मोदी ने कहा, मैंने 26 जनवरी 2001 को कच्छ के भूकंप को निकट से देखा है। ये आपदा कितनी भयानक होती है, उसकी मैं कल्पना भली-भांति कर सकता हूं। नेपाल पर क्या बीतती होगी, उन परिवारों पर क्या बीतती होगी, उसकी मैं कल्पना कर सकता हूं। लेकिन मेरे प्यारे नेपाल के भाइयो-बहनो, हिन्दुस्तान आपके दुःख में आपके साथ है। तत्काल मदद के लिए चाहे हिन्दुस्तान के जिस कोने में मुसीबत आयी है वहां भी और नेपाल में भी सहायता पहुंचाना प्रारंभ कर दिया है। सबसे पहला काम है रेस्क्यू ऑपरेशन, लोगों को बचाना। अभी भी मलबे में दबे कुछ लोग जीवित होंगे, उनको जिन्दा निकालना है। एक्सपर्ट लोगों की टीम भेजी है, साथ में, इस काम के लिए जिनको विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है ऐसे स्निफर डॉग्स को भी भेजा गया है। स्निफर डॉग्स ढूंढ निकालते हैं मलबे के नीचे जिन्दा इंसान को। कोशिश हमारी पूरी रहेगी अधिकतम लोगों को जिन्दा बचाएं।

मोदी ने कहा, मानवता की अपनी एक ताकत होती है। 125 करोड़ देशवासियों के लिए नेपाल अपना है। उन लोगों का दुःख भी हमारा दुःख है। भारत पूरी कोशिश करेगा इस आपदा के समय हर नेपाली के आंसू भी पोंछेंगे, उनका हाथ भी पकड़ेंगे, उनको साथ भी देंगे। पिछले दिनों यमन में, हमारे हजारों भारतीय भाई बहन फंसे हुए थे। युद्ध की भयंकर विभीषिका के बीच भारतीयों को निकालना, जीवित निकालना, एक बहुत बड़ा कठिन काम था। लेकिन हम उसे कर पाए। इतना ही नहीं, एक सप्ताह की उम्र की एक बच्ची को जब बचा कर लाये तो ऐसा लग रहा था कि आखिर मानवता की भी कितनी बड़ी ताकत होती है। बम-बन्दूक की वर्षा चलती हो, मौत का साया हो और एक सप्ताह की बच्ची अपनी जिन्दगी बचा सके तब मन को संतोष होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, अभी मैं जब फ्रांस गया था तो वहां में, मैं प्रथम विश्व युद्ध के एक स्मारक पर गया था। उसका एक कारण भी था, कि प्रथम विश्व युद्ध की शताब्दी तो है, लेकिन साथ-साथ भारत की पराक्रम का भी वो शताब्दी वर्ष है। भारत के वीरों की बलिदानी की शताब्दी का वर्ष है और 'सेवा परमो-धर्मः' इस आदर्श को कैसे चरितार्थ करता रहा हमारा देश, उसकी भी शताब्दी का यह वर्ष है, मैं यह इसलिए कह रहा हूं कि 1914 में और 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध चला और बहुत कम लोगों को मालूम होगा करीब-करीब 15 लाख भारतीय सैनिकों ने इस युद्ध में अपनी जान की बाजी लगा दी थी और भारत के जवान अपने लिए नहीं मर रहे थे। हिंदुस्तान को, किसी देश को कब्जा नहीं करना था, न हिन्दुस्तान को किसी की जमीन लेनी थी लेकिन भारतीयों ने एक अदभुत पराक्रम करके दिखाया था। बहुत कम लोगों को मालूम होगा इस प्रथम विश्व युद्ध में हमारे करीब-करीब 74 हजार जवानों ने शहादत दी थी, ये भी गर्व की बात है कि इस पर हमारे करीब 9 हजार 200 सैनिकों को गैलेंट्री अवार्ड से डेकोरेट किया गया था। इतना ही नहीं, 11 ऐसे पराक्रमी लोग थे जिनको सर्वश्रेष्ठ सम्मान विक्टोरिया क्रॉस मिला था। खासकर फ्रांस में विश्व युद्ध के दरम्यान मार्च 1915 में करीब 4 हजार 700 हिन्दुस्तानियों ने बलिदान दिया था। उनके सम्मान में फ्रांस ने वहां एक स्मारक बनाया है। मैं वहां नमन करने गया था, अपने पूर्वजों के पराक्रम के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने गया था।

ये सारी घटनायें हम देखें तो हम दुनिया को कह सकते हैं कि ये देश ऐसा है जो दुनिया की शांति के लिए, दुनिया के सुख के लिए, विश्व के कल्याण के लिए सोचता है। कुछ न कुछ करता है और ज़रूरत पड़े तो जान की बाज़ी भी लगा देता है। यूनाइटेड नेशन्स में भी पीसकीपिंग फ़ोर्स में सर्वाधिक योगदान देने वालों में भारत का भी नाम प्रथम पंक्ति में है। यही तो हम लोगों के लिए गर्व की बात है।

प्रधानमंत्री ने कहा, पिछले दिनों दो महत्वपूर्ण काम करने का मुझे अवसर मिला। हम पूज्य बाबा साहेब अम्बेडकर की 125 वीं जयन्ती का वर्ष मना रहे हैं। कई वर्षों से मुंबई में उनके स्मारक बनाने का जमीन का विवाद चल रहा था। मुझे आज इस बात का संतोष है कि भारत सरकार ने वो जमीन बाबा साहेब अम्बेडकर के स्मारक बनाने के लिए देने का निर्णय कर लिया। उसी प्रकार से दिल्ली में बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से एक इंटरनेशनल सेंटर बने, पूरा विश्व इस मनीषी को जाने, उनके विचारों को जाने, उनके काम को जाने। ये भी वर्षों से लटका पड़ा विषय था, इसको भी पूरा किया, शिलान्यास किया और 20 साल से जो काम नहीं हुआ था वो 20 महीनों में पूरा करने का संकल्प किया। इसके साथ ही मेरे मन में एक विचार भी आया है और हम लगे हैं, आज भी हमारे देश में कुछ परिवार हैं जिनको सर पे मैला ढोने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

मोदी ने कहा, क्या हमें शोभा देता है कि आज भी हमारे देश में कुछ परिवारों को सर पर मैला ढोना पड़े? मैंने सरकार में बड़े आग्रह से कहा है कि बाबा साहेब अम्बेडकर का पुण्य स्मरण करते हुए 125 वीं जयन्ती के वर्ष में, हम इस कलंक से मुक्ति पाएं। अब हमारे देश में किसी गरीब को सर पर मैला ढोना पड़े, ये परिस्थति हम सहन नहीं करेंगे। समाज का भी साथ चाहिये। सरकार को भी अपना दायित्व निभाना चाहिये। मुझे जनता का भी सहयोग चाहिये, इस काम को हमें करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे इस बात का गर्व होता है कि भारत की दो बेटियों ने देश के नाम रौशन किया। एक बेटी साइना नेहवाल बैडमिंटन में दुनिया में नंबर एक बनी, और दूसरी बेटी सानिया मिर्जा टेनिस डबल्स में दुनिया में नंबर एक बनी। दोनों को बधाई और देश की सारी बेटियों को भी बधाई। गर्व होता है अपनों के पुरुषार्थ और पराक्रम को लेकर। लेकिन कभी-कभी हम भी आपा खो बैठते हैं। जब क्रिकेट का वर्ल्ड कप चल रहा था और सेमी-फाइनल में हम ऑस्ट्रेलिया से हार गए, कुछ लोगों ने हमारे खिलाड़ियों के लिए जिस प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया, जो व्यवहार किया, मेरे देशवासियो, ये अच्छा नहीं है। वह खेल कैसा जिसमें कभी पराजय ही न हो। जय और पराजय तो जिन्दगी के हिस्से होते हैं। अगर हमारे देश के खिलाड़ी कभी हार गए हैं तो संकट की घड़ी में उनका हौसला बुलंद करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा, आज मेरा मन इन घटनाओं के कारण बड़ा व्यथित है, ख़ास करके प्राकृतिक आपदाओं के कारण, लेकिन इसके बीच भी धैर्य के साथ, आत्मविश्वास के साथ देश को भी आगे ले जायेंगे, इस देश का कोई भी व्यक्ति दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, आदिवासी हो, गांव का हो, गरीब हो, किसान हो, छोटा व्यापारी हो, कोई भी हो, हर एक के कल्याण के मार्ग पर, हम संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहेंगे।

अंत में पीएम ने कहा कि विद्यार्थियों की परीक्षायें पूर्ण हुई हैं, ख़ासकर के 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों ने छुट्टी मनाने के कार्यक्रम बनाए होंगे। मेरी आप सबको शुभकामनाएं हैं। आपकी छुट्टियां अच्छा बीते, जीवन में कुछ नया सीखने का, नया जानने का अवसर मिले और साल भर आपने मेहनत की है तो कुछ पल परिवार के साथ उमंग और उत्साह के साथ बीते यही मेरी शुभकामना है।

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